जहां बांग्लादेश मुक्ति अभियान के नेता, उनके परिवार के 50 लोगों की हत्या हुई थी, शेख़ मुजीबुर्रहमान के ढाका स्थित उस घर को फरवरी 2025 में हिंसक भीड़ ने ढहा दिया।
सिराजगंज ज़िले के शहज़ादपुर में रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर (संग्रहालय रूप में) को बीते जून माह में भीड़ ने क्षतिग्रस्त किया। बांग्लादेश का राष्ट्रगान टैगोर रचित है।
फ़िल्मकार सत्यजीत रे का पैतृक घर जुलाई में गिरा। बांग्लादेशी सिस्टम ने दलील दी रे के दादा उपेंद्र किशोर रॉय चौधरी के मैमनसिंह स्थित घर को "अनुमति" से तोड़ा गया।
पिछले एक साल में पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के घर के साथ ही उनकी पार्टी अवामी लीग से जुड़े दर्जनों नेताओं व सहयोगियों के ठिकानों को उग्र भीड़ ने निशाना बनाया।
हसीना के देश से भागने और मो. युनुस के सत्ता संभालने के बाद से बांग्लादेश बुरी तरह हिंसा की चपेट में है। बीते एक साल में लोकतंत्र घायल है, अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा बढ़ी है, अपराध बढ़े हैं, भीड़तंत्र निरंकुश है। विस्तार से पूरा हाल आब-ओ-हवा के विश्लेषण खंड में पढ़ने के लिए अगले पेज पर क्लिक करें..