गुजरात समाचार का क़सूर क्या?

एक बार फिर प्रेस की आज़ादी सुर्खियों में आ गयी है। यूट्यूबरों, पोर्टलों के बाद अब एक 93 साल पुराने अख़बार के ख़िलाफ़ दमनात्मक कार्रवाई की ख़बरें हैं। गुजरात के सबसे पुराने अख़बारों में से एक ‘गुजरात समाचार’ संचालित करने वाली फ़र्म के निदेशक बाहुबली शाह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गुरुवार शाम गिरफ्तार किये गये और फिर ये ख़बरें भी आयीं कि ख़राब स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें अंतरिम ज़मानत दे दी गयी। इस पूरी कार्रवाई के दौरान सबसे चिंताजनक बात यह रही कि कोई कारण या ब्यौरा जांच एजेंसियों ने नहीं दिया।

मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार ईडी की कार्रवाई से पहले दो दिन तक गुजरात समाचार के अनेक दफ़्तरों पर आयकर विभाग द्वारा भी तलाशी ली गयी। किस मामले में यह कार्रवाई की गयी, अभी स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है। हालांकि मामला 25 साल पुराना बताया जा रहा है, जो मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कुछ ही दिन पहले गुजरात समाचार का सोशल ​मीडिया अकाउंट भी कारण बताये बग़ैर सस्पेंड किया गया था।

चूंकि गुजरात समाचार गुजरात राज्य में सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित अख़बारों में से एक रहा है और सरकार की नीतियों व गतिविधियों को सवालों के कठघरे में लाता रहा है इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि यह कार्रवाई दमन या बदले की कार्रवाई हो सकती है। अपने यूट्यूब वीडियो में पत्रकार रवीश कुमार ने यह सवाल भी उठाया कि ऐसे समय में जबकि पहलगाम में आतंकी हमले किसकी लापरवाही की वजह से हुए, यह जांच सुनायी दे नहीं रही, लेकिन एक अख़बार को निशाना बनाने के लिए एजेंसियां लगी हुई हैं।

आब-ओ-हवा के अंक 27 के संपादकीय में भी प्रेस के मुद्दों पर हाल में एक वैचारिकी प्रस्तुत की गयी है। अन्य स्वतंत्र पत्रकारों, यूट्यूबरों ने भी इस मामले में अपनी टिप्पणियां लिखी हैं या वीडियो रूप में जारी की हैं, कुछ सोशल मीडिया के ज़रिये अपनी राय रख रहे हैं। लेकिन यह भी एक तथ्य है कि गुरुवार को हुए इस घटनाक्रम पर किसी भी प्रतिष्ठित अख़बार ने संपादकीय नहीं लिखा। न ही संपादकीय पेज पर इस मामले पर कोई ओपिनियन या विचार प्रकाशित किया।

हालांकि विपक्षी नेताओं ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इसे गिरफ़्तारी को सिर्फ़ प्रेस ही नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र पर दमनात्मक कार्रवाई क़रार दिया। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने साफ़ शब्दों में लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भले ही किसी इंटरव्यू में कहा हो कि आलोचना ही लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन बार बार सिद्ध यही हो रहा है कि आलोचना करने वालों को सलाख़ों में डाल देना एक डरे हुए तानाशाह की पहली पहचान होती है।

लोक प्रकाशन लिमिटेड एक फ़र्म है, जिसके अंतर्गत गुजरात समाचार का प्रकाशन भी होता है और जीएसटीवी का संचालन भी। इसके निदेशक बाहुबली शाह की पूरी प्रोफ़ाइल क्या है? उनके भाई श्रेयांस शाह कौन हैं? और गुजरात समाचार का इतिहास आदि क्या रहा है? यह सब आपको इंटरनेट पर पढ़ने को मिल सकता है। यह भी बता दें हाल में में द वायर, 4पीएम, नेहा सिंह राठौर, मद्री काकोटी उर्फ़ डॉ. मेडूसा आदि के ख़िलाफ़ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जा चुकी है।
— आब-ओ-हवा डेस्क

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