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तंबाकू निषेध दिवस : चुनौतियां और प्रयास

 

युवा पीढ़ी बहुत तेजी से तंबाकू निर्मित पदार्थों का सेवन करने की लत के कब्ज़े में आ रही है। स्मोकिंग करना, हुक्का, कच्ची तंबाकू का सेवन, पान मसाला आदि पदार्थों का सेवन उनके स्टैंडर्ड या यूं कहें कि उनके सोसाइटी स्टेटस में शामिल हो रहा है जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।

किसी भी दिवस को मनाने की सार्थकता तो अवश्य होती है और यदि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता से संबंधित हो तो वह और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। किसी दिन को विशेष दिन के रूप में मनाने का कारण उस दिन को एक विशेष दिन बनाकर उसके दिवस के प्रयोजन को सार्थक बनाना है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस भी उन्हीं में से एक है। तंबाकू बहुत आसानी से विभिन्न रूपों में उपलब्ध होने के कारण इसका सेवन बड़े तो क्या बच्चे भी करने लगते हैं जिसमें सिगरेट व पान मसाला प्रमुख हैं।

हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। 7 अप्रैल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक प्रस्ताव डब्ल्यूएचए 42, 19 पारित किया गया, जिसमें विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आवाहन किया गया, तभी से हर वर्ष इस दिन तंबाकू के दुष्प्रभावों को लेकर जागरूकता फैलायी जाती है।

इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य तंबाकू सेवन से होने वाले नुकसान एवं स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में लोगों को अवगत करना है, जागरूक करना है एवं तंबाकू या उसके उत्पाद एवं उपभोग पर रोक लगाना या इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों को जागरूक बनाना है। यह दिवस प्रतिवर्ष तंबाकू की महामारी पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है। साथ ही, इसका उद्देश्य लोगों को तंबाकू के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले खतरे और साइड इफेक्ट को लेकर जागरूक करना और उन्हें इस चीज़ के इस्तेमाल से दूर करना है।

तंबाकू में निकोटिन नाम का एक पदार्थ होता है, जो कुछ समय के लिए तो अच्छा महसूस कराता है पर लंबे समय तक इसका उपयोग करना हृदय, फेफड़े और पेट के साथ श्वास नलिका को भी प्रभावित करता है। नशा भले ही शान और लत के लिए किया जाएं पर ज़िंदगी की बेवक्त आने वाली शाम का मुख्य कारण हैं, जो कब जीवन का अंधेरा ले आये कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ सेकंड का मज़ा कब सज़ा बन जाये, आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि तंबाकू के सेवन करने वाले का परिवार भी इससे ग्रसित हो सकता है। खासतौर पर छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका गहरा असर पड़ता है।

तंबाकू का सेवन पुरुष ही नहीं स्त्रियां भी करने लगी हैं, जोकि बहुत अधिक नुकसानदेह है। यह महिलाओं की प्रजनन संबंधी समस्याओं को बढ़ा देता है तथा ब्रेस्ट कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियां को भी बढ़ावा देता है।

तंबाकू के सेवन को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा भी कई क़दम उठाये गये हैं। 1992 में सरकार द्वारा तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया। 2003 में पारित अधिनियम *कोटपा* (सिगरेट एंड अदर प्रोडक्ट) के तहत तंबाकू उत्पादों पर सचित्र चेतावनी का प्रदर्शन भी अनिवार्य किया गया। इस कानून के तहत सार्वजनिक स्थान पर स्मोकिंग करने तंबाकू के विज्ञापन, प्रमोशन, 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू उत्पाद बेचना, शैक्षणिक संस्थानों के चारों ओर 100 गज की दूरी में तंबाकू उत्पाद की बिक्री करने पर प्रतिबंध लगाया गया। इसके बाद भी 2008, 2015 और 2017 में भी इसमें संशोधन किया गया और लगातार सरकार तंबाकू से होने वाली बीमारियों से बचने के उपायों को सार्वजनिक चेतावनी देते हुए लोगों को जागरूक करने में पूरी तरह से जुटी हुई है। 2021 में तो अट्ठारह की जगह 21 साल तक के बच्चों के लिए तंबाकू सेवन पर रोक लगा दिये जाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया।

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इन उपायों के साथ होता यह है कि फेफड़ों के नुकसान, हृदय रोग, कैंसर, अस्थमा, हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों से बचने के उपाय बताये जाते हैं। विश्व में हर साल क़रीब 70 लाख लोग इसी बीमारी से काल के गाल में समा जाते हैं। और विडंबना यह है कि इसके बावजूद व्यवस्था द्वारा तंबाकू उत्पादों के उत्पादन, खुले प्रचार, प्रसार एवं वितरण पर पाबंदी के कठोर क़दम उठाने जैसी सख़्ती दिखायी नहीं देती।

WHO हर साल इस दिन के लिए एक विशेष थीम तय करता है, जो तंबाकू नियंत्रण से जुड़ी किसी खास चुनौती पर केंद्रित होती है। 2025 की थीम (31 मई 2025) “खुली अपील: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीतियों को उजागर करना” (Unmasking the Appeal: Exposing the Industry’s Tactics on Tobacco and Nicotine Products) है। इस थीम का उद्देश्य तंबाकू उद्योग की उन रणनीतियों को उजागर करना है जो तंबाकू और निकोटीन उत्पादों को आकर्षक बनाती हैं, जिससे अधिक लोग उनका उपयोग करने लगते हैं।

तंबाकू हमारे लिए जानलेवा है यह हमें खुद समझना होगा और जल्द से जल्द इससे उबरने के लिए हमें अपने आसपास तंबाकू निषेध सेवी को प्रेरित भी करना होगा। हमें सिस्टम द्वारा चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेकर ग्राम स्तर तक लोगों को जागरूक करने का कार्य करना होगा, तभी हम तंबाकू मुक्त राष्ट्र का स्वप्न देख सकेंगे।

— मधूलिका श्रीवास्तव

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