उत्तर-उपनिवेशवाद में अस्मिता के प्रश्न

उत्तर-उपनिवेशवाद में अस्मिता के प्रश्न

         केन्याई लेखक, नाटककार और विचारक न्यूगी वा थ्योंगो का 28 मई 2025 को अमेरिका के अस्पताल में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

             उत्तर-उपनिवेशवादी साहित्य के सन्दर्भ में हम अक्सर जोसेफ़ कॉनराड के बारे में जानते हैं, जो कभी अंग्रेज़ी बोलना नहीं सीख सके लेकिन उपन्यास अंग्रेज़ी में ही लिखे, ख़ासकर ‘हार्ट ऑफ़ डार्कनेस’। इसके बरअक्स न्यूगी वा थ्योंगो ने अंग्रेज़ी में लिखना बंद करके अपनी मातृभाषा गिकायु में लिखना शुरू किया। न्यूगी का पहला उपन्यास Weep Not, Child अंग्रेज़ी में लिखा गया और Wizard of Crow पहला गिकायु भाषा में लिखा हुआ उपन्यास था।

         “The River Between” में वैयाकी नाम का नव-युवक, जिसे जन्म से ही एक भविष्यद्रष्टा और जननेता के रूप में देखा जाता है, औपनिवेशिक शिक्षा और पारंपरिक संस्कृति (अफ़्रीकी सामाजिक प्रथाओं और मिशनरी शिक्षा) के बीच बने तनाव पर चल रहा है। यह कहानी उपनिवेशवाद के प्रभाव, सामूहिक पहचान के संकट और स्थानीय संस्कृति की रक्षा के लिए उठाये गये विरोध को दर्शाती है और उसे सुलझा सकने के ईमानदार प्रयास में पैदा हुई ऊलजलूल दुश्वारियों को भी।

           अन्य महत्वपूर्ण उपन्यासों में मातीगारी शामिल है – इस के पंजाबी और हिंदी अनुवाद भी उपलब्ध हैं। यह एक क्रांतिकारी की कहानी है, जो एक औपनिवेशिक शासक को पराजित कर लौटता है, पर पाता है कि उसके लोग अब भी नव-औपनिवेशिक अभिजात वर्ग के अधीन हैं। शुरूआत में वह शांति का मार्ग चुनता है और चर्चा-मुबाहिसे के माध्यम से न्याय पाने की कोशिश करता है लेकिन जल्द ही उसे यह एहसास होता है कि स्वतंत्रता ने केवल विदेशी शासकों की जगह उन स्थानीय शासकों को दे दी है, जो वैश्विक पूंजीवादी ताकतों से मिले हुए हैं। राज्य, पुलिस, चर्च और मीडिया सभी दमन के औज़ार बन चुके हैं। उपन्यास की शुरूआत शस्त्र को दफ़ना कर शान्ति का रास्ता अपनाने से होती है और इसका अंत, एक मुरियुकि नाम के किरदार से उन्हीं हथियारों को ढूंढकर मारे जा चुके और मिथक में बदले जा चुके मातीगारी को याद करते हुए विजयगीतों को गाने से होता है।

उत्तर-उपनिवेशवाद में अस्मिता के प्रश्न

           उनके उपन्यास उत्तर उपनिवेशवादी समाजों में अस्मिता के इर्द-गिर्द पैदा हुए तनाव तथा संघर्ष का ख़ाका हैं। Decolonising the Mind में वह भाषा के एक उपनिवेशवादी फ़ंक्शन पर बात करते हैं। अफ़्रीकी भाषाओं में लिखे जाने का इसरार उनके इसी विचार का हिस्सा है। अपनी मूल भाषा में लेखन को चुनकर, न्यूगी ने सांस्कृतिक पहचान की पुनर्प्राप्ति और उपनिवेशवाद की विरासत के प्रतिरोध का रास्ता अपनाया।

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निशांत कौशिक

1991 में जन्मे निशांत ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली से तुर्की भाषा एवं साहित्य में स्नातक किया है। मुंबई विश्वविद्यालय से फ़ारसी में एडवांस डिप्लोमा किया है और फ़ारसी में ही एम.ए. में अध्ययनरत हैं। तुर्की, उर्दू, अज़रबैजानी, पंजाबी और अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित। पुणे में 2023 से नौकरी एवं रिहाइश।

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