
- July 2, 2025
- आब-ओ-हवा
- 5
(शब्द और रंग, दोनों दुनियाओं में बेहतरीन दख़ल रखने वाली प्रवेश सोनी हाल ही, क़रीब महीने भर की यूरोप यात्रा से लौटी हैं। कवि और कलाकार की नज़र से, आब-ओ-हवा के लिए अपनी इस यात्रा के कुछ विशिष्ट अनुभव क्रमबद्ध ढंग से वह दर्ज कर रही हैं। उनके शब्दों में ऐसी रवानी है कि शब्दों से ही चित्र दिखने लगते हैं। साप्ताहिक पेशकश के तौर पर हर बुधवार यहां पढ़िए प्रवेश की यूरोप डायरी - संपादक)
सैर कर ग़ाफ़िल...: एक कलाकार की यूरोप डायरी-5
ब्रसेल्स
21/4/2025
एम्स्टर्डम को बाय कहकर हम ट्रेन से ब्रसेल्स आ गये। यहां आकर हम होटल, जो एयर BNB साइट से बुक करवाया था, पहुंचे। यह साइट रेज़िडेंशियल घरों में रहने की अच्छी सुविधा करवा देती है। एक दम घर जैसा साफ़, सुंदर, सुविधाजनक वातावरण। रसोई में सभी सामान (खाने पकाने के) मिल जाता है। फ़्रिज, माइक्रोवेव, अवन, डिशवॉशर… आदि सुविधाएं। यहां आकर पहले हमने कॉफी बनायी, थोड़ा रेस्ट किया और फिर निकल पड़े घुमक्कड़ी के लिए।
ब्रसेल्स (Brussels), बेल्जियम की राजधानी और यूरोप का एक सुंदर और ऐतिहासिक शहर है। यहां कई प्रमुख स्थानीय पर्यटन स्थल हैं, जो कला, संस्कृति, वास्तुकला और इतिहास में रुचि रखने वालों को भरपूर आकर्षित करते हैं।
सबसे पहले हम सिटी सेंटर पहुंचे। हमें खाना भी खाना था, तो इंडियन रेस्टोरेंट की तलाश जारी थी। कैब से हम जिस जगह उतरे, वो शहर का सबसे व्यस्त और सुंदर हिस्सा था। सड़कें फूलों से सजी हुई थीं जैसे किसी उत्सव की तैयारी चल रही हो। हम पैदल ही चल पड़े इन नज़ारों को देखते हुए। सड़क के दोनों तरफ़ दुकानों के बाहर फूलों से सजावट थी। एक चौक जैसे स्थान पर स्ट्रीट सिंगर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा था, उसकी धुन पर एक छोटा बच्चा बेहतरीन नृत्य कर रहा था, यह देखना मोहक था। इसे देख मेरे अन्दर का संगीत प्रेम जागृत हो गया और मैं भीड़ के बीच में से रास्ता बना कर आगे जाकर मगन होकर नृत्य करते बच्चे और गायक का वीडियो बनाने लगी। कुछ देर में उसका गाना ख़त्म हुआ तो दूसरी गायिका ने माइक पकड़ लिया, गाने के बोल समझ के बाहर थे, लेकिन रिदम के सुर मन में उल्लास भर रहे थे।
फिर लोगों ने श्रद्धानुसार गायकों को बख़्शिश दी। अब हम एक और सड़क पर पहुंचे, जिसकी सजावट थोड़ी और ज़्यादा थी। चॉकलेट की ख़ुशबू हमारे नथुनों से यात्रा करके श्वासों में घुल रही थी। यहां की चॉकलेट और आलू के फ़्राइज़ पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।
इनके लिए लाल आलू का उपयोग किया जाता है, जो बहुत लज़ीज़ होते हैं। यहां से कई टन चॉकलेट दुनिया भर में निर्यात होती है और यहां की बीयर भी काफ़ी पसंद की जाती है।
हम अब यहां के ऐतिहासिक राजमहल Grand Place के सामने पहुंच गए थे। यह शहर का मुख्य चौक है, जिसे UNESCO द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया है। चारों तरफ़ सुंदर पुराने गिल्ड हॉल, सिटी हॉल और फूलों का बाज़ार। वर्ष में एक बार यहां महल के सामने की ज़मीन पर फूलों की कलात्मक सजावट की जाती है, कई टन फूल लगते हैं। देखने में वो सजावट मख़मली कालीन की तरह लगती है।
रात की रोशनी में यह स्थान बेहद आकर्षक दिखता है, हमने इसे सायंकाल के उजाले में ही देखा। यह नहीं कहूंगी कि सायं के धुंधलके में.. यहां सांझ रात के 9 बजे होती है, इसलिए उजाला ही कहूंगी। इसी चौक में एक आर्टिस्ट लाइव पेंटिंग बना रहा था और अपनी बनायी पेंटिंग्स प्रदर्शित भी उसने की थीं, बिक्री के लिए। यहां कला और कलाकार को बहुत सम्मान दिया जाता है। मैंने उनके बनाये चित्रों के कई फ़ोटो लिये। यह मेरे लिए मन को संतोष देने वाला उपक्रम था।
इधर उधर कई जगह से बहुत सारे फ़ोटो लिये, एक तरफ़ शाही बग्घी या विंटेज गाड़ी खड़ी हुई थी, हमने दूर से ही उसके साथ भी फोटो लिये क्योंकि उसे छूने और उस पर चढ़कर फोटो खिंचवाने का चार्ज 50 यूरो था। और हम ठहरे पूरे मध्यमवर्गीय, मितव्ययी भारतीय, तो आंखों में नज़ारे भरे और आगे बढ़ गये।
थोड़ी दूरी पर ही Manneken Pis (मैनेकन पिस), प्रसिद्ध बच्चे की मूर्ति जो पेशाब करता हुआ दिखता है, वहां पहुंचे। इस बच्चे के बारे में बताया जाता है जब ब्रसेल्स पर बम से आक्रमण किया जा रहा था तो इस बहादुर बच्चे ने बम पर पेशाब कर दिया, जिससे बम ब्लास्ट नहीं हुआ और लोगों की जान बच गयी। तभी से इस बच्चे को, जिसका नाम मैनेकन था, बहादुरी का प्रतीक माना गया और इस तरह से यह ब्रसेल्स की पहचान बन गया। पर्यटक इसे देखने ज़रूर जाते हैं। इस बच्चे के सुविनियर सभी शॉप्स पर विभिन्न प्रकार की साइज़ और सजावट के साथ मिलते हैं। मैंने भी एक सुविनियर ख़रीदा।
ब्रसेल्स आने के उत्साह में एक बात और शामिल थी, मेरी छोटी बेटी ने यहां लगभग 2 वर्ष तक जॉब की थी। ब्रसेल्स घूमते हुए उससे बात हुई तो उत्साहित होकर बोली कि आप मेरे ब्रसेल्स में घूम रहे हो। बच्चे कितनी जल्दी हर जगह को अपना बना लेते हैं। इनके लिए क्या परदेश और क्या देश, सब समान। पढ़ने के लिए घर छोड़ने के बाद जाने कहां कहां अपना घर बना लेते हैं।
ख़ैर, यहां के लोग किताबें बहुत रुचि से पढ़ते हैं, इंटरनेट और मोबाइल की सदी में पुस्तक प्रेम एक सुकून भरी बात लगी। ब्रसेल्स “कॉमिक बुक कैपिटल” भी माना जाता है। यहाँ टिनटिन और अन्य बेल्जियन कॉमिक पात्रों से जुड़ा संग्रहालय है।
एटोमियम, एक विशाल स्टील संरचना है जो एक आयरन क्रिस्टल को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाती है। इसमें म्यूज़ियम और देखने के लिए व्यूपॉइंट भी है। ब्रसेल्स में क्रोशिए का काम भी बहुत प्रसिद्ध है, हाथ से बनायी गयी सुंदर लेस के सजावटी टेबल क्लॉथ, कुशन की बहुत वैरायटी देखी। यहां के बाज़ार चॉकलेट की खुशबू और गरमागरम वफल से महक रहे थे। मुझे जाने क्यों बेकरी की महक अच्छी नहीं लग रही थी, चॉकलेट्स ज़रूर खरीदीं और लंच करने के लिए देशी भोजन की तलाश करने लगे। गूगल ने मदद की और हमें एक “चंडीगढ़ ऑथेंटिक शाकाहारी थाली” नाम का रेस्टोरेंट मिला। वहां पहुंचकर हमने जमकर दाल चपाती खायी और एक दो जगह घूमते हुए होटल पहुंचे।
बेल्जियम में हमें दो दिन रुकना था, अगले दिन Bruges, जो एक छोटा सा सुंदर नहरों वाला शहर है, घूमने निकल पड़े। यह बेल्जियम का बेहद ख़ूबसूरत और ऐतिहासिक शहर है, जिसे अक्सर “उत्तर यूरोप का वेनिस” कहा जाता है। यह शहर अपनी मध्यकालीन वास्तुकला, नहरों और प्राचीन गलियों के लिए प्रसिद्ध है। ब्रूज पश्चिमी बेल्जियम में स्थित है और ब्रसेल्स से लगभग 100 किलोमीटर दूर।
नाव से नहर की यात्रा यहाँ का मुख्य आकर्षण है। हालांकि हमने नाव में न बैठकर पैदल ही सड़क पर घूमना पसंद किया। विंटेज शाही घोड़ा गाड़ी चलाती सुंदर युवतियां भी मुझे आकर्षित कर रही थीं। यह आम तांगा नहीं था, माने इस पर बैठने वाले का रुतबा अलग ही दिख रहा था। उसे चलाने वाली सुंदर विदेशी बाला के हाथ में हंटर और सिर पर सुशोभित सुंदर फूलों वाला हैट शायद इसका कारण हो। सुंदर नज़ारों के साथ यहां के सुंदर लोग मेरी पसंद में शामिल हो रहे थे।
पानी पर बना यह शहर बहुत ही रोमांटिक और शांतिपूर्ण लग रहा था। सिटी स्क्वायर मार्केट, यह ब्रूज का दिल है। एक विशाल चौक जहां पुराने भवन, कैफ़े और दुकानें हैं। हमने यहां फ़्राइज़ खाये और कॉफी पी।
यहाँ स्थित बेल्फ्री टावर ब्रूज का सबसे प्रसिद्ध टावर है। यह 83 मीटर ऊँचा मीनार है, जिसमें 366 सीढ़ियाँ हैं। ऊपर से ब्रूज शहर का विहंगम दृश्य दिखता है। आवर लेडी चर्च एक और प्रसिद्ध स्थान है। यहां माइकलएंजेलो की “मैडोना और चाइल्ड” मूर्ति है। माइकलएंजेलो की यह एकमात्र मूर्ति है, जो उनके जीवनकाल में ही इटली से बाहर चली गयी थी। ख़ासियत यह है कि यहां शिशु यीशु मां की गोद में नहीं बल्कि खड़ा हुआ है। यह चर्च यूरोप के ईंट से बने सबसे ऊँचे चर्चों में से एक है।
Groeninge museum कला के लिए प्रसिद्ध इस म्यूज़ियम में बेल्जियम की शाही कला गैलरी है, जहां फ्लेमिश कलाकारों की उत्कृष्ट पेंटिंग्स रखी गयी हैं।
नहरों को छूकर आती ठंडी हवाएं हमें सिहरा रही थीं। एक गली में हमने पुरानी शॉप्स देखीं, जिन पर अलग तरह का अलाव जल रहा था, लपटें असली दिख रही थीं लेकिन वो बिजली का करिश्मा था शायद। ग्रिल पर नॉनवेज पक रहा था। हम शुद्ध शाकाहारी जीव नाक पर हाथ रख उस बाज़ार से गुज़र गये। लौटने का समय हो गया था ख़ूबसूरत नज़ारों को आंखों के साथ कैमरे में क़ैद करके ब्रसेल्स आ गये।
अगले दिन हमें पेरिस जाना था तो ‘लव एंड ब्यूटी’ सिटी को देखने का रोमांच मन में भर कर होटल जाकर सो गये।
मिलते हैं पेरिस में…
क्रमशः

प्रवेश सोनी
कविता और चित्रकला, यानी दो भाषाओं, दो लिपियों को साधने वाली प्रवेश के कलाकार की ख़ूबी यह है कि वह एक ही दौर में शिक्षक भी हैं और विद्यार्थी भी। 'बहुत बोलती हैं औरतें' उनका प्रकाशित कविता संग्रह है और समवेत व एकल अनेक चित्र प्रदर्शनियां उनके नाम दर्ज हैं। शताधिक साहित्य पुस्तकों के कवर चित्रों, अनेक कविता पोस्टरों और रेखांकनों के लिए चर्चित हैं। आब-ओ-हवा के प्रारंभिक स्तंभकारों में शुमार रही हैं।
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बैल्जियम के दो शहरों की खूबसूरती भरे दृश्य यह यात्रा वृत्तांत पढते समय दिल में समा गये। बहुत अच्छा वर्णन।
विवेक मृदुल जी धन्यवाद आपका
शानदार यात्रा का लुत्फ उठाया बिना खर्च के ।
भाषा और प्रवाह रोचक ।
फहन्यवाद प्रवेश और आबोहवा ..
बहुत सुंदर संजोया है अनुभवों को।
बधाई प्रवेश जी को।
धन्यवाद अनीता