पाब्लो पिकासो, pablo picasso

उपेक्षितों का चित्रण और पिकासो का 'नीला काल'

              यदि हज़ारों वर्षों के विश्व चित्रकला इतिहास में से पाँच श्रेष्ठ चित्रकारों को चुना जाये तो उस सूची में पाब्लो पिकासो (1881-1973) का नाम निश्चय ही शामिल होगा। बहुत कम उम्र में, पिकासो ने चित्रकला के परंपरागत मानकों को तोड़कर अपने लिए एक नया और चुनौती भरा रास्ता चुना। चित्रकला में वे हालाँकि घनवाद या क्यूबिज़्म के लिए ज़्यादा जाने जाते हैं, लेकिन उनके जीवन का सबसे रचनात्मक दौर (1901-1904), उनका नीला काल या ‘ब्लू पीरियड’ था। महज़ बीस साल की उम्र वाले नवयुवक के लिए अपनी जन्मभूमि स्पेन से दूर पेरिस आकर चित्र बनाना कम कठिन काम नहीं था।

पेरिस में उनके लिए आय का कोई निश्चित प्रबंध नहीं था। लेकिन, संघर्ष के उस दौर में भी उन्होंने परम्परागत चित्र बनाकर फ़ौरी पैसे कमाने के बजाय अपने आसपास के निर्धन और विपन्न लोगों को अपने चित्रों के केंद्र में बनाये रखा। उनकी प्रतिभा के बारे में किसी को कोई संदेह नहीं था लेकिन, खरीदारों को उनके ये चित्र आकर्षक नहीं लगे।

पिकासो के इस दौर के बारे में एक समीक्षक का कहना था– “उनके चित्र न केवल उदासी भरे थे बल्कि उनमें बेहद अवसाद और नैराश्य भी था, जिससे लोगों या खरीदारों में कोई आकर्षण नहीं पैदा हुआ। यह उनकी ग़रीबी नहीं थी, जिसने उन्हें समाज के ग़रीब, असहाय लोगों को चित्रित करने के लिए प्रेरित किया, बल्कि ऐसे चित्र बनाने के कारण वे स्वयं अपनी ग़रीबी से नहीं निकल सके।”

पिकासो के ‘नीला काल’ के बारे में उस समय के समीक्षकों की ऐसी राय के बावजूद, निस्संदेह पिकासो के ‘नीला काल’ को उनके समूचे जीवन काल का सबसे महत्त्वपूर्ण दौर माना जाता है।

पिकासो के नीला काल की सबसे सार्थक कृतियों में से एक, ‘फ्रूगल रिपास्ट’ एचिंग शैली का एक छापाचित्र है, जिसे उन्होंने 1904 में बनाया था। पिकासो ने छापाकला में कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली थी। यह छापाचित्र, पिकासो की विरल प्रतिभा का दस्तावेज़ है, जिसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि कोई चित्रकार एक सर्वथा नये माध्यम में अपने हाथ आज़मा रहा था।

इस चित्र में हम दो उदास लोगों को देख सकते हैं। चित्र में उपस्थित पुरुष न केवल ग़रीब और असहाय है, बल्कि वह अंधा भी है। महिला भी उतनी ही असहाय है। इन दोनों की शारीरिक संरचना में कुछ ख़ासियत दिखायी देती है। उनके हाथ और हाथ की उँगलियाँ उनके स्वाभाविक आकार से ज़्यादा लम्बी दिखती हैं।

चित्रकला में इसे ‘एलॉन्गेशन’ या दीर्घीकरण कहते हैं। पिकासो के इस दौर के चित्रों में आये ‘एलॉन्गेशन’, विख्यात चित्रकार एल ग्रेको (1541-1614) से प्रभावित थे। एल ग्रेको स्पेनी नवजागरण के महत्त्वपूर्ण चित्रकार थे। उन्होंने मुख्यतः ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं पर आधारित चित्र बनाये, जिनमें लंबायमान आकृतियों की उपस्थिति ने उनके चित्रों को एक अलग पहचान दी थी।

पिकासो एल ग्रेको के चित्रों के इस पक्ष से बहुत प्रभावित थे। ‘फ्रूगल रिपास्ट’ चित्र के पीछे केवल पिकासो का कौशल ही नहीं दिखता, बल्कि चित्र के पात्रों के प्रति सहानुभूति उन्हें एक महान मानवतावादी चित्रकार के रूप में प्रतिष्ठित करती है। चित्र की संरचना के पीछे उनकी समझ और योजना दर्शक को अचंभित करती है।

पाब्लो पिकासो, pablo picasso

इस चित्र को देखते हुए किसी को यह बताने की ज़रूरत नहीं होती कि पुरुष का इस महिला से गहरा रिश्ता है बल्कि; अपने अंधत्त्व के कारण वह महिला के ऊपर पूरी तरह से निर्भर भी है। अपने दोनों हाथों से उसने महिला को पकड़ रखा है। महिला यूँ तो उदासीन दिखती है लेकिन पिकासो ने अपनी नायाब संरचना के माध्यम से पुरुष और महिला के हाथों की उँगलियों के बीच एक अदृश्य बंधन दिखाया है।

साथ ही, इस चित्र को देखते हुए दर्शक की नज़र, एक निश्चित ‘विज़ुअल पाथ’ या दृष्टिपथ से संचालित होती है। दोनों के कमज़ोर बाज़ुओं और लंबायमान उंगलियों से होते हुए एक चक्राकार दृष्टि-पथ के सहारे ही दर्शक बार-बार अपनी दृष्टि को संचालित पाता है। चित्र का यह पक्ष इस चित्र को कला इतिहास में एक अद्वितीय कृति के रूप में स्थापित करता है।

अशोक भौमिक, ashok bhowmick

अशोक भौमिक

कला के क्षेत्र में बहुचर्चित अशोक भौमिक का कलाकर्म क़रीब पांच दशकों में फैला हुआ है। अनेक देशों में प्रदर्शनियां उनके नाम हैं ही, साथ ही ललित कला अकादमी नई दिल्ली, मॉडर्न आर्ट नैशनल गैलरी नई दिल्ली सहित सैन फ्रांसिस्को, जर्मनी के संग्रहालयों में भी उनकी कलाकृतियों को सहेजा गया है।

2 comments on “उपेक्षितों का चित्रण और पिकासो का नीला काल

  1. अच्छी जानकारी दी पिकासो के कला जीवन की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *