
- July 15, 2025
- आब-ओ-हवा
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मात्राभार गणना : एक मनोरंजक विधि
ग़ज़लकार कई बार शब्द विशेष के मात्रा भार को लेकर भ्रम में पड़ जाते हैं। यूं तो मात्रा भार जानने की पारंपरिक विधि है ही लेकिन इसे दूसरी विधि से भी जाना समझा जा सकता है। मैंने इसे “वर्ड रिप्लेसमेंट मैथड”/”एवज़ी शब्द कसौटी” नाम दिया है। यह भी कारगर विधि है। मेरे ग़ज़ल प्रशिक्षण सत्रों में विद्यार्थियों को यह ख़ूब रास आती है।
इसके अंतर्गत सर्वप्रथम किसी भी वज़्न में कोई ऐसा शे’र चुनिए जिसके शब्द मात्रा पतन से न गुज़रे हों अर्थात जिसके सभी शब्द उच्चारण की मूल ध्वनि के अनुरूप ही पढ़े जा सकते हों। इसे एक उदाहरण से समझिए। चार फ़ेलुन अर्थात 22 22 22 22 का आसान और सरल वज़्न चुन लेते हैं। अब कुछ डमी शब्द इस वज़्न में लिखते हैं और एक लय में पढ़ते हैं।
“ऊपर बादल काला वाला
गरजा करता बैठा ठाला”
यह हुआ हमारा डमी नंबर 1 शे’र। इसके सारे शब्द 22 के मात्रा भार में हैं। अब हमें किसी अन्य शब्द के मात्राभार को जांचना है तो इस डमी शे’र के किसी शब्द के स्थान पर अपने शब्द को रखकर लय में पढ़िए। अगर मुझे “अपमान” (जो वास्तव में पाँच मात्रिक है) शब्द के बारे में लगता है कि इसका मात्राभार 22 हो सकता है तो इसे शे’र के किसी भी शब्द (जिसका मात्राभार 22 हो, सुविधा के लिए इस शे’र के सारे शब्दों का मात्राभार 22 ही है) की जगह रखकर पढ़िए। जैसे “ऊपर” की जगह “अपमान” शब्द को रखिए और पूरी पंक्ति को लय में दो तीन बार पढ़िए। आपको अटकाव अनुभव होगा। चार छः बार उसी लय में पढ़ते चले जाएंगे तो यह प्रतीत होगा कि आप “अपमान” नहीं वरन “अपमा” उच्चारित कर रहे हैं। अब “अपमान” की जगह केवल “अपमा” को रखकर पढ़िए। आप देखेंगे इस बार लय नहीं बिगड़ेगी क्योंकि इसका मात्राभार “ऊपर” (22) के बराबर है। इसी तरह शेष सातों शब्दों की जगह भी अगर “अपमान” को रखकर पढ़ेंगे तो लय का अपमान होता हुआ पाएंगे। वहीं “अपमा” ससम्मान किसी भी शब्द की जगह फिट होगा और लय बिगड़ने नहीं देगा क्योंकि उसका मात्राभार 22 ही है। अब देखिए, “अपमा” 22 हुआ और “न” जो छूट गया था उसे मिलाकर “अपमान” का मात्राभार 221 हो गया।
यह तरक़ीब है।
अब किसी अन्य शब्द को लेते हैं। “बली” (तीन मात्रिक) शब्द को परखकर देखते हैं। आपको लगता है कि “बली” शब्द का मात्राभार 22 हो सकता है तो टेस्ट कीजिए। डमी शे’र के आठों शब्द में से किसी एक शब्द की जगह “बली” रखकर लय में पढ़िए। आप देखेंगे लय बनाये रखने में कठिनाई हो रही है क्योंकि “बली” का मात्रा भार 12 है न कि 22। अब “बली” के स्थान पर “बाली” (चार मात्रिक) रखकर पढ़िए। क्या लय में रत्ती भर भी अंतर आता है? नहीं आता क्योंकि “बाली” का मात्राभार 22 ही है। अब एक अन्य पांच मात्रिक शब्द “आपदा” आज़माइए। ध्यान बस यह रहे कि “प” पर ज़ोर दें न दें लेकिन उसकी ध्वनि स्पष्ट हो। लय में पढ़िए। क्या लय टूटती है? टूटेगी ही। आप “आपद” की ध्वनि करेंगे और नहीं तो “अप्दा” या “आप्दा” की, तभी लय में पढ़ सकेंगे क्योंकि इन तीनों खंडित शब्दों का मात्राभार 22 है। इसी तरह “शूल”, “सत्य”, “भ्रम”, “भरम” आदि शब्दों को परखिए। “भ्रम” दो मात्रिक है अतः डमी शे’र के आठों में से किसी भी एक शब्द की जगह इसे दो बार उच्चारित करना होगा जैसे:
“ऊपर बादल काला वाला
भ्रम भ्रम करता बैठा ठाला”
या
“ऊपर बादल भ्रम भ्रम वाला
भ्रम भ्रम करता बैठा ठाला”
दोनों ही स्थिति में लय नहीं बिगड़ रही है। लेकिन इसी तरह “शूल” (तीन मात्रिक) को यदि दो बार रखकर पढ़ेंगे तो लय बिगड़ जाएगी। ज़बरदस्ती करेंगे तो “शुल शुल” की ध्वनि निकलेगी जो वास्तव में 22 के मात्राभार में है।
एक अन्य उदाहरण के साथ आगे बढ़ते हैं। लय की एकसारता के लिए एक फ़िल्मी गीत के कुछ आरंभिक शब्द लेकर डमी नंबर 2 शे’र प्रस्तुत है:
“ज़िंदगी का सफ़र है अनोखा सफ़र
जिस्म समझा नहीं जान समझी नहीं”
मूल गीत की धुन आप समझ ही गये होंगे। अब इस डमी नंबर 2 शे’र में 212 रुक्न प्रत्येक पंक्ति में चार बार आता है। किसी शब्द का अगर संभावित मात्राभार अगर 212 हो तो इस डमी शेर की मदद ली जा सकती है। कैसे? यह ऊपर बताया जा चुका है। चांदनी, कारवां, आसरा, रौशनी आदि तो आसानी से परखे जा सकते हैं। कुछ शब्द जैसे बंदिनी, कशमकश, संतुलन, पूर्णिमा, व्यस्तता, अप्सरा आदि शब्दों के लिए इस डमी शेर का उपयोग कीजिए। आपका अभ्यास इस विधि को समझने में मदद करेगा। मज़े के लिए मैं अगर यूं पढ़ूं तो:
“बंदिनी कशमकश पूर्णिमा कशमकश
व्यस्तता संतुलन अप्सरा कशमकश”
इस डमी नंबर 2 शे’र को पुनः प्रस्तुत कर उसके प्रत्येक शब्द का मात्रा भार लिख रहा हूं- समझिए कि तकतीअ कर रहा हूँ…
“ज़िंदगी 212 का2 सफ़र12 है 2अनोखा 122सफ़र 12
जिस्म 21समझा 22नहीं 12जान 21समझी 22नहीं12″
अब आप इस डमी शे’र की मदद से बहुत से शब्दों का मात्रा भार जांच सकते हैं। इस शे’र में 2, 12, 21, 22, 212, 122 मात्राभार वाले शब्द हैं। 22 के जिन संभावित शब्दों को डमी नंबर 1शे’र में हमने परखा था, उन्हें यहां भी परख सकते हैं। जैसे “अपमान”। अगर हमें लगता है कि इसका मात्राभार 22 है, तो इसे डमी नंबर 2 के “समझा” या “समझी” की जगह रखकर देखिए। अगर वास्तव में इसका मात्रा भार 22 होगा, तो लय में कोई अटकाव महसूस नहीं होगा। आप इसे यूं पढ़ेंगे :
“ज़िंदगी का सफ़र है अनोखा सफ़र
जिस्म ‘अपमान’ नहीं जान ‘अपमान’ नहीं”
आप तुरंत समझ जाएंगे कि “अपमान” के लिए “अपमा” से अधिक जगह नहीं है यहां। इसी तरह “आपदा” को “ज़िंदगी” की जगह रखकर देखिए। लय नहीं बिगड़ेगी। इसी तरह “शूल”/”बली” को “जिस्म”/”नहीं” की जगह रखकर देखिए। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। यह विधि अप्रचलित शब्दों के मामले में बहुत मददगार है। शर्त केवल यह है कि आपको शब्द का शुद्ध उच्चारण अवश्य ज्ञात होना चाहिए। (शेष अगले भाग में)

विजय कुमार स्वर्णकार
विगत कई वर्षों से ग़ज़ल विधा के प्रसार के लिए ऑनलाइन शिक्षा के क्रम में देश विदेश के 1000 से अधिक नये हिन्दीभाषी ग़ज़लकारों को ग़ज़ल के व्याकरण के प्रशिक्षण में योगदान। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में कार्यपालक अभियंता की भूमिका के साथ ही शायरी में सक्रिय। एक ग़ज़ल संग्रह "शब्दभेदी" भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित। दो साझा संकलनों का संपादन। कई में रचनाएं संकलित। अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
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