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- June 14, 2025
- आब-ओ-हवा
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हवाई हादसे: विश्वास का टूटना और लापरवाही की कहानी
यह दुनिया विश्वास पर चलती है। यह विश्वास कि जिस बस, ट्रेन या विमान में हम सवार हैं, वह दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा। जब कोई व्यक्ति रेल, बस, जहाज या विमान का टिकट खरीदता है, तो वह केवल एक सेवा नहीं खरीदता, बल्कि एक विश्वास भी खरीदता है। यह विश्वास कि उसका सफर सुरक्षित होगा, उसकी जान-माल को कोई खतरा नहीं होगा। लेकिन जब यह विश्वास टूटता है, जब एक हवाई दुर्घटना जैसी त्रासदी सामने आती है, तो इन दुर्घटनाओं में इंसान ही नहीं, विश्वास भी मरता है। हाल ही में 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुई एयर इंडिया की उड़ान AI-171 की दुर्घटना, जिसमें 242 में से 241 लोगों की जान चली गई, न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि भारत में विमानन सुरक्षा के प्रति लापरवाही, कॉर्पोरेट स्वार्थ, और सिस्टम की कमियों को उजागर करने वाली मिसाल है।
▪️अहमदाबाद हवाई दुर्घटना:
12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद मेघानीनगर के रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान में 230 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य सवार थे। हादसे में केवल एक यात्री, भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक विश्वास कुमार रमेश, जीवित बचे। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और मणिपुर की दो युवा केबिन क्रू सदस्य, नगनथोई और लैमनुनथेम सिंगसन, सहित कई अन्य लोगों की इस त्रासदी में जान चली गई।प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, विमान टेकऑफ के 30 सेकंड बाद एक तेज धमाके के साथ क्रैश हुआ। विशेषज्ञों ने इंजन फेल्योर, पायलट की गलती, तकनीकी खराबी, या पायलट की थकान को संभावित कारणों में गिना। एक दावे के अनुसार विमान में क्षमता से अधिक ईंधन भरा गया था, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान हादसे की संभावना सबसे अधिक होती है, क्योंकि इस समय विमान और पायलट पर दबाव चरम पर होता है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में होने वाली 35% विमान दुर्घटनाएँ टेकऑफ या उसके तुरंत बाद होती हैं।
▪️भारत में हवाई दुर्घटनाओं का इतिहास:
लापरवाही की पुनरावृत्ति अहमदाबाद हादसा कोई अपवाद नहीं है। भारत के विमानन इतिहास में कई ऐसी त्रासदियाँ दर्ज हैं, जिन्होंने बार-बार सुरक्षा मानकों और सिस्टम की खामियों पर सवाल उठाए हैं।
▪️कुछ प्रमुख हादसे:
▪️1978, एयर इंडिया फ्लाइट 855 (मुंबई): टेकऑफ के बाद अरब सागर में क्रैश, 213 मृत।
कारण: पायलट की गलती और उपकरण खराबी।
▪️1988, इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट IC-113 (अहमदाबाद):
टेकऑफ के दौरान क्रैश, 130 मृत।
कारण: तकनीकी खराबी और खराब रखरखाव।
▪️1996, चरखी दादरी हादसा:
हवा में टक्कर, 349 मृत।
कारण: एयर ट्रैफिक कंट्रोल की गलती।
▪️2010, मंगलौर हादसा:
एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट IX-812 रनवे से फिसली, 158 मृत।
कारण: पायलट की थकान और रनवे ओवरशूट।
▪️2020, कोझीकोड हादसा: एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट IX-1344 रनवे से फिसली, 21 मृत।
कारण: खराब मौसम और मानवीय भूल।
(दोनों तस्वीरें एपी ने जारी कीं, साभार)
ये हादसे तकनीकी खामियों, मानवीय भूल, और कॉर्पोरेट लापरवाही की कहानी कहते हैं। हर हादसे के बाद जांच होती है, लेकिन सुधार अक्सर कागजी रह जाते हैं।
▪️लापरवाही के मूल में क्या?
हवाई दुर्घटनाओं के पीछे कई स्तरों पर लापरवाही और सिस्टमिक समस्याएँ हैं। इनमें कॉर्पोरेट नीतियाँ और कर्मचारियों पर बढ़ता कार्यभार भी शामिल है-
1. कॉर्पोरेट स्वार्थ और कॉस्ट कटिंग:
निजी एयरलाइंस और हवाई अड्डा संचालकों का प्राथमिक लक्ष्य लाभ कमाना है। लागत में कटौती इसका सबसे आसान तरीका है। पुराने विमानों का उपयोग, सस्ते स्पेयर पार्ट्स, और रखरखाव में कमी जैसे कदम सुरक्षा को जोखिम में डाल सकते हैं। अहमदाबाद हादसे में शामिल बोइंग 787 ड्रीमलाइनर 11 साल पुराना था, जिसने 8,000 से अधिक उड़ानें भरी थीं। अगर रखरखाव में कटौती हुई, तो यह हादसे का एक कारण हो सकता है।
2. हवाई अड्डा संचालक:
जैसे अहमदाबाद में अडानी समूह, रनवे के रखरखाव या नेविगेशनल सिस्टम में लागत बचाने की कोशिश कर सकते हैं, हालांकि यह अभी असत्यापित है।कॉर्पोरेट दबाव के कारण कर्मचारियों की संख्या कम करना या कम अनुभवी स्टाफ को नियुक्त करना भी जोखिम बढ़ाता है।
3. पायलट की थकान और बढ़ता कार्यभार:
पायलट और चालक दल पर कॉर्पोरेट द्वारा बढ़ाया गया कार्यभार एक गंभीर मुद्दा है। लागत कम करने के लिए, एयरलाइंस अक्सर कम क्रू के साथ अधिक उड़ानें शेड्यूल करती हैं, जिससे पायलटों के कार्य घंटे बढ़ जाते हैं। थकान के कारण निर्णय लेने की क्षमता कम हो जाती है, जो टेकऑफ और लैंडिंग जैसे महत्वपूर्ण चरणों में घातक हो सकता है।2010 के मंगलौर हादसे में पायलट की थकान को प्रमुख कारण माना गया। अहमदाबाद हादसे में भी, अगर पायलट थका हुआ था, तो यह उनकी प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकता था।
4. DGCA के नियम पायलटों के लिए:
अधिकतम उड़ान समय (Flight Duty Time Limitations – FDTL) तय करते हैं, लेकिन कई बार ये नियम लचीलेपन के साथ लागू होते हैं। थकान से निपटने के लिए सख्ती और बेहतर शेड्यूलिंग की जरूरत है।
5. तकनीकी और रखरखाव की कमियाँ:
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर जैसे आधुनिक विमानों का सुरक्षा रिकॉर्ड बेहतर है, लेकिन बोइंग की निर्माण प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं। अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन के एक मुखबिर ने दावा किया कि बोइंग ने 787 के निर्माण में शॉर्टकट अपनाए। भारत में विमानों के रखरखाव में ढिलाई की शिकायतें भी सामने आती हैं।रनवे का रखरखाव भी महत्वपूर्ण है। अहमदाबाद हवाई अड्डे का संचालन अडानी समूह करता है, और अगर रनवे की स्थिति खराब थी, तो यह हादसे में योगदान दे सकता है।
6. नियामक और प्रशासनिक लापरवाही:
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) और अन्य नियामक संस्थाओं पर निष्क्रियता के आरोप लगते हैं। सुरक्षा ऑडिट और नियमों का पालन सुनिश्चित करने में कमी देखी जाती है। “सुरक्षा पहले” का नारा केवल पोस्टरों तक सीमित है।
पायलटों की थकान और कार्यभार की निगरानी में भी DGCA की भूमिका महत्वपूर्ण है। अगर नियमों का उल्लंघन हो रहा है, तो नियामक की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
7. असंवेदनशीलता का रवैया:
हादसों के बाद पीड़ितों के परिवारों को समय पर जानकारी और सहायता नहीं मिलती। अहमदाबाद हादसे में मणिपुर की केबिन क्रू नगनथोई के परिवार को एयर इंडिया से तत्काल जानकारी नहीं मिली, जिससे उनका दुख बढ़ा।
▪️विश्वास का पुनर्निर्माण कैसे हो?
अहमदाबाद हादसे ने विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विश्वास को पुनर्जनन करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
▪️पारदर्शी और समयबद्ध जांच:
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की जांच में कॉस्ट कटिंग, पायलट की थकान, और रनवे की स्थिति जैसे सभी पहलुओं को शामिल करना होगा। निष्कर्षों को जल्दी और पारदर्शी रूप से सार्वजनिक करना चाहिए।
▪️सख्त सुरक्षा मानक:
DGCA को रखरखाव, पायलट प्रशिक्षण, और कार्यभार नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना चाहिए। पायलटों के लिए FDTL नियमों को और सख्त करना होगा।
▪️जवाबदेही और दंड:
लापरवाही बरतने वाली एयरलाइंस और हवाई अड्डा संचालकों पर कठोर कार्रवाई हो। मॉन्ट्रियल कन्वेंशन, 1999 के तहत पीड़ितों को तत्काल मुआवजा मिले।
▪️तकनीकी नवाचार:
AI-आधारित प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस और बेहतर एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम अपनाए जाएँ।
▪️कर्मचारी कल्याण:
पायलटों और चालक दल के लिए उचित कार्य शेड्यूल, पर्याप्त आराम, और मनोवैज्ञानिक सहायता सुनिश्चित की जाए।
▪️संवेदनशीलता और सहायता:
पीड़ितों के परिवारों को तुरंत जानकारी और सहायता दी जाए।
▪️निष्कर्ष:
ग्रह मंत्री श्री अमित शाह ने अपने बयान अहमदाबाद हवाई दुर्घटना को केवल एक हादसा बताया है। पर मैं उसे हादसा नहीं उस विश्वास का टूटना मानता हूँ जो यात्री अपने सुरक्षित सफर के लिए खरीदते हैं। यह त्रासदी कॉर्पोरेट लालच, कॉस्ट कटिंग, पायलटों पर बढ़ते कार्यभार, और सिस्टम की लापरवाही की कहानी है। पायलट की थकान जैसे मुद्दे, जो निर्णय लेने की क्षमता को कम करते हैं, हादसों के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं जितने तकनीकी खामियाँ। यह समय है कि सुरक्षा को लाभ से ऊपर रखा जाए। जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, ऐसी त्रासदियाँ बार-बार विश्वास को चूर करती रहेंगी।

पंकज निनाद
तीन दशकों से रंगकर्मी और अभिनेता के रूप में पहचान। फ़िल्म निर्माण एवं लेखन में भी सक्रिय। मिज़ाज से पंकज कवि भी हैं और लेखक भी। कुल मिलाकर साहित्य और कला जगत में अपनी एक विशिष्ट पहचान के लिए जाने जाते हैं।
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