भाषाओं के साथ ही साहित्य, कला और परिवेश के बीच पुल बनाने की इस कड़ी में एक तरफ़ इस मुद्दे पर विचार है कि सिनेमा के साथ सेंसर बोर्ड का रवैया क्या है तो दूसरी तरफ़, केन्या के अंतरराष्ट्रीय स्तर के लेखक न्यूगी वा तियोंगो के साहित्य पर एक दृष्टि भी है। विशेष बातचीत के अंतर्गत इस बार कला और साहित्य जगत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हस्ताक्षर प्रयाग शुक्ल की कहानी, और वह भी उन्हीं की ज़ुबानी। साहित्य, कला, शिक्षा आदि से संबद्ध अन्य नियमित ब्लॉग अपने तेवर और वैचारिक उष्मा के साथ हैं ही। इस अंक से कला चर्चा एक नये कलेवर में शुरू हो रही है, यहां प्रीति निगोसकर समकालीन महिला चित्रकारों और उनके रचनाकर्म से रूबरू करवाएंगी।
खूबसूरत मनमोहक पत्रिका। बधाई आदरणीय प्रयाग शुक्ल जी की बात संग्रहणीय।