भाषाओं के साथ ही साहित्य, कला और परिवेश के बीच पुल बनाने की इस कड़ी में विशेष तौर से पढ़िए मशहूर और मक़बूल कवि गोपालदास नीरज के साथ एक ख़ास बातचीत, जिसमें उन्होंने ग़ज़ल को लेकर महत्वपूर्ण बातें कही हैं। ‘हम बोलेंगे’ के बहाने अपनी दुनिया और अपने माहौल का एक जायज़ा है तो जंग के बीच खड़ी दुनिया में बच्चों के साहित्य को तह दर तह समझने के लिए एक टिप्पणी भी। साहित्य, कला, शिक्षा आदि से संबद्ध सभी नियमित ब्लॉग अपने तेवर और वैचारिक उष्मा के साथ हैं ही। इस बार से पीडीएफ़ संस्करण का रूप बदला है, संपादकीय में इसका पूरा ब्योरा।