संगीत का प्रभाव, music and science

आपने देखा मस्तिष्क के भीतर संगीत का असर?

 

             आपके भीतर संगीत का क्या प्रभाव होता है? इस बारे में आप कई तरह के शोध या रिपोर्ट्स आदि जान चुके हैं। लेकिन दो नये घटनाक्रम कुछ और पहलू उजागर कर रहे हैं। ये प्रयोग एक तो इस अर्थ में महत्वपूर्ण हैं कि आगे के महत्वपूर्ण अनुसंधानों के रास्ते खोलते हैं और दूसरे संगीत शिक्षा नीति के लिए अहम सुझाव भी प्रदान करते हैं। मस्तिष्क पर संगीत के प्रभाव को लेकर ये दो प्रयोग आपको ज़रूर जानने चाहिए क्योंकि भले ही ये घटनाएं पश्चिमी विश्व में घट रही हैं, लेकिन प्रभावित पूरी दुनिया को करेंगी।

पहला प्रयोग वाद्ययंत्र के वादन के दौरान ब्रेन रीडिंग से जुड़ा हुआ है। प्रयोगकर्ताओं ने दावा किया है कि पहली बार, संगीतकारों के दिमाग़ को वास्तव में अभिनव तरीक़े से देखा जा सकेगा। यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलगरी में ब्रेन डायनेमिक्स लैब ने अत्याधुनिक न्यूरल इमेजिंग तकनीकों और ग्लास ब्रेन विज़ुअलाइज़ेशन टूल का उपयोग करते हुए इस कल्पना को हक़ीक़त बना दिया है। इससे शोधकर्ता वास्तविक समय में किसी पियानोवादक के मस्तिष्क की गतिविधि को ट्रैक और प्रोजेक्ट करने में सक्षम हुए हैं। आइए इस प्रयोग को और सूक्ष्मता से जानते हैं।

प्रयोग : ‘न्यूरोरिसाइटल’

जब कोई पियानो बजा रहा होता है तो उसके मस्तिष्क के भीतर क्या क्रियाएं, प्रतिक्रियाएं होती हैं? या विज्ञान की भाषा में मस्तिष्क किस तरह रिएक्ट कर रहा होता है, इसे ‘न्यूरोरिसाइटल’ शब्द के ज़रिये समझाया जा रहा है। यानी संगीत वादन के समय मस्तिष्क के भीतर की अनुभूति और भावात्मक प्रतिक्रियाओं को अब वैज्ञानिक शोधकर्ता देख सकते हैं।

होगा यह कि पियानो वादक जब प्रस्तुति दे रहा होगा तब उसके सिर पर न्यूरोरीडिंग के लिए विशेष तौर पर बनाया गया एक डिवाइस लगाया जाएगा। इस डिवाइस के ज़रिये वादन की प्रस्तुति के समय जो कुछ मस्तिष्क में घट रहा होगा, वह स्क्रीन पर देखा जा सकेगा। वर्बियर संगीत उत्सव में दर्शकों/श्रोताओं के सामने यह लाइव प्रयोग किया जाएगा। वैज्ञानिक शोधकर्ताओं के साथ ही सभी दर्शक भी स्क्रीन पर मस्तिष्कीय प्रतिक्रियाओं को देख सकेंगे।

इस उत्सव में महान संगीतकारों बाख, डेब्यूसी और स्क्रिएबिन की रचनाओं को पियानो पर प्रस्तुत करेंगे युवा संगीतकार निकोलस, जो कि यूरोप में जन्मे, पले बढ़े और अमेरिका में संगीत के क्षेत्र में उच्च शिक्षित हुए हैं। पियानो वादन में उन्होंने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनायी है। वह इस प्रयोग को लेकर बेहद उत्साहित हैं, जो संगीत के मस्तिष्क पर प्रभाव के डेटा को जुटाने के मक़सद से किया जा रहा है।

अध्ययन : ब्रेनपावर/याददाश्त

यूनाइटेड किंगडम के एक्सेटर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के बाद यह नतीजा निकाला है कि वाद्ययंत्र बजाने या गाने या संगीत से जितना अच्छा जुड़ाव होता है, बाद के जीवन में मस्तिष्क उतना ही बेहतर कामकाज कर पाता है। मस्तिष्क पर उम्र का जो प्रभाव होता है या संज्ञानों को लेकर जो जोखम होते हैं, संगीत की आदतों से बहुत कम रह जाते हैं।

 

संगीत का प्रभाव, music and science

शोधकर्ताओं ने 1,500 से अधिक वयस्कों से उनकी संगीत संबंधी आदतों और क्षमताओं के बारे में डेटा जुटाया। फिर उन्हें याददाश्त, योजना बनाने, ध्यान केंद्रित करने और एक साथ कई काम करने के कौशल का परीक्षण करने के लिए कुछ टास्क दिये गये। अध्ययन के 89 प्रतिशत प्रतिभागियों ने पहले कोई संगीत वाद्ययंत्र बजाया था, और उनमें से लगभग आधे अब भी बजाते हैं। 71 प्रतिशत ने समूह गायन में भाग लिया था और 15 प्रतिशत ने व्यक्तिगत गायन प्रशिक्षण।

अध्ययन के परिणामों से पता चला जिन लोगों ने वाद्ययंत्र बजाया था, उन्होंने स्मृति और अधिशासी कार्यों में उन लोगों की तुलना में ‘काफ़ी बेहतर’ प्रदर्शन किया, जिन्होंने वादन नहीं किया था। परिणाम उन लोगों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा, जिन्होंने संगीत के साथ जीवन भर संबंध बनाये रखा। सिफ़ारिश की गयी है कि संगीत शिक्षा नीति में इस स्टडी को लागू किया जाये ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक मज़बूत संगीत नींव से अधिकाधिक लाभ मिल सके। (क्लासिकएफ़एम की रिपोर्ट्स में इन दोनों प्रयोगों की जानकारी मिलती है। तस्वीर भी इसी पोर्टल से साभार)

— आब-ओ-हवा डेस्क

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