वर्जिनिया वुल्फ, वर्जिनिया वुल्फ की किताब, प्रसिद्ध पुस्तक, विश्व साहित्य, virginia woolf, famous book, world literature, english writers, classic book, virginia woolf books
(विधाओं, विषयों व भाषाओं की सीमा से परे.. मानवता के संसार की अनमोल किताब -धरोहर- को हस्तांतरित करने की पहल। जीवन को नये अर्थ, नयी दिशा, नयी सोच देने वाली किताबों के लिए कृतज्ञता का एक भाव। इस सिलसिले में लगातार साथी जुड़ रहे हैं। साप्ताहिक पेशकश के रूप में हर सोमवार आब-ओ-हवा पर एक अमूल्य पुस्तक का साथ यानी 'शुक्रिया किताब'... -संपादक)

मेरे कमरे की कहानी और वर्जिनिया वुल्फ़ को दिल से शुक्रिया

              जब मैंने वर्जिनिया वुल्फ़ की ‘A Room of One’s Own’ पढ़ी, तो जैसे एक गूंगी पुकार को शब्द मिल गये। यह किताब मेरे जीवन में केवल एक रचना नहीं बल्कि एक रोशनी बनकर आयी। एक ऐसा आईना, जिसमें मैंने पहली बार ख़ुद को पूरी स्पष्टता से देखा। किताब पढ़ते हुए ऐसा लगा कि कोई औरत मुझसे ही मेरी भाषा में बात कर रही है। मेरे डर, मेरी इच्छाएं, मेरे सवाल सब उसमें दर्ज हैं।

भारतीय समाज में, विशेषकर मध्यवर्गीय परिवारों में, स्त्री के लिए ‘अपना’ कुछ होना वह चाहे समय हो, कोना हो, या पैसा अक्सर सबसे आख़िरी प्राथमिकता होती है। वह सदा किसी न किसी भूमिका में बंधी होती है कभी बेटी, कभी बहू, कभी माँ तो कभी पत्नी। लेकिन वुल्फ़ ने जब यह कहा कि एक स्त्री को सृजन के लिए दो चीज़ें चाहिए, एक थोड़ी-सी आय और दूसरा निजी कमरा, तो यह बात सीधे मेरे हृदय में उतर गयी।

मैंने वर्षों नौकरी की, इसलिए मेरे पास अपना धन था। लेकिन मैंने अपने आसपास ऐसी तमाम स्त्रियों को देखा है जिनके पास अपनी ज़रूरतों के लिए भी दूसरों की ओर देखने के सिवा कोई रास्ता नहीं था। वुल्फ़ की बात का यह पक्ष बहुत सच लगा कि हर स्त्री के पास उसका स्वयं का पैसा होना चाहिए, ताकि वह न केवल अपनी ज़रूरतें पूरी कर सके, बल्कि अपनी इच्छाओं और फ़ैसलों की मालिक बन सके।

इस किताब को पढ़ने का मेरे जीवन में सबसे ठोस असर यह हुआ कि मैंने अपने लिए एक कमरा बनाया। यह कमरा मेरे घर में एक ऐसा कोना है, जहाँ मैं किसी और की नहीं सिर्फ़ अपनी होती हूँ। यहाँ मैं किताबों के बीच होती हूँ, विचारों के साथ होती हूँ। यहाँ मुझे किसी से बोलने या किसी को सुनने की ज़रूरत नहीं होती… यहाँ बस मैं ख़ुद के साथ होती हूँ।

वर्जिनिया वुल्फ, वर्जिनिया वुल्फ की किताब, प्रसिद्ध पुस्तक, विश्व साहित्य, virginia woolf, famous book, world literature, english writers, classic book, virginia woolf books

इस कमरे में बैठकर मैंने जाना कि अकेले होना भी एक सौंदर्य है, अगर वह चुना गया हो। यह कमरा सिर्फ़ दीवारों और दरवाज़ों से बना कोई स्थान नहीं है। यह मेरी चेतना का विस्तार है। एक ऐसा क्षेत्र, जहाँ मैं बिना डर, बिना रोक, बिना भूमिका के, स्वयं को महसूस कर सकती हूँ। यह कमरा मुझे मेरे अस्तित्व का बोध कराता है।

वर्जिनिया, आपने जो कहा, वह मेरे जीवन में उतर गया। आपने मेरी सोच को गहराई दी, मेरी चुप्पियों को अर्थ और मेरे जीवन को दिशा दी। आप नहीं होतीं, तो शायद मैं अब भी दूसरों की ज़रूरतों में ख़ुद को भुलाये रखती। इस कमरे में बैठकर, अपनी आत्मा के सबसे क़रीब मैं आपको नमन करती हूँ, आपको धन्यवाद देती हूँ और साथ ही यह भी कहती हूँ कि हर लड़की को यह किताब अवश्य पढ़नी चाहिए।

संबंधित लिंक :
नन्हा राजकुमार: एक आवश्यक अध्ययन
‘दिवास्वप्न’ अब साकार होने लगा है

(क्या ज़रूरी कि साहित्यकार हों, आप जो भी हैं, बस अगर किसी किताब ने आपको संवारा है तो उसे एक आभार देने का यह मंच आपके ही लिए है। टिप्पणी/समीक्षा/नोट/चिट्ठी.. जब भाषा की सीमा नहीं है तो किताब पर अपने विचार/भाव बयां करने के फ़ॉर्म की भी नहीं है। [email protected] पर लिख भेजिए हमें अपने दिल के क़रीब रही किताब पर अपने महत्वपूर्ण विचार/भाव – संपादक)

डॉ. मालिनी गौतम

डॉ. मालिनी गौतम

मध्यप्रदेश के झाबुआ में जन्मी डॉ. मालिनी गौतम गुजरात के संतरामपुर में 1994 से अंग्रेजी की एसोसिएट प्रोफेसर हैं। अंग्रेजी की विशेषज्ञ होते हुए भी हिंदी साहित्य में गहरी रुचि रखती हैं। उन्होंने कविता, ग़ज़ल, नवगीत और अनुवाद में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके सात काव्य संग्रह, अनुवाद व संपादन कार्य प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी रचनाएँ कई भाषाओं में अनूदित हुई हैं। साहित्य के क्षेत्र में उन्हें परम्परा ऋतुराज सम्मान, वागीश्वरी पुरस्कार, गुजरात साहित्य अकादमी पुरस्कार, अमर उजाला भाषा बंधु सम्मान सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं। वे साहित्य और भाषा की सेतु हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *