नन्हा राजकुमार, nanha rajkumar, shukriya kitab, all time great book
(विधाओं, विषयों व भाषाओं की सीमा से परे.. मानवता के संसार की अनमोल किताब -धरोहर- को हस्तांतरित करने की पहल। जीवन को नये अर्थ, नयी दिशा, नयी सोच देने वाली किताबों के लिए कृतज्ञता का एक भाव। इस सिलसिले में लगातार साथी जुड़ रहे हैं। साप्ताहिक पेशकश के रूप में हर सोमवार आब-ओ-हवा पर एक अमूल्य पुस्तक का साथ यानी 'शुक्रिया किताब'... -संपादक)

नन्हा राजकुमार: एक आवश्यक अध्ययन

              ‘द लिटिल प्रिंस’ मेरा पसंदीदा उपन्यास है। इसे सैंट एंटोनी दे एक्ज़ूपेरी ने फ्रेंच में लिखा है, जो 1943 में प्रकाशित हुआ। इसका हिन्दी तर्जुमा लाल बहादुर वर्मा ने किया है, जिसे पुस्तक समूह ने ‘नन्हा राजकुमार’ शीर्षक से प्रकाशित किया। कब? इसकी जानकारी नहीं मिलती। पर इसके बाद हिन्द पाकेट बुक्स ने 1995 और एनसीईआरटी ने इसे 2007 में प्रकाशित किया।

यह मेरा पसंदीदा क्यों है? यह जानने के लिए बेहतर होगा कि इस उपन्यास के एक अंश से बात शुरू करूँ:

“बड़े लोगों का संख्याओं में बड़ा विश्वास होता है। उनसे आप किसी नये दोस्त के बारे में बातें करें तो वे कभी कोई सार्थक प्रश्न नहीं पूछेंगे। वे कभी नहीं पूछेंगे, “उसकी आवाज़ कैसी है? कौन से खेल खेलता है? तितलियां इक‌ट्ठी करता है?” पूछेंगे, “क्या उम्र है?
उसके कितने भाई हैं? उसका वज़न कितना है? उसके पिता कितनी तनख़्वाह पाते हैं? यही सब जानने में विश्वास होता है उनका।”

उनसे कहो, “मैंने गुलाबी ईंटों का एक मकान देखा है, जिसकी खिड़‌कियों पर जेरेनियम के फूल लगे हैं, छत पर कबूतर गुटर गूं करते हैं।” तो वे ऐसे घर की कल्पना भी नहीं कर पाएंगे। उनसे कहना चाहिए, “मैंने एक लाख की क़ीमत वाला घर देखा है।” झट बोलेंगे, “कितना सुंदर!” इसी तरह अगर उनसे कहो, “नन्हा राजकुमार बहुत आकर्षक था, हंसता था, एक भेड़ चाहता था,” और यह उसके होने के लिए उसके अस्तित्व को साबित करने के लिए काफ़ी है क्योंकि कोई होगा तभी तो भेड़ मांगेगा, तो ये लोग कंधा उचकाकर तुम्हें बच्चा समझ लेंगे। लेकिन यदि यह कहा जाये कि जिस ग्रह से वह आया था उसका नाम बी 612 है, तो वह मान जाएंगे। और फिर कोई सवाल नहीं पूछेंगे। ऐसे होते हैं ये लोग, उनसे ऐसी ही उम्मीद रखनी चाहिए। बच्चों को बड़े लोगों के प्रति बड़े धैर्य से काम लेना पड़ता है।”

कमाल की बात यह है कि पेरी शब्दों में तो बड़ों के प्रति धैर्य से काम लेने की सलाह दे रहे हैं। पर इसे पढ़ते हुए एक बच्चा भी समझ सकता है कि वे वयस्कों को बच्चों के प्रति धैर्य से काम लेने की सलाह दे रहे हैं।

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पेरी एक लेखक, कवि और विमान चालक थे। यह वो समय था जब दुनिया विश्वयुद्ध से पीड़ित थी। शायद विमान चालक होने के कारण वे नस्ल, पंथ, सत्ता और प्रभुत्व के लिए अमानुष बनी इस दुनिया को ऊपर से देख सके। उन्होंने दूसरे ग्रह से आये एक बच्चे की कहानी लिखी। जो कहती है कि ज़िंदगी की सार्थकता प्रेम और दोस्ती में है। हमारी ज़िंदगी फूल को बचाने के लिए होनी चाहिए, दूसरों पर रौब जमाने और राज्य करने के लिए नहीं।

सिर्फ़ 33 पेज के इस उपन्यास का फ़लक बहुत विशाल है। यह दूसरे ग्रह से आये एक ‘नन्हे राजकुमार’ की कहानी है। जो कुछ और दूसरे ग्रहों से होता हुआ धरती पर आकर लेखक से मिलता है। अपने इस सफ़र में वह हर ग्रह पर इंसान की मूर्खता और निरर्थकता देखता है। उसे अपने ग्रह पर एक फूल और भेड़ को बचाने की चिन्ता है। फूल को बचाने की चिन्ता प्रतीक रूप में बचपन को बचाने की चिन्ता भी है, जो इस कहानी में क़ुदरत को बचाने की चिन्ता से आ मिली है।

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चन्दन यादव, chandan yadav

चन्दन यादव

विगत तीस सालों से शिक्षा और बाल साहित्य के लिए काम करते रहे चन्दन यादव बीस साल एकलव्य में और छह साल इकतारा में रहे। बच्चों के लिए रूम टू रीड, इकतारा, एनबीटी, और एलएलएफ़ से कहानियों की 12 किताबें प्रकाशित हैं। इन दिनों स्वतंत्र रूप से विभिन्न संस्थाओं के साथ शिक्षा और शिक्षा साहित्य के काम करते हैं।

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