
- June 18, 2025
- आब-ओ-हवा
- 2
(शब्द और रंग, दोनों दुनियाओं में बेहतरीन दख़ल रखने वाली प्रवेश सोनी हाल ही, क़रीब महीने भर की यूरोप यात्रा से लौटी हैं। कवि और कलाकार की नज़र से, आब-ओ-हवा के लिए अपनी इस यात्रा के कुछ विशिष्ट अनुभव क्रमबद्ध ढंग से वह दर्ज कर रही हैं। उनके शब्दों में ऐसी रवानी है कि शब्दों से ही चित्र दिखने लगते हैं। साप्ताहिक पेशकश के तौर पर हर बुधवार यहां पढ़िए प्रवेश की यूरोप डायरी - संपादक)
सैर कर ग़ाफ़िल...: एक कलाकार की यूरोप डायरी-3
ऐम्स्टर्डम- 2
19/4/2025
Giethoorn और Zaanse Schans
गांवों का भ्रमण…
ऐम्स्टर्डम एक अनोखा शहर है। इसकी बसावट के बारे में जानना भी ज़रूरी है। यह शहर ज़्यादातर दलदली और पानी से भरी ज़मीन पर बसा हुआ है। इसे बसाने के लिए डच लोगों ने सदियों पुरानी जल प्रबंधन तकनीकों से झीलों और समुद्र के हिस्सों को बांध बनाकर, पानी पंप करके ज़मीन को सुखाया। फिर लकड़ी के लंबे और मज़बूत खंभे ज़मीन में गहराई तक गाड़े, जब तक वो मज़बूत तल तक नहीं पहुंचे। इन्हीं खंभों पर नींव बनायी और इमारतें बनायी गयीं।
जब हम कैब से घूमने निकले तो ड्राइवर ने जो हमारा ऑडियो गाइड भी था, बताया कि नीदरलैंड पानी पर बसा हुआ है। यहां की भौगोलिक स्थिति के कारण इसकी तीस प्रतिशत जगह ही रहने के लायक बनायी गयी है क्योंकि चारों तरफ़ पानी ही पानी है। बाक़ी जगह कृषि उपयोग के लिए है या ख़ाली पड़ी हुई है।
ऐम्स्टर्डम में पानी को नियंत्रित करने के लिए नहरों का जाल बनाया गया। इन नहरों द्वारा बाढ़ से बचाव और आवागमन की सुविधा मिली। खेतों में भी हमने देखा, कृषि भूमि के छोटे छोटे चौकोर भाग करके उनके चारों तरफ़ खुदाई की हुई है, जिनमें पानी भरा हुआ था। बिजली के लिए बड़े बड़े टरबाइन लगे हुए थे। ये टरबाइन दूर से बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहे थे। ऊपर हवा में किसी भी तरह के बिजली के तार नहीं दिखायी दे रहे थे। ये टरबाइन पुरानी विंडमिल का विकसित प्रारूप हैं, जिसका उदाहरण हमें हमारे अगले स्पॉट पर दिखाया गया। जहां ऊर्जा के स्रोत के लिए पवन चक्कियां बनायी गयी थीं।
हम इसी तरह की विशेषताओं से युक्त विंडमिल और नहरों वाले दो गांवों का भ्रमण करने के लिए निकले थे- Zaanse Schans और Giethoorn।
द हॉग से सुबह जल्द ही तैयार होकर ट्रेन द्वारा हम ऐम्स्टर्डम पहुंचे। यहां पहले से बुक की गयी ट्रैवलर टैक्सी में बैठकर आगे के पड़ाव की और चले। यह एक शानदार मर्सडीज़ टैक्सी थी, जिसमें ड्राइवर सहित आठ लोग बैठे हुए थे। इसमें ड्राइवर ही हमारा ऑडियो गाइड था जिसने एक स्पीकर पीछे रखा और बड़ी सावधानी से गाड़ी चलाते हुए हमें गंतव्य के बारे में सारी जानकारी इंग्लिश में दे रहा था। बिटिया ने ट्रांसलेटर का काम करते हुए उसकी कही हुई बातें हमें हिंदी में समझायीं।
1. कारख़ाने
Zaanse Schans और वहाँ के Windmills (पवनचक्कियाँ) नीदरलैंड की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक अद्भुत उदाहरण हैं। यह जगह एक तरह का “ओपन एयर म्यूज़ियम” है, जहाँ आप 18वीं और 19वीं शताब्दी के डच गांव के जीवन का अनुभव कर सकते हैं।
Zaanse Schans नीदरलैंड के “ज़ान्डम” शहर में है, जो ऐम्स्टर्डम से सिर्फ़ 20 मिनट की दूरी पर है। यह Zaan नदी के किनारे बसा है। पहले यहां 1000 से ज्यादा विंडमिल्स थीं, जो आज लगभग दस ऐतिहासिक विंडमिल के रूप में संरक्षित हैं। ये कार्यशील हैं और कुछ आज भी अपना पारंपरिक कार्य कर रही हैं। पारंपरिक कार्य में शामिल है लकड़ी के जूते (Clogs), इनका कारखाना और उत्पादन देखकर आश्चर्य हुआ। पारंपरिक डच लकड़ी के जूते बहुत सुंदर और कलात्मक लगे। ये सभी साइज़ के थे। सुविनियर भी बने हुए थे और ढाई से तीन फुट के बड़े मॉडल के रूपाकार भी, जिन पर खड़े होकर पर्यटक फोटो खिंचवा रहे थे। हमने भी इसका लुत्फ़ उठाया।
इनका उपयोग आज भी किया जाता है। इन्हें कृषक पहनकर काम करते हैं, ये फिसलते नहीं है और पानी में काम करने पर पैरों को गर्म रखते हैं, स्किन को ख़राब होने से बचाते हैं।
पनीर और चीज़ का कारख़ाना देखा, जहां हमें चीज़ निर्माण और उसे सहेजने की प्रक्रिया बतायी गयी। गाय, बकरी और भेड़ के दूध के चीज़ का स्वाद चखा, कुछ खरीदारी भी की। यहां हमने हेल्दी पशु देखे जो वहां नियत जगह पर घास खा रहे थे, इनमें भेड़ें, गायें, बकरियां और बतख़ें थे।
2. और नज़ारे
यहां घर पुरानी डच शैली के हरे रंग के, लकड़ी से बने सुंदर और पारंपरिक स्थापत्य के उदाहरण नज़र आये।
एक घड़ी संग्रहालय भी है और जॉन्स म्यूज़ियम भी, जिसमें इस क्षेत्र के इतिहास को दर्शाया गया है। समय की कमी की वजह से हम उसे नहीं देख सके। गाइड ने उसके बारे में हमें जानकारी दे दी थी।
यहाँ प्रवेश मुफ़्त है, लेकिन विंडमिल्स के अंदर जाने के लिए टिकट लेना पड़ता है। प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला यहां। सभी तरफ़ लगता है जैसे प्रकृति का सुंदर केनवास सजा हुआ है। नाव या साइकिल से भी इस जगह का भ्रमण कर सकते हैं। हमने पैदल ही इसका भ्रमण किया और सुंदर फ़ोटोग्राफ़ी भी।
यहां घूमने का सबसे अच्छा समय है वसंत (मार्च से मई) और गर्मी का मौसम। ट्यूलिप और कई प्रकार के सुंदर फूलों से सजा यह गांव हमारे यहां के बसे हुए पारंपरिक गांवों का स्वर्ग है। यहां से हम दूसरे स्पॉट पर जाने के लिए पुनः टैक्सी में बैठे। यह नहरों का गांव है।
3. पानी पर जीवन
Giethoorn, इसे “डच का वेनिस” कहा जाता है, नीदरलैंड्स के ओवरिज़ेल प्रांत में स्थित एक सुंदर और अनोखा गाँव। यह गाँव अपनी शांत नहरों, 170 से अधिक लकड़ी के पुलों और छप्पर वाली पुरानी झोपड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। Giethoorn, ऐम्स्टर्डम से लगभग 90 मिनट की ड्राइव पर है। यहां ट्रेन और बस के माध्यम से भी पहुँच सकते हैं। गाँव के केंद्र में कारों की अनुमति नहीं है इसलिए आगंतुकों को अपनी कार बाहर पार्क करनी होती है और फिर पैदल या नाव से गाँव में प्रवेश करना होता है।
Giethoorn की स्थापना 13वीं शताब्दी के आसपास हुई थी। यह गाँव मूल रूप से पीट (peat) खनन के लिए जाना जाता था, जिसके कारण यहाँ की नहरें बनीं। गाँव के अधिकांश घर छोटे द्वीपों पर बने हैं, जिन्हें पुलों के माध्यम से जोड़ा गया है।
Giethoorn हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। यहां की नावों को “पंटर” नाम से जाना जाता है। इन पारंपरिक नावों में सवारी करते हुए हमने गांव देखा। ये नावें शांति से नहरों में चलती हैं। साइकिल किराये पर लेकर भी गाँव का भ्रमण कर सकते हैं या पैदल चलकर। गाँव में कई संग्रहालय हैं जो स्थानीय इतिहास और संस्कृति को सहेजे हुए हैं।
कहने को गांव है लेकिन यहां सभी आधुनिक सुविधाएं हैं। कई होटल, गेस्टहाउस और कैंपसाइट्स हैं जो विभिन्न बजट के अनुसार उपलब्ध हैं। यहाँ का ‘De Lindenhof’ रेस्तरां, जिसे दो मिशेलिन स्टार्स से सम्मानित किया गया है, विशेष रूप से प्रसिद्ध है, हमने वहां पर गर्मागर्म कॉफ़ी का आनंद लिया।
यहां के घर इस गाँव की आकर्षक और विशिष्ट विशेषताओं में से एक हैं। झोपड़ियों पर छप्पर (thatched) से बनी छतें किसी आर्टिस्ट के लिए अपने कैनवास के लिए नयी चित्रकारी करने का आमंत्रण हैं। ये छतें घास या सरकंडे से बनायी जाती हैं, जो न केवल सुंदर दिखती हैं बल्कि प्राकृतिक इन्सुलेशन भी प्रदान करती हैं। गर्मियों में ठंडी और सर्दियों में गर्म रहती हैं।
4. पर्यटन का आकर्षण
Giethoorn के अधिकांश घर पारंपरिक डच शैली में बने हुए हैं। पुराने घर ज़्यादातर लकड़ी और लाल या पीले रंग की ईंटों से बने हैं। घरों का डिज़ाइन सादा लेकिन बेहद सुरुचिपूर्ण है, बड़ी खिड़कियाँ हैं ताकि प्राकृतिक रोशनी भरपूर मिल सके।
हर घर एक छोटे से द्वीप पर होता है और ये नहरों से घिरे होते हैं। घर तक पहुँचने के लिए लकड़ी के पुल होते हैं जो इन द्वीपों को मुख्य पथ या अन्य घरों से जोड़ते हैं। इन घरों में सुंदर बाग़-बाग़ीचे और फूलों से सजी बाहरी सजावट अनायास ही नजरों को बांध लेती है।
हर घर के सामने या पीछे ख़ूबसूरत गार्डन हैं जिनमें रंग-बिरंगे फूल, झाड़ियाँ और छोटे-छोटे फव्वारे या सजावटी तत्व मिलते हैं। Tulips और Hydrangeas जैसे फूल यहाँ आम हैं। प्रत्येक घर के पास एक छोटा सा निजी नाव घाट (dock) होता है जहाँ लोग अपनी नाव बाँधते हैं, क्योंकि नहरें ही यहाँ की “सड़कें” हैं।
हालाँकि ये घर बाहर से पारंपरिक दिखते हैं, परंतु इनमें अंदर से आधुनिक सुविधाएँ होती हैं – जैसे हीटिंग सिस्टम, वाई-फ़ाई, मॉडर्न किचन आदि।
कई घरों को छुट्टी मनाने वाले पर्यटकों के लिए vacation homes की तरह किराये पर दिया जाता है। इन घरों में रुककर लोग स्थानीय जीवनशैली का अनुभव ले सकते हैं।
क्रमशः…

प्रवेश सोनी
कविता और चित्रकला, यानी दो भाषाओं, दो लिपियों को साधने वाली प्रवेश के कलाकार की ख़ूबी यह है कि वह एक ही दौर में शिक्षक भी हैं और विद्यार्थी भी। 'बहुत बोलती हैं औरतें' उनका प्रकाशित कविता संग्रह है और समवेत व एकल अनेक चित्र प्रदर्शनियां उनके नाम दर्ज हैं। शताधिक साहित्य पुस्तकों के कवर चित्रों, अनेक कविता पोस्टरों और रेखांकनों के लिए चर्चित हैं। आब-ओ-हवा के प्रारंभिक स्तंभकारों में शुमार रही हैं।
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Yaadein tazaa ho gayi yeh padhkar. Bahut hi sundar likha hai
Thanks dear,yah sab tumhari vajah se sambhav hua ❤️