
विचार विमर्श और पुस्तक विमोचन के नाम रहा ‘जनवादी लेखक संघ’ का राष्ट्रीय सम्मेलन
‘मजाज़ हूं सरफ़रोश हूं मैं’ का विमोचन
‘जनवादी लेखक संघ’ के ग्यारहवें राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज़ 19 सितम्बर को बांदा में हुआ। ‘बोल कि सच ज़िन्दा है अब तक’ विषय पर आयोजित पहले सत्र का उद्घाटन वैज्ञानिक और शायर गौहर रज़ा ने किया, तो वहीं सेशन की विशिष्ट अतिथि सोशल और पॉलिटिकल एक्टिविस्ट सुभाषिनी अली थीं। उद्घाटन सत्र के बाद दूसरे सेशन का विषय ‘अघोषित आपातकाल के हमले और प्रतिरोध’ था। इस सेशन में चर्चित कवि शुभा, नितिशा खलको, संपत सरल, सोशल एक्टिविस्ट और लेखक भंवर मेघवंशी ने भागीदारी की। सत्र का संचालन युवा आलोचक संजीव कुमार ने किया।
अध्यक्ष मंडल में वरिष्ठ आलोचक चंचल चौहान, रेखा अवस्थी, प्रसिद्ध कवि इब्बार रब्बी, लेखक-स्तंभकार और आलोचक रामप्रकाश त्रिपाठी, उर्दू ज़बान के बड़े नक़्क़ाद अली इमाम खान शामिल थे। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में 20 सितम्बर को सांगठनिक सत्र में दीगर किताबों के साथ लेखक-पत्रकार ज़ाहिद ख़ान और मुख़्तार ख़ान द्वारा अनूदित एवं सम्पादित किताब ‘मजाज़ हूं मैं सरफ़रोश हूं मैं’ (गार्गी प्रकाशन, नई दिल्ली) का भी विमोचन हुआ। विमोचन इब्बार रब्बी, मनमोहन, चंचल चौहान, रेखा अवस्थी, डॉ. मृणाल, कामरेड सुबोध मोरे, नलिन रंजन सिंह, रामप्रकाश त्रिपाठी, अली इमाम खान, बजरंग बिहारी तिवारी ने किया। विमोचन के वक़्त किताब के अनुवादक और सम्पादक मुख़्तार ख़ान भी मौजूद थे।
ग़ौरतलब है मजाज़ तरक्की-पसंद तहरीक से जुड़े हर-दिल-अज़ीज़ शायर थे। किताब में जहां मजाज़ की दिल-आवेज़ शख्सियत और उनके अदबी, समाजी, सफ़ाक़ती और सियासी कारनामों पर मजाज़ के क़रीबियों और अज़ीज़ों हमीदा सालिम, जां निसार अख़्तर, अली सरदार जाफ़री, सज्जाद ज़हीर, फ़िराक़ गोरखपुरी, जोश मलीहाबादी, फैज़ अहमद फैज़, इस्मत चुगताई, आल-ए-अहमद सुरूर और फ़िक्र तौंसवी के आलेख हैं, तो वहीं इसमें उनका चुनिंदा कलाम भी शामिल है।
-प्रेस विज्ञप्ति
