
- October 6, 2025
- आब-ओ-हवा
- 18
(विधाओं, विषयों व भाषाओं की सीमा से परे.. मानवता के संसार की अनमोल किताब -धरोहर- को हस्तांतरित करने की पहल। जीवन को नये अर्थ, नयी दिशा, नयी सोच देने वाली किताबों के लिए कृतज्ञता का एक भाव। साप्ताहिक पेशकश हर सोमवार आब-ओ-हवा पर 'शुक्रिया किताब'.. इस बार एपीजे अब्दुल कलाम के स्वप्नों पर आधारित किताब का विस्तृत पाठ -संपादक)
प्रो. अनिल सिंह सत्यप्रिय की कलम से....
'इग्नाइटेड माइंड्स' के अप्रतिम स्वप्न और यह लौह समय
“Dream, Dream, Dream
Dreams transform into thoughts
And thoughts result in action”
– एपीजे अब्दुल कलाम
मनुष्य की जीवन यात्रा मनुष्य मन की ही यात्रा है। मन के पटल पर विविध तरह के विचारों, सपनों, अवधारणाओं, मान्यताओं, सहमतियों और असहमतियों की आवाजाही सदैव होते रहती है। मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है। “मन एव मनुष्यानाम् कारणम् बंध मोक्षयोः”। मन ही सबको यहां-वहां भटकाता है। मैं भी एक दिन भटकते हुए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी के विचार कुंज में पहुंच गया। वह बहुत ही सुंदर, अद्भुत, विलक्षण, प्रकाशवान, मन को आकर्षित करने वाला और मनुष्य जाति के लिए उपयोगी जान पड़ा। प्रेम, मानवता, त्याग, समर्पण, दृढ़ संकल्प शक्ति और प्रतिबद्ध कर्मठता की शाश्वत ख़ुशबू उस विचार निकुंज की मुझे अपनी ओर खींच रही थी और मैं उस आकर्षक विचार प्रवाह में बहता चला जा रहा था।
यक़ीनन एक संत वैज्ञानिक के मानवीय एवं मनुष्य जाति को सही अर्थों में समुन्नत करने वाले विचार अनूठे, प्रेरक और अनुकरणीय हैं। ऐसा विचार पुरुष एवं ऐसा दीदावर बड़ी मुश्किल से आकाशदीप की तरह भटकी नौकाओं को राह बताने के लिए मिलता है। मैं बेहद सौभाग्यशाली हूं कि मैंने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को भर आंख देखा और अपने बीच पाया है। उन्हें इस धरती पर पूरी प्रतिबद्धता, तन्मयता एवं समर्पण के साथ दायित्व का निर्वहन करते हुए देखा है इसलिए ये आंखें धन्य हैं। वैसे तो सबके अलग-अलग देवता होते हैं, लेकिन मेरे लिए ‘कलाम साहब’ ही जीवन्त देवता हैं। सौभाग्य ही है कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को एक शिक्षक के नाते मुझे उनकी बेहद प्रेरणादाई विचार पुस्तक ‘इग्नाइटेड माइंड्स’ Ignited Minds को पढ़ाने का अवसर मिला है। इस पुस्तक को पढ़ाने के बहाने ख़ुद को पढ़ने, जांचने, परखने का मनोनुकूल अवसर बेहद आनंदवर्धक एवं प्रेरणादाई है।
15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे एपीजे कलाम का जीवन बेहद दिलचस्प, मर्मस्पर्शी और प्रेरक है क्योंकि इस जीवन में पेपर हाॅकर से लेकर प्रख्यात वैज्ञानिक- ‘मिसाइल मैन’ और फिर 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति बनने तक की कहानी समाहित है। उन्होंने 1998 में भारत के पोखरण-II परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वैज्ञानिक उपलब्धियों के अलावा, डॉ. कलाम शिक्षा और युवा विकास के एक उत्साही समर्थक रहे और युवा मस्तिष्कों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करने पर ध्यान केंद्रित करते थे। उनके दूरदर्शी विचारों और राष्ट्रीय विकास के प्रति समर्पण ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण (1981) पद्म विभूषण (1990) और भारत रत्न (1997) सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार दिलाये। एक विचार पुस्तक के रूप में, ‘इग्नाइटेड माइंड्स’ विश्व भर के पाठकों, विशेष रूप से युवाओं में ज्ञान और नवाचार की भावना का संचार करने में सफल मानी जाती है।

यह पुस्तक भारत के युवाओं की क्षमता का गहन अध्ययन विश्लेषण करती है, उन्हें बड़े सपने देखने, नया सोचने और सामान्यता से ऊपर उठकर देश को एक वैश्विक महाशक्ति बनाने का आह्वान करती है। वह पाठकों को अपनी मानसिकता बदलने, नवाचार को अपनाने और आत्मविश्वास व लचीलेपन की भावना को बढ़ावा देने की चुनौती एवं चुनाव का बिगुल फूंकती है। इस नाते “इग्नाइटेड माइंड्स” आत्म-खोज और राष्ट्रीय गौरव की यात्रा पर निकलने के लिए उन्हें आमंत्रित करती है, जो भारत और विश्व के बेहतर और उज्ज्वल भविष्य का साहसपूर्ण सपना देखते हैं।
इग्नाइटेड माइंड्स की महत्ता और प्रासंगिकता इसलिए भी है क्योंकि यह युवाओं को विशेष रूप से संबोधित है। आज हम देख रहे हैं कि युवाओं को देश के समावेशी हित में प्रयुक्त करने के बजाय शासन और सत्ता उन्हें धर्म के नाम पर उन्मादी, वबाली, हिंसक, अराजक, सिरफिरा बनाकर करणीय कर्म से विमुख कर रही है। एक तरफ़ कांवर ढोने वाले युवाओं को नकारात्मक दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए उन पर फूल बरसा रही है, उन्हें आर्थिक सहायता दे रही है तो दूसरी ओर ज्ञान-विज्ञान के प्राथमिक केंद्रों, स्कूलों और संस्थाओं को धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है और उन्हें निजी हाथों में, लूटने के लिए छोड़ा जा रहा है। ऐसे विषम और सत्तालोलुप समय में यह “इग्नाइटेड माइंड्स” भटकावों पर विराम लगाने वाली प्रेरणादाई पुस्तक है। इसमें महात्मा गांधी, गेटे, विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, तिरुक्कुरल, अब्राहम लिंकन, मैक्समूलर जैसे महापुरुषों के विचारों को भी समायोजित कर पुस्तक की गुणवत्ता बढ़ायी गयी है। इससे कलाम साहब की व्यापक और गहन अध्ययनशीलता का पता चलता है।
कलाम साहब की कल्पना का भारत
इस पुस्तक में निहित सिद्धांतों को आत्मसात कर भारत और उसका युवा भटकाव और पतन से बचकर विश्व मानवता के लिए उपादेय बन सकता है। इस पुस्तक के प्रशंसकों में एक प्रसिद्ध लेखक, विचारक और पत्रकार खुशवंत सिंह जी लिखते हैं- “कलाम महान स्वप्नों के दृष्टा हैं… इग्नाइटेड माइंड्स उन युवाओं के मस्तिष्क में आग लगा देगा, जिनके लिए यह मुख्य रूप से लिखी गयी है।”
डॉ. एपीजे कलाम जी भविष्यदृष्टा चिंतक हैं। “इग्नाइटेड माइंड्स” में एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं, जहाँ भारत एक विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र बनेगा। यह पुस्तक राष्ट्र और उसके लोगों की क्षमता में उनके गहरे विश्वास से प्रेरित है, जिसमें दृढ़ संकल्प और एक ठोस कार्ययोजना पर आधारित व्यावहारिक स्वप्न का रोडमैप बुना गया है। इसकी प्रेरणा उनके शिक्षक वैज्ञानिक और राष्ट्रपति बनने के दौरान प्राप्त अनुभवों और अवलोकनों से उपजी है। इनसे उनके विश्वास को पुष्ट किया है कि भारत में एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए आवश्यक सभी आवश्यक संसाधन और प्रतिभाएँ हैं। केवल इन युवा मन में आशा चिनगारी जगाने और विकास के सामूहिक लक्ष्य की दिशा में उनकी ऊर्जा का उपयोग करने की ज़रूरत है।
कलाम बड़े सपने देखने और दृढ़ संकल्प को पोषित करने में विश्वास करते हैं। उनका मानना है कि सपना (हैपोथेसिस) हक़ीक़त की ओर बढ़ने वाला पहला कदम है इसलिए प्रत्येक भारतीय से देश के उज्जवल एवं बेहतर भविष्य की कल्पना करने और बड़ा सपना देखने का आह्वान करते हैं। भारत का युवा मस्तिष्क कलाम के दृष्टिकोण के सपनों का केंद्र हैं इसलिए विशेष रूप से आह्वान उनसे ही है। वे युवाओं में सृजनात्मक एवं आकांक्षात्मक सोच की संस्कृति को बढ़ावा देकर विकसित भारत के निर्माण हेतु रचनात्मक विकास की अपील करते हैं। कलाम का विश्वास इस बात में निहित है कि आत्मनिर्भर और विकसित भारत का सपना सामूहिक प्रयास और अटूट दृढ़ संकल्प से संभव है। उनका मानना है विकास का मार्ग सपनों और उन्हें साकार करने की दृढ़ प्रतिबद्धता से प्रशस्त होता है। “इग्नाइटेड माइंड्स” में कलाम युवाओं को बड़े सपने देखने और उन पर दृढ़ संकल्पित होकर अडिग रहकर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
कैसा हो शिक्षा का ढांचा?
“इग्नाइटेड माइंड्स” में, एपीजे अब्दुल कलाम भविष्य के नवप्रवर्तकों को निखारने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका को चिन्हित करते हैं, जिसकी सहायता से भारत को एक समृद्ध और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर ले जाया जा सके। इसलिए वे मौजूदा शिक्षा प्रणाली के आलोचनात्मक विश्लेषण और छात्रों में रचनात्मकता एवं नवाचार को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं। वे ऐसी शिक्षा पर बल देते हैं जो समग्र विकास पर केंद्रित होते हुए अधिक संवादात्मक भी हो ताकि अवधारणाओं की गहरी समझ को बढ़ाकर छात्र जागतिक परिस्थितियों में सैद्धांतिक ज्ञान की व्यवहारिकता से परिचित हो सकें। कलाम शिक्षा में तकनीक के एकीकरण की सराहना करते हैं। इस हेतु इंटरैक्टिव लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, शैक्षिक सॉफ़्टवेयर और ऑनलाइन संसाधन को मज़बूत करने पर बल देते हैं। साथ ही, छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर की उपलब्धता चाहते हैं। कलाम शिक्षकों को न केवल शिक्षक, बल्कि ज्ञान और नवाचार के सूत्रधार बनने के लिए प्रशिक्षित और सशक्त बनाने के महत्व पर भी ज़ोर देते हैं। छात्रों को समूहों में काम करने और सामुदायिक मुद्दों से निपटने के लिए प्रोत्साहित करने की बात कहानी के माध्यम से समझाते हैं।
छात्रों में ज़िम्मेदारी की भावना और समस्या-समाधान कौशल का विकास होना ज़रूरी है। ऐसी पहल शिक्षकों को करना चाहिए ताकि छात्रों को चुनौतियों के प्रति अपने दृष्टिकोण में सक्रिय और नवोन्मेषी होने में मदद मिल सके। इस रूप में शिक्षक की भूमिका युवाओं का दिग्दर्शन कराने में स्वतः अहम बन जाती है। कलाम का मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों, उद्योगों और अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोगात्मक प्रयास होते रहना चाहिए। इस हेतु विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को उद्योग जगत के अग्रणी लोगों से मिलकर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए, जो वर्तमान तकनीकी, प्रगति और उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप हों।वे कहते हैं इंटर्नशिप, कार्यशालाएँ और वास्तविक दुनिया की परियोजनाएँ छात्रों को अमूल्य व्यावहारिक अनुभव और पेशेवर दुनिया की अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। फलतः कुशल नवप्रवर्तकों को गढ़ने में शिक्षा की भूमिका से रचनात्मकता, आलोचनात्मक दृष्टिकोण और व्यावहारिक समस्या-समाधान कौशल का पोषण अपेक्षित है। तकनीकी एकीकरण, समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करने और उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के माध्यम से वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाकर, भारत राष्ट्रीय प्रगति और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए सक्षम युवा पीढ़ी तैयार किया जा सकता है।
विकास में विज्ञान व युवा की भूमिका
“इग्नाइटेड माइंड्स” में, एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रीय विकास के लिए प्रौद्योगिकी और विज्ञान के महत्व को रेखांकित करते हैं। कलाम उत्साहपूर्वक तर्क देते हैं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आधुनिक प्रगति न केवल भारत के विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदलने के लिए प्रेरणाप्रद हैं। भारत को महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रमों में मिली सफलताएँ यथा- मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, कृषि उत्पादकता में सुधार आदी इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इसलिए युवा मन प्रयोग करने और नये विचारों की खोज करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मानते हैं कि युवा किसी भी राष्ट्र की प्रगति की आधारशिला होते हैं। युवाओं में क्षमता अपार है और उनमें राष्ट्र को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाने के लिए आवश्यक प्रेरणा, रचनात्मकता और नवोन्मेषी भावना मौजूद रहती है। ज़रूरत है उन्हें अवसर उपलब्ध करवाकर उनकी ऊर्जा को नयी दिशा देने की। उन्हें अपने विचारों को वास्तविकता में बदलने के लिए आवश्यक संसाधन, प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त होने चाहिए। उद्यमिता की मानसिकता विकसित करने, युवाओं को जोखिम उठाने, रचनात्मक रूप से सोचने और देश की चुनौतियों का समाधान विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कलाम जी ने रोडमैप डिज़ाइन किये हैं ताकि उनका क्रियान्वयन कर हम विकसित राष्ट्र बन सकें। कलाम का विकसित भारत का दृष्टिकोण युवाओं के सशक्तिकरण से गहराई से सम्बद्ध है। युवा न केवल देश का भविष्य हैं, बल्कि वर्तमान भी हैं और उनका आज का योगदान कल के भारत को आकार देगा। इस लिहाज़ से “इग्नाइटेड माइंडस” एक सफल मार्गदर्शिका है।
सम्पूर्ण मानव जाति से प्रेम करने वाले डॉ. कलाम जी का मानना रहा कि ज्ञान-समाज का निर्माण भारत की प्रगति और समृद्धि के लिए बेहद ज़रूरी है क्यों कि ऐसे समाज की भूमिका समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण में अहम होती है। ज्ञान की परिवर्तनकारी शक्ति का सही ढंग से उपयोग करने से नवाचार की गति को बल मिलता है, जिससे आर्थिक विकास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार संभव होता है।
मानवीय संवेदना और वैश्विक सोच के धनी डॉ. कलाम जी मानते हैं विभिन्न क्षेत्रों, विशेष रूप से उद्योग और शिक्षा के बीच सहयोगात्मक प्रयासों से नवाचारी जीवन दृष्टि का विकास होने से देश समृद्ध और समुन्नत होगा। इसलिए भी नवाचार ज़रूरी है। उनकी दृष्टि में शैक्षणिक संस्थान नये विचारों और आलोचनात्मक सोच के लिए ऊर्जास्थल के रूप में कार्य करते हैं, जबकि उद्योग इन नवाचारों को उड़ान भरने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा, संसाधन और व्यावहारिक अनुप्रयोग के अवसर उपलब्ध कराते हैं इसलिए कलाम पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का सुझाव देते हैं, जहाँ शैक्षणिक अनुसंधान उद्योग की आवश्यकताओं के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हो, जिससे सैद्धांतिक ढाँचों से व्यावहारिक अनुप्रयोगों तक ज्ञान का निर्बाध हस्तांतरण सुगम हो सके। वे मानते हैं सहयोग एवं तालमेल से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों एवं अग्रणी उद्योगों के बीच तकनीकी प्रगति संभव हुई है। शैक्षणिक परिसरों में संयुक्त अनुसंधान पहल, इंटर्नशिप और टेक पार्क इस सहजीवी संबंध को पोषित करने के माध्यम बने हैं। ऐसे पारम्परिक सहयोग उद्योग की चुनौतियों का हल तो देंगे ही, साथ ही छात्रों में व्यावहारिक अनुभव और उद्योग की गतिशीलता की स्पष्ट समझ भी विकसित करेंगे।
कलाम देश में ऐसे परिदृश्य के हिमायती रहे हैं, जहाँ उद्योग शैक्षणिक संस्थानों को वित्तीय सहायता के अतिरिक्त भी कुछ दें। इसलिए वे सक्रिय सहभागिता का एक मॉडल रचते हैं, जहाँ उद्योग के पेशेवर पाठ्यक्रम, अतिथि व्याख्यानों और मार्गदर्शक-नेतृत्व वाली परियोजनाएं हों। ऐसे जीवन्त पारस्परिक संवाद ही शिक्षा और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के बीच की दूरी को मिटा सकते हैं। अतः शिक्षा प्रणाली को प्रासंगिक और भविष्योन्मुखी बनाने पर ज़ोर देते हैं। इसके अलावा, तकनीकी इनक्यूबेटर और नवाचार केंद्रों की मदद से छात्र, शोधकर्ता और औद्योगिक विशेषज्ञ अत्याधुनिक परियोजनाओं के लिए सहयोगी हो सकते हैं। ऐसे उत्कृष्टता केंद्र राष्ट्रीय महत्व के क्षेत्रों, जैसे ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और डिजिटल प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित कर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों की प्रगति को गति दे सकते हैं।
निष्कर्षतः, रणनीतिक उद्योग-अकादमिक सहयोग के माध्यम से एक ज्ञानवान समाज का निर्माण भारत के विकसित राष्ट्र बनने के दृष्टिकोण का मूल है। फलतः देश के युवाओं को राष्ट्र को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित एवं प्रतिबद्ध होना चाहिए। इसलिए निरंतर सीखने, ज्ञान साझा करने और सामूहिक प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता कलाम के चिंतन के केन्द्र रहे हैं।
सियासत और समाज के लिए रोडमैप
“इग्नाइटेड माइंड्स” में विज़नरी और सच्चे देशप्रेमी, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय विकास की यात्रा में नैतिक मूल्यों और नैतिकता की भूमिका को अपरिहार्य मानते हैं। उनका मानना है किसी राष्ट्र की सच्ची प्रगति केवल आर्थिक या तकनीकी प्रगति से नहीं, बल्कि उस नैतिक आधार से मापी जानी चाहिए। वैसे भी भौतिक उपलब्धि और सफलताएं नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य के अभाव में खोखली होती हैं। इसलिए वे सतत विकास और किसी भी राष्ट्र-निर्माण में नैतिक नेतृत्व का होना आवश्यक मानते हैं। नैतिक नेतृत्व सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता और सर्वहित के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता के सिद्धांतों पर आधृत होता है। कलाम मानते हैं ऐसे नैतिक मूल्यों को धारण करने वाले नेता समाज में विश्वास और सम्मान की प्रेरणा बनते हैं और नैतिक ताने-बाने को मज़बूत करते हैं। ये नेता आदर्श के प्रस्तोता बनकर देश की दीर्घकालिक सफलता और राष्ट्रीय कल्याण भावना को पुष्ट करते हैं। इस प्रेरक ग्रंथ में कई प्रेरक व्यक्तियों के उदाहरण दिये गये हैं। वहीं, मेरे जैसे लोगों के लिए श्रद्धेय कलाम जी का पूरा जीवन नैतिकता आदर्श सादगी समर्पण दायित्वों के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता का पर्याय रहा है। अपनी उदात्त कार्य व्यवहार एवं नैतिकता समर्पण के कारण वे मुझे किसी फ़रिश्ते से कम नहीं लगते।
यह पुस्तक मूल्य-आधारित विकास एवं सम्वृद्धि के व्यापक प्रभाव को शिद्दत से रेखांकित करती है। अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के समर्पण, कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता और महात्मा गांधी के नैतिकता एवं प्रतिबद्धता से लबरेज़ सत्य-अहिंसा के सिद्धांत और शक्तियों के रचनात्मक प्रभाव को भारतीय समाज एवं राष्ट्रीय आंदोलनों के संदर्भ में वे चिह्नित करते हैं।
भारत के समग्र विकास- सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक विकास के लिए “इग्नाइटेड माइंड्स” के पन्नों से गुज़रकर गंभीर दायित्व बोध का अनुभव होता है। डॉ. अब्दुल कलाम जी देश के विकास की केवल तस्वीर ही नहीं पेश करते बल्कि वे विकासशील भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी और नैतिकतापूर्ण नेतृत्व के लिए एक रोडमैप भी सुझाते हैं। देशहित में रोडमैप के विधायक बिन्दुओं को साकार करने के लिए युवाओं के साथ समस्त देशवासियों को कर्मयोगी बनने का आग्रह करते हैं। इस दृष्टिकोण के केंद्र में एक एकीकृत प्रयास की महत्वपूर्ण आवश्यकता निहित है। भारत को विकसित राष्ट्र में रूपांतरित करने के लिए एकीकृत सामंजस्य से मज़बूत शिक्षा प्रणाली, अत्याधुनिक तकनीक, सशक्त युवा और अटूट नैतिकता जैसे घटकों पर ईमानदारी से कार्य करने की जबाबदारी स्वीकारनी होगी। यह एकीकृत प्रयास ही आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत की रीढ़ है। सामूहिक प्रयास और उत्कृष्टता की निरंतर खोज समग्र विकास के लिए अनिवार्य है। केवल सपने देखने से सपने पूरे नहीं होते हैं। इसके लिए प्रतिबद्धता और आकांक्षाओं के साथ कार्य भी होना चाहिए। देश को प्रगतिशील समृद्धिशाली और आत्म निर्भर बनाने में युवाओं को मशालवाहक के रूप में देखा जाता है और देखा जाना भी चाहिए।
युवा अपनी प्रतिबद्धता एवं नवोन्मेषी विचार के सहारे पारंपरिक सोच की बेड़ियों को तोड़कर देश को अभूतपूर्व विकास और प्रगति के युग की ओर ले जा सकते हैं। हालाँकि यह आह्वान केवल युवाओं तक ही सीमित नहीं है अपितु प्रत्येक भारतीय जिज्ञासु मन को पोषित करके, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी संभावनाओं को गति देकर विवध कल्याणकारी क्षेत्रों में अवसर पैदा करके एवं ईमानदारी और दूरदर्शिता के साथ राष्ट्र का नेतृत्व करके प्रत्येक व्यक्ति से देश हित में योगदान का आग्रह है। रचनात्मक परिवर्तन के लिए नवीन नीतियों, गतिशील नेतृत्व और एक सक्रिय नागरिकों की आवश्यकता होती है जो राष्ट्र की प्रगति के लिए स्वयं को उत्तरदायी मानता हो। डॉ. कलाम महान स्वप्न को पूरा करने के लिए समर्पण की भावना का उत्साहपूर्वक आह्वान करते हैं- “एक ऐसे भारत का निर्माण करना जो वैश्विक मंच पर ऊंचा स्थान प्राप्त करे, एक ऐसा राष्ट्र जहां समृद्धि और शांति साथ-साथ चलते हैं, जो लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति और अथक प्रयासों से संचालित होते हैं।”
इस तरह “इग्नाइटेड माइंड्स” जागतिक चुनौती से लड़ने के लिए विश्वसनीय आह्वान है। विकसित भारत के स्वप्न अडिग संकल्प के साथ एकीकृत सामंजस्य से कार्य करने से मूर्त वास्तविकता बनने में देर नहीं लगेगी। राष्ट्र के गौरवशाली भविष्य के लिए डॉ. कलाम जी नवाचार और ज्ञान अर्थव्यवस्थाओं द्वारा तेज़ी से संचालित हो रहे विश्व में “युवाओं के प्रज्ज्वलित मस्तिष्क” को पृथ्वी पर, पृथ्वी के नीचे और पृथ्वी के ऊपर सबसे शक्तिशाली संसाधन मानते हैं। उन्हें चाहिए कि नवाचार, कौशल उन्नयन, आलोचनात्मक दृष्टि सकारात्मक और वैज्ञानिक सोच के सहारे बड़े लक्ष्य के लिए आगे बढ़ें। उनका दृढ़ विचार रहा है कि वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति,”उच्चतर आत्मा” और दृढ़ नैतिक मूल्यों द्वारा संचालित होकर राष्ट्र के लिए ही नहीं बल्कि समस्त मनुष्य जाति के कल्याणकारी एवं व्यापक हित के लिए क्रियाशील होनी चाहिए।

यक़ीनन एक संत वैज्ञानिक और विज़नरी द्वारा विरचित “इग्नाइटेड माइंड्स” नामक पुस्तक मानवीय क्षमता के फलीभूत क्रियान्वयन के एक सार्वभौमिक और शाश्वत पाठ की तरह है। इसे केवल एक पुस्तक समझना भूल होगी। यह विश्व मानव के उद्धार की संजीवनी है। वह भी ऐसे लौह समय में जब मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन बना हुआ है। जहां धर्म और जाति में संघर्ष चरम पर हैं; जहां प्रेम और करुणा के स्थान पर हिंसा, शोषण और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का बोलबाला है; जहां नैतिकता एवं चरित्र तार-तार होकर हाशिये पर विलाप कर रहे हैं… ऐसे जटिल और स्वार्थी समय में यह पुस्तक हमें आश्वासन देती है, ढांढ़स बंधाती है, प्रेरणा देती है। मुझे असहनीय मानसिक दुःख एवं पीड़ा तो तब और अधिक होती है जब इन बहुमूल्य एवं अनमोल सुझावों को सरकार दरकिनार कर केवल अपनी सत्ता चलाने एवं कुर्सी बचाने के लिए हममें एकीकृत सोच और सौहार्द्र विकसित करने के बजाय केवल हमें धर्म, जाति, सम्प्रदाय के नाम पर अपने ही देश में लड़ाती ही रहती है। इसी दोहरेपन को देखते हुए एम.वी. कामथ लिखते हैं-
“इग्नाइटेड माइंड्स’ एक ऐसी पुस्तक है, जिसे नेताओं और नेतृत्वकर्ताओं द्वारा अवश्य पढ़ा जाना चाहिए, युवा और वृद्ध सभी को तथा उन सभी को जो अपने देश से प्रेम करते हैं… कलाम ने वह कहने का साहस किया है, जिसे कहने की बहुत समय से आवश्यकता थी, लेकिन जो अनकहा रह गया…” आइए, हम सब मिलकर ‘इग्नाइटेड माइंड्स’ में निहित विचारों और सुझावों का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन व्यवहारिक जीवन में करते हुए विश्व-शांति और समृद्धि में अमूल योगदान सुनिश्चित करें ताकि सबके चेहरे पर समग्र विकास की रोशनी और ख़ुशहाली उतर सके। डॉ. कलाम जी की ही कविता का ज़िक्र करना मुझे ज़रूरी लगता है, जो इसी पुस्तक मे संग्रहित है:
Me and My Nation-India
“As a young citizen of India,
armed with technology, knowledge and love
for my nation,
I realize, small aim is a crime.
I will work and sweat for a great vision,
the vision of transforming India into a developed nation
powered by economic strength with value system.
I am one of the citizens of a billion,
only the vision will ignite the billion souls.
It has entered into me,
the ignited soul compared to any resource,
is the most powerful resource
on the earth, above the earth and under the earth.
I will keep the lamp of knowledge burning
to achieve the vision-Developed India.”
( मैं और मेरा देश-भारत
भारत के एक युवा नागरिक के रूप में, तकनीक, ज्ञान और अपने देश के प्रेम से लैस, मुझे लगता है कि छोटा लक्ष्य एक अपराध है। मैं एक महान कल्पना के लिए काम करूँगा और पसीना बहाऊँगा, भारत को आर्थिक शक्ति और मूल्य जनित दृष्टि से विकसित देश में रूपांतरित करने के लिए। मैं एक अरब नागरिकों में से एक हूँ, केवल यही दृष्टिकोण अरबों आत्माओं को करेगा प्रज्ज्वलित। यह मुझमें घर कर चुका है, प्रज्ज्वलित आत्मा, अन्य संसाधन की तुलना में, पृथ्वी पर, पृथ्वी के ऊपर और पृथ्वी के नीचे, सबसे शक्तिशाली संसाधन है। मैं ज्ञान का दीप जलाये रखूँगा विकसित भारत के लक्ष्य को पाने के लिए)
निष्कर्ष रुप में हम कह सकते हैं जैसे जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस एवं यूके आदि अन्य विकसित देश अपने विकास के लिए कार्य योजना बनाकर निर्माण कार्य करते हैं, इसी तरह डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी भी चाहते थे कि भारत भी विकसित भारत का रोडमैप बनाकर उसी दिशा में नैतिकता और विज्ञान का समन्वय कर सहकार भाव से नवोन्मेषी दृष्टियों का विस्तार कर नयी ऊंचाइयां आयाम प्राप्त कर शक्तिशाली और समृद्ध देश बने। पुस्तक “इग्नाइटेड माइंड्स” इस रूप में संजीवनी है जिसमें निहित सुझावों का अनुपालन कर हम विकसित देश बन सकते हैं। किंतु दुर्भाग्य यह है कि आज भारत के रहनुमा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति उदासीन हैं। फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए कि किसी श्रेष्ठ अगुवाई में भारत बहुमूल्य सुझावों को आत्मसात् कर समग्र रूप से विकसित भारत बनेगा।
(क्या ज़रूरी कि साहित्यकार हों, आप जो भी हैं, बस अगर किसी किताब ने आपको संवारा है तो उसे एक आभार देने का यह मंच आपके ही लिए है। टिप्पणी/समीक्षा/नोट/चिट्ठी.. जब भाषा की सीमा नहीं है तो किताब पर अपने विचार/भाव बयां करने के फ़ॉर्म की भी नहीं है। edit.aabohawa@gmail.com पर लिख भेजिए हमें अपने दिल के क़रीब रही किताब पर अपने महत्वपूर्ण विचार/भाव – संपादक)

प्रो. अनिल सत्यप्रिय
अंग्रेज़ी और इतिहास में मास्टर्स के बाद अंग्रेज़ी में शोध उपाधि। इन दिनों प्राध्यापक और अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष। हिंदी और अंग्रेज़ी में काव्य एवं साहित्य की एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। विंध्य लिटरेरी फ़ाउंडेशन के साथ ही ह्यूमन एंड नेचर केयर सोसायटी के संस्थापक।
Share this:
- Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to share on Reddit (Opens in new window) Reddit
- Click to share on Pinterest (Opens in new window) Pinterest
- Click to share on Telegram (Opens in new window) Telegram
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp
- Click to share on Bluesky (Opens in new window) Bluesky

पुस्तक के व्याज से बहुत उद्दीप्त विचारणीय मुद्दों पर ध्यानाकर्षण करते हुए श्लाघनीय लेख है।
निस्संदेह पुस्तक पढ़ने के लिए बहुत प्रेरक भी है।
Motivating book which will be the torch bearer paving the path for developing nation like us to rule the world map a must have in book shelves
A must have in the shelves, motivating book which is a torch bearer and paving the path for developing nations like us , to rule the world map
Really its a great book and it has been a journey in itself… Beshak hum jaise n jaane kitne, chunanche ek poori nasl is kitaab ke saath javaan Hui hai alvatta savaal yah hai ki ham men se kitnon ne is kitaab ka dars haasil Kiya isse zindagi men kya kaarbaama kar sake.. baharhaal aise sawalon se is kitaab aur aapke is article ki ahmiyat katai Kam nahi ho jaati…
महान पुस्तक युवाओं को प्रेरणा स्त्रोत और समाज को एक नई दिशा का स्वरूप तथा युवाओं को इस राष्ट्र के लिए कुछ करने की इच्छा शक्ति प्रदान करने वाली पुस्तक यह पुस्तक यह पुस्तक राष्ट्र के युवाओं के लिए एक अच्छा संदेश है की वह राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान किस तरह से दे सकते हैं द ग्रेट बुक
पूरा लेख पढ़के मुझे एक बार फिर से एहसास हुआ कि सिर्फ सपने देखना ही पर्याप्त नहीं है ,उन्हें साकार करने के संकल्प और कर्मशीलता भी चाहिए। हर बार जब मैं डॉ कलाम से संबंधित कुछ पड़ता हूँ तो दिल मे एक नई रोशनी जागती हैं आज एक बार फिर से उस रोशनी को जगाने के लिए आदरणीय गुरुजी को धन्यवाद एवं सादर चरण स्पर्श। धन्यवाद गुरुजी आपका ये याद दिलाने के लिए कि सच्ची प्रगति विचारो की ज्योति से ही हो सकती है। सपने अब भी जिन्दा है बस हमें उन्हें जीना शुरू करना होगा।
एपीजे अब्दुल कलाम को नमन करता हूं साथ ही इस आलेख को लिखने वाले प्रो. अनिल सिंह सत्यप्रिय को प्रणाम करता हूं। कलाम तो सुन्दर हैं ही लेकिन इस आलेख में उनके जीवन को अति सुन्दर और समग्रता से उभारा गया है । आने वाले 15 अक्टूबर को कलाम जी की जन्म तिथि है। कलाम के व्यक्तित्व से जीना सीखना चाहिए। विद्यालय एवं महाविद्यालय के छात्रों के लिए यह महत्वपूर्ण आलेख है। यह जीवन को दिशा देगा। सपनों को उड़ान देगा। निश्चितरूप से आलेख में “इग्नाइटेड माइंड्स” किताब का सार तो है ही मुझे ऐसा लगता है आलेख में एपीजे अब्दुल कलाम के संपूर्ण जीवन के सपनों को बखूबी दिखाया गया है। कलाम जी दूरदृष्टा थे। उनकी दृष्टि को आलेख में उभारा गया है।
आज के भयावह समय में युवा भटका हुआ है। किताब से दूर होता जा रहा है। यह भविष्य में और भयावह होगा। किताब से जोड़ने के लिए अभिभावकों को यह आलेख पढ़ना चाहिए एवं अपने बच्चों को भी पढ़ कर सुनना चाहिए। इसमें बहुत कुछ है।
“…small aim is crime” shows the vision of the visionary man. Dr Kalam dreamt big and did many big tasks in his life. His ‘Wings of Fire’ shows the same. His thinking about science and philosophy is unique. What a beautiful thoughts you share with this blog. Splendid!
Professor Anil sir vaicharik vividhata ke dhani h … APJ Abdul Kalam sir ke book ka aaj ke paripekshya m nirupan karna humare liye vardan hai… Ayeshe hi aap apni kripa banaye rakhe sir
ह्रदयस्पर्शी¡ हिंदी भाषा के वे शब्द जो अब सुनने को नहीं मिलते। किलिष्ठ होने के बाद भी उनका अर्थ भाव में आदरणीय अंकल जी का कलाम सर के प्रति अटूट प्रेम इस आर्टिकल में झलक रहा है।
सबसे अहम् बात कि इस आर्टिकल में पुस्तक के बारे में विवरण देते हुए आज के परिवेश में युवाओं को सही दिशा की और ले जाने के लिए जो सुझाव दिए है उन पर सरकार से लेकर हर नागरिक चलने का एक छोटा सा प्रयास भी करे तो इस पुस्तक में लिखी हर बात सही सिद्ध हो सकती है और हमारा देश और भी उन्नति कर सकता है। ️
Can’t have words to express but it’s very articulative and concise article to know the essence of the book ignited mind. After reading this wonderful article I can’t stop myself from reading this amazing book…
This article is a beautifully written reflection on Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s Ignited Minds, capturing the true essence of his vision for a progressive and enlightened India. The author’s insightful analysis and smooth flow of ideas make the piece both engaging and inspiring. The connection drawn between Kalam’s thoughts and the aspirations of today’s generation is truly commendable. With clear and thoughtful language, the article not only conveys the spirit of Kalam’s message but also motivates readers to dream big and work towards nation-building. It stands out as an inspiring and well-articulated tribute that leaves the reader with a renewed sense of purpose and hope.
Dr.APJ Abdul Kalam was visionary and a great man and scientist. We have learnt many things like patriotism, hard work and self belief etc. from his one of book Ignited minds.
What to talk about our Professor Dr.Anil Singh sir no words are left after reading this.
You have taught us many things and we are just trying to follow your instructions. Just want to say Thank You.
“सर चरण स्पर्श ,
आपका लेख पढ़कर अपार प्रेरणा मिली। आपने डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की भारत के प्रति दूरदर्शी सोच और युवाओं से जुड़ी उम्मीदों को अत्यंत सरल, सारगर्भित और प्रभावी शब्दों में प्रस्तुत किया है। यह लेख न केवल हमारी सोच को नई दिशा देता है, बल्कि हमें एक विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए सतत प्रयासरत रहने की प्रेरणा भी प्रदान करता है। आपके इस मूल्यवान प्रयास के लिए हृदय से आभार।”
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम न केवल भारत के महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति थे, बल्कि वे युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और मार्गदर्शक भी हैं। उनकी किताब ‘इग्नाइटेड माइंड्स’ हमेशा सिखाती है कि सपने देखकर उनमें जान डालना और कठिनाइयों को पार करना ही सच्ची सफलता है। उनके विचार और शिक्षाएं हर युवा को आगे बढ़ने, सकारात्मक सोचने और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित करती हैं। मेरे लिए, वे एक सच्चे मार्गदर्शक और आदर्श हैं, जिनसे हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है।
आचार्य श्री प्रोफेसर अनिल सिंह सत्यप्रिय द्वारा साझा विचारों से हमें यही संदेश मिलता है कि आज के चुनौतीपूर्ण समय में उम्मीद और साहस बनाये रखना बेहद ज़रूरी है।
प्रो. अनिल सत्यप्रिय सर का यह लेख वास्तव में प्रेरणादायक है। जिस तरह से सर ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की “इग्नाइटेड माइंड्स” को आज के समय की चुनौतियों से जोड़ा है, वह वाकई अद्भुत है। यह लेख केवल किताब का सार प्रस्तुत नहीं करता, बल्कि कलाम जी की दृष्टि को जीवंत कर देता है, यह दिखाते हुए कि सपने, दृढ़ संकल्प और जिम्मेदारी कैसे व्यक्ति और समाज को आकार दे सकते हैं। इसे पढ़ते समय ऐसा लगा मानो खुद अपने सोच और महत्वाकांक्षाओं पर विचार करने की प्रेरणा मिल रही हो, और याद दिला रहा हो कि असली बदलाव केवल विचारों से नहीं, बल्कि कार्यों से आता है। सर के शब्द न केवल जानकारीपूर्ण हैं, बल्कि वे प्रेरित करते हैं, चुनौती देते हैं और पाठक में उद्देश्य की भावना जगा देते हैं।
Truly grateful to you sir for sharing such motivational thoughts ”
Aapke shabdon ne Kalam sir ke sapno ko ek nayi roshni di hai. Bahut hi uttam aur sochne par majboor karne wala lekh!””Har line ek nayi soch deti hai. Excellent article!”
And I saw One more line that get Matched with My thought that Always Think Big same thing Is mentioned in this Book Small Aim Is crime.
Now It Had Increased My curiosity to read This Book