उल्लू, लक्ष्मी जी, goddess lakshmi, owl drawing
विवेक रंजन श्रीवास्तव की कलम से....

उल्लू बनो बनाओ, लक्ष्मी जी को प्रसन्न करो

            किशमिश, काजू, बादाम सब महज़ 300 रु. किलो, फ़ेसबुक पर विज्ञापन की दुकानें भरी पड़ी हैं। टाटा, रिलायंस, जैसे बड़े नाम के ब्रांड को भले स्वयं पता न हो, पर उनकी वर्षगांठ मना कर झूठे लिंक भेजकर लोगों को ठगने वालों द्वारा लक्ष्मी पूजन के उनके तरीक़े हैं। सस्ते के लालच में रोज नये नये लोग ऐसी वेबसाइट पर ग्राहक बन ठगे जाते हैं। जैसे ही आपने पेमेंट किया, दुकान बंद हो जाती है। आइटम नहीं आते, तब समझ आता है कि आप मूर्ख बन चुके हैं। संभलने तक बहुत देर हो चुकी होती है। इस डिजिटल दुकानदारी के युग की विशेषता है कि मूर्ख बनाने वाले को कहीं भागना तक नहीं पड़ता। हो सकता है वह आपके बाजू में ही किसी कंप्यूटर से आपको उल्लू बना रहा हो और इस प्रकार सीधे सादे, सहज ही सब पर भरोसा कर लेने वालों को कभी ओटीपी लेकर, तो कभी किसी दूसरे तरीक़े से जालसाज़ मूर्ख बनाते रहते हैं। लकड़ी की काठी फिर फिर नये लोगों के लिए चढ़ती रहती है और ‘उल्लू बनो बनाओ’ लक्ष्मी पूजन चलता रहता है।

राजनैतिक दल और सरकारें, नेता और रुपहले परदे पर अपने किरदारों में अभिनेता, सरेआम जनता से बड़े बड़े झूठे सच्चे वादे करते हुए लोगों को मूर्ख बनाकर भी अख़बारों के फ्रंट पेज पर बने रहते हैं।

कभी पेड़ लगाकर अकूत धन वृद्धि का लालच, तो कभी आर्गेनिक फ़ार्मिंग के नाम पर खुली लूट, कभी बिल्डर तो कभी प्लाट के नाम पर जनता को मूर्ख बनाने में सफल चार सौ बीस, बंटी बबली, नटवर लाल बहुत हैं। पोलिस, प्रशासन को बराबर धोखा देते हुए लकड़ी की हांडी भी बारम्बार चढ़ाकर अपनी खिचड़ी पकाने में निपुण इन स्पॉइल्ड जीनियस का मैं लोहा मानता हूं, जो डिजिटल अरेस्ट करने का वाग्जाल बुनकर लाखों ऐंठ लेते हैं।

अप्रैल का महीना नये बजट के साथ नये मूर्ख दिवस से प्रारंभ होता है, मेरा सोचना है इस मौक़े पर पोलिस को मूर्ख बनाने वालों को मिस्टर नटवर, मिस्टर बंटी, मिस बबली जैसी उपाधियों से नवाज़ने की पहल शुरू करनी चाहिए। इसी तरह दीपावाली पर लक्ष्मी पूजन से पहले, बड़े बड़े धोखाधड़ी के शिकार लोगों को उल्लू श्रेष्ठ, मूर्ख श्रेष्ठ, लल्लू लाल जैसी उपाधियों से विभूषित किया जा सकता है। यह लक्ष्मी जी के प्रिय वाहन के प्रति हमारा श्रद्धा प्रदर्शन होगा।

इस तरह के नवाचारी कैंपेन से धूर्त अपराधियों को, सरल सीधे लोगों को मूर्ख बनाने से किसी हद तक रोका भी जा सकेगा। बहरहाल ठगी, धोखाधड़ी, जालसाज़ी से बचते हुए हास परिहास में मूर्ख बनाने और बनने में अपना अलग ही मज़ा है, इसलिए उल्लू बनो बनाओ, प्यार फैलाओ। लक्ष्मी के साथ लक्ष्मी वाहन पूजन कर दीपावली मनाओ।

विवेक रंजन श्रीवास्तव, vivek ranjan shrivastava

विवेक रंजन श्रीवास्तव

सेवानिवृत मुख्य अभियंता (विद्युत मंडल), प्रतिष्ठित व्यंग्यकार, नाटक लेखक, समीक्षक, ई अभिव्यक्ति पोर्टल के संपादक, तकनीकी विषयों पर हिंदी लेखन। इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स के फैलो, पोस्ट ग्रेजुएट इंजीनियर। 20 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। हिंदी ब्लॉगर, साहित्यिक अभिरुचि संपन्न, वैश्विक एक्सपोज़र।

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