वसु मालवीय

गीत तब

बहुत दिन से नहीं आये घर
कहो अनवर क्या हुआ
आ गया क्या बीच अपने भी
छः दिसम्बर क्या हुआ

मैं कहाँ हिन्दू, मुसलमां तू कहाँ था
सच मोहब्बत के सिवा क्या दरमियां था
जब बनी है खीर घर में
पूछती है मां बराबर क्या हुआ

आसमां बैठा ख़ुदा तेरा कहाँ था
पत्थरों का देवता मेरा कहाँ था
जिस समय हम खेलते थे साथ,
छत पर क्यों बिरादर क्या हुआ

वो सिवइयां प्यार से लाना टिफिन में
दस मुलाकातें हमारी एक दिन में
और अब चुप्पी तुम्हारी, तोड़ती
जाती निरन्तर क्या हुआ

तुम्हें मस्ज़िद से हमें क्या देवथानों से
हमें बेहद मोह था अपने मकानों से
तोड़कर दीवार अब उगने लगा है
कुछ परस्पर क्या हुआ

टूटने को बहुत कुछ टूटा बचा क्या
छा गयी है देश के ऊपर अयोध्या
धर्मग्रंथों से निकलकरहो गये
तलवार अक्षर क्या हुआ

वसु मालवीय

वसु मालवीय

10 नवम्बर 1965 को जन्मे वसु मालवीय हिंदी नवगीत के प्रमुख हस्ताक्षरों में शुमार रहे। अल्पायु में ही उन्होंने अपने रचनाकर्म से काव्य जगत में स्थान बनाया। 'सूखी नहीं है नदी' उनका चर्चित कथा संग्रह रहा। ट्रेड यूनियन और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहे वसु 16 मई 1997 को इस फ़ानी दुनिया से विदा हुए। 'कहो अनवर' नवगीत संग्रह है, जो 2025 में प्रकाशित होने की उम्मीद है।

1 comment on “गीत तब

  1. गहरे दर्द से उपजा बहुत बढ़िया गीत है। बहुत खूब

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