सपना

लेखन और पठन दोनों के लिए यह समय कठिन है। 24 गुणा 7 मीडिया और सोशल मीडिया पर बेतहाशा और ग़ैर ज़रूरी कॉंटेंट के इस दौर में यह तय करना वाक़ई चुनौती है कि सूचना एवं साहित्य के नाम पर क्या ग्रहण किया जाये। एक ओर ईमानदार पत्रकारिता पर सवालिया निशान हैं क्योंकि अब पत्रकारिता पक्षधर है या तो इस तरफ़ की या उस तरफ़ की। दूसरी समस्या भाषा को लेकर बढ़े वैमनस्य और गिरते स्तर की है। प्रेम की भाषा बनाम नफ़रत की भाषा के प्रश्न का सामना भी प्राय: करना पड़ रहा है। तीसरे समाज के बीच संवाद की एक समस्या पैदा हुई है।
उंगलियां जबसे ज़ुबां होने लगीं
कान आंखों के भरे जाने लगे
यह विडंबना है कि सोशल मीडिया संवाद के दृष्टिकोण से ही क्रांति रहा, लेकिन इसके कारण संवाद एवं सम्बन्ध लगातार शिथिल एवं दूषित होते चले गये।

तो... हिंदी-उर्दू व अपनी और भाषाओं के आत्मीय सम्बन्ध प्रगाढ़तर हों; भाषा व साहित्य, विविध कलाप्रेमियों और समाज के बीच संवाद निरंतर हो; अभिव्यक्ति की सशक्त एवं आवश्यक आवाज़ें एक मंच पर मुखर हों... यानी आब-ओ-हवा एक क्रिएटिव कलेक्टिव के मंच के रूप में स्थापित होने की चेष्टा है। और यह आपके 'सहयोग' से ही संभव है।

कोशिश

वर्चुअल माध्यम में कंटेंट की स्तरीयता एवं विश्वसनीयता और जनोन्मुख चिंतन पर आधारित सृजन का यह सिलसिला उर्फ़ 'आब-ओ-हवा' 15 अप्रैल 2024 से शुरू हुआ था। तब पीडीएफ़ के रूप में इस पाक्षिकी का सूत्रपात हुआ। विशेष मौक़ों पर अपवाद छोड़कर आम तौर से आठ पन्नों के आकार की यह पाक्षिकी लगातार एक वर्ष तक विभिन्न कलात्मक कॉंटेंट के कारण चर्चा में बनी रही। इसे स्तंभ आधारित पत्र बनाने के पीछे एक विचार यह रहा कि पठनीयता की आदत एवं रुचि पाठकों के बीच विकसित की जा सके। कम शब्दों में भरपूर बात करते ये स्तंभ नवंबर 2024 से ब्लॉग के रूप में इंटरनेट पर भी आये। यानी आब-ओ-हवा ने डिजिटल माध्यम में एक क़दम और बढ़ाया।

अब मई 2025 से साहित्य, कला एवं परिवेश के पोर्टल के रूप में यानी आब-ओ-हवा का प्रकाशन विस्तार हुआ। अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचना और उनके बीच एक सुरुचिपूर्ण, समसामयिक एवं दुराग्रहमुक्त कॉंटेंट लेकर पहुंचने की हमारी कोशिश अनेक रूपों को छूने की बनी रहेगी। यह कोशिश क्यों महत्वपूर्ण है, 'प्रतिध्वनि' पेज पर जाकर आप महसूस कर सकते हैं।

मुकाम

रचनात्मकों की एक टीम 'आब-ओ-हवा' के साथ है, जो इस पोर्टल के कॉंटेंट का प्रबंधन और संयोजन करती है। ये सभी अवैतनिक और स्वस्फूर्त रूप से सृजन के एक दूरगामी लक्ष्य में साथ जुड़े हुए हैं। कोई टेक्स्ट कॉंटेंट, तो कोई वीडियो.. कोई प्रसार तो कोई तकनीकी क्षेत्र में हाथ बॅंटाकर इस कोशिश को एक अंजाम तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह अपने आप में एक सफलता है कि हम इस तरह एक कनेक्ट बना सके हैं। हमारा डिजिटल मुख्यालय भोपाल में है और साथी दिल्ली सहित भारत के अनेक नगरों में।

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