ज्योत्स्ना… तेरी राजी

याद बाक़ी... पिछले दिनों लेखक राजी सेठ हमारे बीच नहीं रहीं, आब-ओ-हवा की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि। कथा संसार के...

मोमो

संस्मरण ख़ुदेजा ख़ान की कलम से.... मोमो             कभी-कभी जीवन में अचानक कोई इस तरह...

अंक – 40

आब-ओ-हवा – अंक - 40 भाषाओं के साथ ही साहित्य, कला और परिवेश के बीच पुल बनाने की इस कड़ी...

एसआईआर के ख़िलाफ़ एक यह एफ़आईआर

प्रसंगवश भवेश दिलशाद की कलम से.... एसआईआर के ख़िलाफ़ एक यह एफ़आईआर              एस.आई.आर... जिसे...

बस दो किरदारों से मेरे लिए महान जॉनी वॉकर

भवेश दिलशाद की कलम से.... बस दो किरदारों से मेरे लिए महान जॉनी वॉकर             महान लोग हों या महान बातें, अक्सर पसंद-नापसंद के दायरे में क़ैद नहीं हो पातीं।...

गुफ़्तगू पर गुफ़्तगू: मजरूह सुल्तानपुरी के इंटरव्यू पर

गूंज बाक़ी... मजरूह सुल्तानपुरी ने पाकिस्तान में एक इंटरव्यू दिया। फिर डॉक्टर हनफ़ी ने एक लेख लिखा और खुलकर कहा कि मजरूह ने बड़बोलापन दिखाया। यह लेख माहनमा 'शायर' (मुंबई) के शुमारे नम्बर छ: जिल्द...

अल्लामा इक़बाल, allama iqbal

जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिसमें
बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते
– अल्लामा इक़बाल

जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिसमें
घोड़ों की तरह बिकते हैं इंसान वग़ैरा
– अनवर मसूद

अनवर मसूद, anwar masood

REGULAR BLOGS

अस्मिता व पहचान के लिए कविता है एक मुहिम

पाक्षिक ब्लॉग रति सक्सेना की कलम से.... अस्मिता व पहचान के लिए कविता है एक मुहिम जब हम कृत्या-2010 कवितोत्सव मना रहे थे, तब मुझे तेनजिन त्सुंडु के बारे में जानकारी मिली। वे उन दिनों...

लोकतंत्र, सत्तानमाज़ी नागरिक और बंधु-गीतों की याद

पाक्षिक ब्लॉग भवेश दिलशाद की कलम से.... लोकतंत्र, सत्तानमाज़ी नागरिक और बंधु-गीतों की याद            "एक आज के आगे-पीछे लगे हुए हैं दो-दो कल"... क्या ख़ूब मिसरा है! तंज़ का तंज़,...

आधे रह गये आपके शुक्राणु, कोई अज्ञात कारण तो नहीं!

पाक्षिक ब्लॉग डॉ. आलोक त्रिपाठी की कलम से.... आधे रह गये आपके शुक्राणु, कोई अज्ञात कारण तो नहीं!             आज के समय में जब प्रजनन दर में लगातार कमी हो...

लकदक बाज़ार में गुमसुम किरदार

पाक्षिक ब्लॉग आशीष दशोत्तर की कलम से.... लकदक बाज़ार में गुमसुम किरदार              फ़िक्रो-फ़न के ऐतबार से शाइरी ने नये मौज़ूआत को हर वक़्त स्वीकार किया। कहन के सलीके से...

मेरा नारा इंक़िलाब-ओ-इंक़िलाब-ओ-इंक़िलाब

पाक्षिक ब्लॉग ज़ाहिद ख़ान की कलम से.... मेरा नारा इंक़िलाब-ओ-इंक़िलाब-ओ-इंक़िलाब            उर्दू अदब में जोश मलीहाबादी वह आला नाम है, जो अपने इंक़लाबी कलाम से शायर-ए-इंक़लाब कहलाए। जोश का सिर्फ़ यह...

लता और गीता दत्त के पहले-पहले गाने और कामिनी कौशल

पाक्षिक ब्लॉग विवेक सावरीकर मृदुल की कलम से.... लता और गीता दत्त के पहले गाने और कामिनी कौशल            अपने ज़माने की मशहूर नायिका और चरित्र अभिनेत्री कामिनी कौशल का विगत...

क्या कहती हैं पाकिस्तान की इन लेखकों की कहानियां?

पाक्षिक ब्लॉग नमिता सिंह की कलम से.... क्या कहती हैं पाकिस्तान की इन लेखकों की कहानियां?           'मसरूफ़ औरत' दो वर्ष पहले रेख़्ता पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित और तस्नीम हैदर द्वारा संपादित...

बच्चे कैसे पढ़ें धर्मनिरपेक्षता का पाठ!

पाक्षिक ब्लॉग आलोक कुमार मिश्रा की कलम से.... बच्चे कैसे पढ़ें धर्मनिरपेक्षता का पाठ!              शिक्षा के लक्ष्यों में एक महत्वपूर्ण लक्ष्य यह है कि हम जिन आदर्शों व आकांक्षाओं...

42 भाषाओं में छपा उर्दू का इकलौता नॉवेल!

पाक्षिक ब्लॉग डॉ. आज़म की कलम से.... 42 भाषाओं में छपा उर्दू का इकलौता नॉवेल!             पहली बार 1958 में प्रकाशित 'ख़ुदा की बस्ती' को उर्दू लिटरेचर का एक महत्वपूर्ण...

सम्बन्धों के दृष्टा कवि डाॅ. ओमप्रकाश सिंह

पाक्षिक ब्लॉग राजा अवस्थी की कलम से.... सम्बन्धों के दृष्टा कवि डाॅ. ओमप्रकाश सिंह             डाॅ. ओमप्रकाश सिंह का रचना संसार विपुल है। समीक्षा-आलोचना से लेकर नाटक, निबंध और कविता...

जंगल की रात और तख़लीक़

पाक्षिक ब्लॉग सलीम सरमद (03.12.1982) की कलम से.... जंगल की रात और तख़लीक़            पचमढ़ी की सिम्त पिपरिया नगर के आख़िरी छोर पर चूहे के बिल की तरह रास्ता.... जंगल की...

नलिनी जयवंत, जो पहली ही फ़िल्म से बनी स्टार

पाक्षिक ब्लॉग मिथलेश राय की कलम से.... नलिनी जयवंत, जो पहली ही फ़िल्म से बनी स्टार            रविवार का दिन है, बच्चन चाचा मुहल्ले के कुछ लोगों के बीच बैठे गप्पें...

एक दरख़्त के साये में 50 वर्ष (भाग-2)

पाक्षिक ब्लॉग विजय कुमार स्वर्णकार की कलम से.... एक दरख़्त के साये में 50 वर्ष (भाग-2)           यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है           चलो...

कौतूहल, रहस्य और एकांत रचने वाली प्रीति तामोट

पाक्षिक ब्लॉग प्रीति निगोसकर की कलम से.... कौतूहल, रहस्य और एकांत रचने वाली प्रीति तामोट              सभी को पैदा होते ही एक माहौल मिलता है, जो कुछ दिखाता, सुनाता और...

हिंदी व्यंग्य स्तंभ-लेखन की परंपरा और समकाल

पाक्षिक ब्लॉग अरुण अर्णव खरे की कलम से.... हिंदी व्यंग्य स्तंभ-लेखन की परंपरा और समकाल              हिंदी व्यंग्य को लोकप्रिय बनाने में स्तंभ-लेखन की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। साहित्य...