सैर कर ग़ाफ़िल…: एक कलाकार की यूरोप डायरी-7
(शब्द और रंग, दोनों दुनियाओं में बेहतरीन दख़ल रखने वाली प्रवेश सोनी हाल ही, क़रीब महीने भर की यूरोप यात्रा...
(शब्द और रंग, दोनों दुनियाओं में बेहतरीन दख़ल रखने वाली प्रवेश सोनी हाल ही, क़रीब महीने भर की यूरोप यात्रा...
दुष्यंत कुमार से बहुत आगे निकल चुकी आज की ग़ज़ल: नीरज 4...
ग्राफ़िक चित्रकार संगीता पाठक का भाव-विश्व संगीता पाठक - चिरपरिचित चेहरा, एक ग्राफ़िक्स...
युद्धग्रस्त हम और बच्चों की कहानियां आधी दुनिया में आग लगी है और बच्चे इस तरह मारे जा रहे हैं कि हमारी ख़बरों और कानों के लिए यह...
पुल बनाने का वक़्त सैकड़ों पुल बने फ़ासले भी मिटे आदमी आदमी से जुदा ही रहा - रौनक़ नईमनाउम्मीदी का यह सुर चीखों की पुकार...
ये कैसी सियासत है मिरे मुल्क पे हावी
इंसान को इंसाँ से जुदा देख रहा हूँ
– साबिर दत्त
मुल्क तो मुल्क घरों पर भी है क़ब्ज़ा उसका
अब तो घर भी नहीं चलते हैं सियासत के बग़ैर
– ज़िया ज़मीर
जद्दोजहद, पुनर्वास, विस्थापन... आज के समाज का उपन्यास हिंदी की जानी-मानी लेखिका प्रज्ञा का उपन्यास 'कांधों पर घर' कुछ समय पहले प्रकाशित हुआ। उनके चार कहानी संग्रह हैं।...
'चंदा से होगा वो प्यारा', गाने में लता के साथ किसकी आवाज़ है? वर्ष 1964 में मीना कुमारी और धर्मेंद्र अभिनीत फ़िल्म आयी थी, नाम था- 'मैं भी लड़की...
हिंदी पर हंगामा तमिलनाडु से लेकर महाराष्ट्र तक भाषाई विवाद चरम पर है। इन सबमें साझे तौर पर निशाने पर है अपनी हिंदी। वही हिंदी, जो विश्व की...
जड़ ब्राह्मणवाद से ग्रसित साहित्य समाज साहित्य बड़ी ऊँची चीज़ है। साहित्य किसी आदमी के साहित्यकार बनते ही उसे भी ऊँची चीज़ बना देता है। फिर वह चाहे...
अपने वक़्त में ही कल्ट बन गयी थी यह इश्किया मसनवी "शौक़ का अस्ल काम दरअस्ल ये है कि उन्होंने लखनवी क़िस्सागोई को तिलिस्म और जादू से आज़ाद...
'दिलीप-देव-राज कपूर उसके सामने थे ही क्या!' सरदार दिलीप सिंह उर्फ दलीप सिंह आज मुझसे नाराज़ हैं। उन्होंने बोलना शुरू किया 'मैं बलिया वालों को ख़ूब जानता हूं।...
'आख़िरी गीत मुहब्बत का...' शायराना नग़मों का राजा फ़िल्मी दुनिया में शकील बदायूंनी, मजरूह सुल्तानपुरी, हसरत जयपुरी, साहिर लुधियानवी और कैफ़ी आज़मी जैसे नामी-गिरामी शायर-नग़मा निगारों के बीच राजा...
ख़्वाब, हक़ीक़त और साग़र सिद्दीक़ी 'साग़र सिद्दीक़ी पागलों-सा गर्मी की दुपहरी में भी तन पर काला कंबल डाले एक फुटपाथ पर बैठा रहता और एक दिन लाहौर में स्कूल...
मात्राभार गणना : एक मनोरंजक विधि ग़ज़लकार कई बार शब्द विशेष के मात्रा भार को लेकर भ्रम में पड़ जाते हैं। यूं तो मात्रा भार जानने की पारंपरिक...
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