हबीब जालिब
24 मार्च 1928 को जन्मे जालिब को उनके समकालीन फ़ैज़ ने 'अवामी शायर' की उपाधि दी थी। उन्होंने अपनी शायरी और जीवन में अधिनायकवाद, तानाशाही, सैन्य शासन और राज्य की क्रूरताओं का विरोध किया। कई बार जेल गये। उनकी ग़ज़लों और नज़्मों ने प्रतिरोध का एक नायाब स्वर पैदा किया।