November 30, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें जंगल की रात और तख़लीक़ पाक्षिक ब्लॉग सलीम सरमद (03.12.1982) की कलम से…. जंगल की रात और तख़लीक़ पचमढ़ी की सिम्त पिपरिया नगर के आख़िरी छोर पर चूहे के... और पढ़े
November 14, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें किताब, जादू और डॉ. स्वामी श्यामानंद सरस्वती ‘रौशन’ पाक्षिक ब्लॉग सलीम सरमद की कलम से…. किताब, जादू और डॉ. स्वामी श्यामानंद सरस्वती ‘रौशन’ मेरे बाएं हाथ में डॉ. स्वामी श्यामानंद सरस्वती... और पढ़े
October 30, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें हस्बे-हाल, सुख़न और उबैदुल्लाह अलीम पाक्षिक ब्लॉग सलीम सरमद की कलम से…. हस्बे-हाल, सुख़न और उबैदुल्लाह अलीम फ़िक्र की ठोस ज़मीन अब नदारद है। अहसास की बुनियादें खोखली... और पढ़े
October 15, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें फ़ासला, भाषा, उद्देश्य और अदम गौंडवी नियमित ब्लॉग सलीम सरमद की कलम से…. फ़ासला, भाषा, उद्देश्य और अदम गौंडवी “गर्म रोटी की महक पागल बना देती है मुझे” इस... और पढ़े
September 30, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें मेरे अस्तित्व की लघुता और कमलकांत सक्सेना जी नियमित ब्लॉग सलीम सरमद की कलम से…. मेरे अस्तित्व की लघुता और कमलकांत सक्सेना जी मैं इससे पहले किसी साहित्यकार से नहीं मिला... और पढ़े
September 14, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें हिन्दोस्तानी भाषा और डॉ. अख़्तर नज़्मी पाक्षिक ब्लॉग सलीम सरमद की कलम से…. हिन्दोस्तानी भाषा और डॉ. अख़्तर नज़्मी महात्मा गांधी ने भाषा के मध्यम मार्ग को खोज लिया था, वो उसको हिंदी नहीं… हिन्दोस्तानी... और पढ़े
August 30, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें लफ़्ज़, सियासत और अली सरदार जाफ़री पाक्षिक ब्लॉग सलीम सरमद की कलम से…. लफ़्ज़, सियासत और अली सरदार जाफ़री तरक़्क़ीपसंद शायरी का ज़िक्र आते ही उन लफ़्ज़ों की दस्तकों... और पढ़े
August 14, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें शहीद सफ़दर हाशमी के नाम… सलीम सरमद की कलम से…. शहीद सफ़दर हाशमी के नाम… मेरे बचपन को एक आवाज़ ने घेरा था, वो गीत-जिसके स्वर तब मेरी... और पढ़े
July 30, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें पहली किताब, बस स्टैंड और दीवान रोशन लाल रोशन सलीम सरमद की कलम से…. पहली किताब, बस स्टैंड और दीवान रोशन लाल रोशन जब मुझे शेर के दो मिसरों की समझ आयी... और पढ़े
July 15, 2025 आब-ओ-हवा गूंजती आवाज़ें ख़्वाब, हक़ीक़त और साग़र सिद्दीक़ी ख़्वाब, हक़ीक़त और साग़र सिद्दीक़ी ‘साग़र सिद्दीक़ी पागलों-सा गर्मी की दुपहरी में भी तन पर काला कंबल डाले एक फुटपाथ पर बैठा रहता... और पढ़े