ग़ज़ल, हिंदी लफ़्ज़ और ज़हीर क़ुरैशी पुराना भोपाल, रेलवे स्टेशन का एरिया और संगम टॉकीज़ के सामने एक अपार्टमेंट जिसके फ़्लैट में ज़हीर क़ुरैशी साहब अपनी शरीके-हयात के साथ...
गूंजती आवाज़ें आभासी दुनिया और इलियास राहत सलीम सरमद नसीरुद्दीन शाह के किसी इंटरव्यू में सुना था- “अगर आप थिअटर आर्टिस्ट हैं और कोई बड़ा प्लेटफ़ॉर्म नहीं मिल रहा...