ख़्वाब, हक़ीक़त और साग़र सिद्दीक़ी

ख़्वाब, हक़ीक़त और साग़र सिद्दीक़ी             ‘साग़र सिद्दीक़ी पागलों-सा गर्मी की दुपहरी में भी तन पर काला कंबल डाले एक फुटपाथ पर बैठा रहता...

अपनी बेवतनी से तबाह बूढ़ा दरवेश – ज़िया फ़ारुक़ी

अपनी बेवतनी से तबाह बूढ़ा दरवेश – ज़िया फ़ारुक़ी               एमएचके इंस्टिट्यूट की लाइब्रेरी में किताबों के दरमियान बैठे हुए बूढ़े दरवेश की...

दर्स (शिक्षा), अंदाज़ और शहरयार

दर्स (शिक्षा), अंदाज़ और शहरयार “जिसका कलाम जितना बेहतर है वह उसे उतना ही बुरा पढ़ता है”, ये कोई तयशुदा शर्त नहीं है, ये बात ज़रूर पहली बार अपने...

ग़ज़ल, हिंदी लफ़्ज़ और ज़हीर क़ुरैशी

ग़ज़ल, हिंदी लफ़्ज़ और ज़हीर क़ुरैशी पुराना भोपाल, रेलवे स्टेशन का एरिया और संगम टॉकीज़ के सामने एक अपार्टमेंट जिसके फ़्लैट में ज़हीर क़ुरैशी साहब अपनी शरीके-हयात के साथ...

आसेब, ख़ाली हाथ और ज़ुबैर रिज़वी

आसेब, ख़ाली हाथ और ज़ुबैर रिज़वी ‘आसेब’ शब्द किसी रहस्य, एक सवाल की तरह मुझे मिला… जिसके हल हो जाने से मुझे ख़ुशी मिलने वाली थी। एक ऐसी गुत्थी...

आभासी दुनिया और इलियास राहत

गूंजती आवाज़ें आभासी दुनिया और इलियास राहत सलीम सरमद नसीरुद्दीन शाह के किसी इंटरव्यू में सुना था- “अगर आप थिअटर आर्टिस्ट हैं और कोई बड़ा प्लेटफ़ॉर्म नहीं मिल रहा...