footsteps on sand
नियमित ब्लॉग राजा अवस्थी की कलम से....

गीत विमर्श की इस यात्रा का नया मोड़

             आब-ओ-हवा के तीसरे अंक से ‘समकाल का नवगीत विमर्श’ के बहाने कविता विमर्श के साथ मैं आपके साथ लगातार बना रहा। अर्थात कुल 34 आलेखों के माध्यम से इस क्रम में अपनी बात रखता रहा। इस बहाने कविता की दशा, प्रकृति, प्रवृत्ति और आलोचना के उस अपराध पर भी चर्चा की, जो उसने कविता के मात्र एक प्रारूप गद्य कविता को ही कविता मानते और घोषित करते हुए अन्य महत्वपूर्ण काव्यरूपों को आलोचना के दायरे से बाहर रखा।

इस शृंखला में हमने ‘नवगीत कविता क्यों?’ से लेकर ‘लोक से निकटता ही कविता की मूल प्रवृत्ति’, ‘नवगीत में कविता की सहज उपस्थिति’, ‘गीत में लय होना प्राकृतिक और सहज है’, ‘कविता लोक की सम्पत्ति है’ (नवगीत-कविता बनाम गद्य-कविता और लोक), ‘कविता को बाँधता तो नहीं छंद’, ‘सृजन के चरम का अतिक्रमण’, ‘समकाल की चुनौतियाँ और नवगीत’, ‘करुणा-उदात्तता का संकट और नवगीत’ (समाज में करुणा और उदात्तता को बचाने में समर्थ है नवगीत कविता), ‘कविता की आलोचना का संकट’ (1 से 5), ‘कविर्मनीषी परिभः स्वयंभू’, ‘वाक्यं रसात्मकम् काव्यम’, ‘नयी सदी की चुनौतियाँ और नवगीत कविता ‘(1 से 5), ‘कविता में अर्थ की लय और अन्विति!’, ‘लय और लावण्यता ही लोक में कविता को जीवन देती है’, ‘लोक के बीच पहुँचने का रास्ता हो सकता है कवि सम्मेलन?’, ‘कविता, लोकप्रियता और ब्राह्मणवाद (1-2),’ प्रगीत से नवगीत’, ‘कविता की आजादी का पर्व?’, ‘साहित्य की सकारात्मक दृष्टि’, ‘कविता अपने समय को व्यक्त कर पा रही है?’ और ‘नवगीत कविता क्या है?’ तक की यात्रा की।

इनमें से वे आलेख आबो-हवा वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, जो वेबसाइट शुरू होने के बाद से लिखे गये हैं। इससे पहले के आलेख डिजिटल पत्रिका के रूप में सुरक्षित हैं। इन सभी पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है। पाठकों/समालोचकों की प्रतिक्रिया के आधार पर इन लेखों को पुस्तकाकार लाने की योजना भी संभव है।

फ़िलहाल कविता विमर्श पर केंद्रित इस शृंखला को मैं यहाँ स्थगित करना चाहता हूं। स्थगित भी क्या, इसे एक नया स्वरूप या नया कलेवर देने का प्रयास है। अगले अंक से हम गीत विमर्श को समकाल के चर्चित हस्ताक्षरों पर केंद्रित करते हुए व्यवस्थित बात आरंभ करेंगे। अभी आबो-हवा के संपादक ग़ज़लकार-पत्रकार भवेश दिलशाद जी को हृदय से धन्यवाद और आभार भी कि उन्होंने मुझे आपके साथ रहने, कविता पर कुछ बात करने का अवसर प्रदान किया। यह बात, यह यात्रा जारी रहेगी, बस एक मोड़ लेते हुए।

आपका, राजा अवस्थी

राजा अवस्थी

राजा अवस्थी

सीएम राइज़ माॅडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कटनी (म.प्र.) में अध्यापन के साथ कविता की विभिन्न विधाओं जैसे नवगीत, दोहा आदि के साथ कहानी, निबंध, आलोचना लेखन में सक्रिय। अब तक नवगीत कविता के दो संग्रह प्रकाशित। साहित्य अकादमी के द्वारा प्रकाशित 'समकालीन नवगीत संचयन' के साथ सभी महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय समवेत नवगीत संकलनों में नवगीत संकलित। पत्र-पत्रिकाओं में गीत-नवगीत, दोहे, कहानी, समीक्षा प्रकाशित। आकाशवाणी केंद्र जबलपुर और दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से कविताओं का प्रसारण।

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