ज़फ़र गोरखपुरी
5 मई 1935 को जन्मे ज़फ़र ऐसे ख़ुशनसीब शायर हैं जिन्होंने फ़िराक़, जोश, मजाज़ और जिगर जैसे शायरों से अपने कलाम के लिए दाद वसूल की। उनकी विविधतापूर्ण शायरी ने एक नयी काव्य परम्परा को जन्म दिया। उर्दू के फ्रेम में हिंदी की कविता को उन्होंने बहुत कलात्मक अंदाज़ में पेश किया। 29 जुलाई 2017 को इस दुनिया को अलविदा कहने वाले ज़फ़र की शायरी के अनेक संग्रह उर्दू और हिन्दी में आये। बच्चों के लिए भी उनकी दो किताबें मक़बूल हुईं–‘नाच री गुड़िया’ और ‘सच्चाइयां’।