ऑपरेशन सिंदूर : क्या भीषण युद्ध का बिगुल है यह?

ऑपरेशन सिंदूर : क्या भीषण युद्ध का बिगुल है यह?

आधी रात के बाद भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमले बोल दिये। सुबह होने पर पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के लड़ाकू विमानों को ध्वस्त किया और इधर भारत ने साफ़ शब्दों में कहा कि उसने पाकिस्तान के किसी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया। भारत का अर्थ साफ़ है कि वह आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ रहा है न कि दो देशों की सेनाओं के बीच। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने इसे ‘कायराना हमला’ बताते हुए कहा कि मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इस तरह की ख़बरों के बाद दोनों देशों के बीच एक और भीषण युद्ध की आशंका बलवती होती जा रही है।

इधर, जम्मू एवं कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के क़रीब दो हफ़्ते बाद शुरू हुए इस सशस्त्र संघर्ष को लेकर दुनिया भर से अधिकतर प्रत्याशित टिप्पणियां आ रही हैं। इस पूरे घटनाक्रम को समझने के लिए इन्हें भी समझने की ज़रूरत है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे ‘शर्मनाक’ बताते हुए आशा जतायी है कि यह संघर्ष जल्द ही सुलझ ​जाएगा। यही नहीं, अमेरिकी सरकार ने बीचबचाव करने के लिए उपस्थित रहने की अपनी मंशा भी ज़ाहिर कर दी है।

कैसे समझें प्रतिक्रियाएं?

इधर, चीन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान बहुत क़रीबी पड़ोसी हैं और चीन के भी पड़ोसी हैं इसलिए दोनों को शांति से, सूझबूझ से काम लेना चाहिए और अप्रिय स्थितियां बनाने से बचना चाहिए। इन प्रतिक्रियाओं को समझाते हुए लेखक और केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने लिखा है कि अमेरिका की प्रतिक्रिया तो इसी तरह प्रत्याशित थी लेकिन चीन की प्रति​क्रिया इतनी सधी हुई आएगी, यह उम्मीद नहीं थी।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि चीन अरसे से पाकिस्तान का जिस तरह मददगार रहा है और जिस तरह पाकिस्तान को इस्तेमाल करता रहा है, उसकी वजह से आशंका यही थी और है कि इस संघर्ष की स्थिति में वह पाकिस्तान के पक्ष में दिख सकता है।

बदले हुए हालात में संघर्ष!

दूसरी ओर, पत्रकार मेनका दोषी  ने जो रिपोर्ट लिखी है उसमें उन्होंने इस संघर्ष को एक अलग नज़रिये से देखा है। उनके शब्दों में भू-राजनीति के हालात जिस तरह बदले हैं, इस पूरे घटनाक्रम को उससे जोड़कर समझे जाने की ज़रूरत है।

अपनी इस बात को और स्पष्ट करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि ​हाल ही भारत व्यापार नीतियों और टैरिफ़ को लेकर अमेरिका के साथ अनेक प्रकार के समझौते और वार्ताओं में रहा है। इधर, अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ़ को लेकर एक घोषित ट्रेड वॉर की स्थिति रही है। चूंकि यह बात किसी से छुपी नहीं है कि भारत की पक्षधरता अमेरिका और पाकिस्तान की चीन के साथ किस तरह से है इसलिए इस सशस्त्र संघर्ष को दुनिया के लिए एक बड़े ख़तरे के तौर पर समझने की आशंका उन्होंने इशारों में जतायी है।

इस पूरे घटनाक्रम को लेकर आब-ओ-हवा समय समय पर अपने पाठकों के लिए महत्वपूर्ण सूचनाएं और विश्लेषण लेकर उपस्थित होगा।

– आब-ओ-हवा डेस्क

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