गीत अब ज्ञानप्रकाश पांडेय शब्द ये गंभीरता खोने लगे हैं भाव गूँगे सिर झुकाते मात खाये-से शब्द के कंकाल में हैं मुँह छुपाये-से शोर शब्दों में प्रबल होने लगे...
याद बाक़ी शाहनाज़ इमरानी, एक यादगार कहानी प्रतिभा गोटीवाले शाहनाज़ दी से मेरी मुलाक़ात सन्ध्या दीदी के मार्फ़त हुई… इन दोनों के पास भोपाल की तहज़ीब के इतने मज़ेदार...
तह-दर-तह (विश्व साहित्य पर दृष्टि) शिकारी व गौरैया निशांत कौशिक तुर्की में गेय लोक-कविता (Türkü) और परिकथा (Masallar)की एक समृद्ध परंपरा है। प्रस्तुत ‘गौरैया और शिकारी’ कहानी भी...
उर्दू के शाहकार फ़साना-ए-आज़ाद डॉक्टर मो. आज़म “आपने ‘फ़साना-ए-अज़ाद’ क्या लिखा, ज़बान-ए-उर्दू के हक़ में मसीहाई की है।”-अब्दुल हलीम शरर “उर्दू ज़बान समझने के लिए ‘फ़साना-ए-आज़ाद’ पढ़ना चाहिए।”– बेगम...