ग़ज़ल अब

ग़ज़ल अब वसीम नादिर 1. दिल से तुम उसकी याद के जुगनू जुदा करो अब वक़्त आ गया है ये क़ैदी रिहा करो हर वक़्त तितलियों के तअक़्क़ुब में...

गीत तब

गीत तब हबीब जालिब इक पटरी पर सर्दी में अपनी तक़दीर को रोये दूजा ज़ुल्फ़ों की छाँव में सुख की सेज पे सोये राज सिंहासन पर इक बैठा और...

गीत अब

गीत अब ज्ञानप्रकाश पांडेय शब्द ये गंभीरता खोने लगे हैं भाव गूँगे सिर झुकाते मात खाये-से शब्द के कंकाल में हैं मुँह छुपाये-से शोर शब्दों में प्रबल होने लगे...

रॉबिन की धुन पर मन्ना दा का रूमान

उड़ जाएगा हंस अकेला रॉबिन की धुन पर मन्ना दा का रूमान विवेक सावरीकर मृदुल        निर्देशक बी.जे. पटेल की मज़ेदार बी श्रेणी फ़िल्म सखी रॉबिन, राजा-महाराजाओं...

पहुंचे हैं कहां तक इल्म-ओ-फ़न साक़ी

तरक़्क़ीपसंद तहरीक़ की कहकशां ..पहुंचे हैं कहां तक इल्म-ओ-फ़न साक़ी जाहिद ख़ान संदर्भ : 6 अप्रैल (1890) : शहंशाह-ए-ग़ज़ल जिगर मुरादाबादी का जन्मदिवस       उर्दू अदब में...

शाहनाज़ इमरानी, एक यादगार कहानी

याद बाक़ी शाहनाज़ इमरानी, एक यादगार कहानी प्रतिभा गोटीवाले शाहनाज़ दी से मेरी मुलाक़ात सन्ध्या दीदी के मार्फ़त हुई… इन दोनों के पास भोपाल की तहज़ीब के इतने मज़ेदार...

शिकारी व गौरैया

तह-दर-तह (विश्व साहित्य पर दृष्टि) शिकारी व गौरैया निशांत कौशिक     तुर्की में गेय लोक-कविता (Türkü) और परिकथा (Masallar)की एक समृद्ध परंपरा है। प्रस्तुत ‘गौरैया और शिकारी’ कहानी भी...

फ़साना-ए-आज़ाद

उर्दू के शाहकार फ़साना-ए-आज़ाद डॉक्टर मो. आज़म “आपने ‘फ़साना-ए-अज़ाद’ क्या लिखा, ज़बान-ए-उर्दू के हक़ में मसीहाई की है।”-अब्दुल हलीम शरर “उर्दू ज़बान समझने के लिए ‘फ़साना-ए-आज़ाद’ पढ़ना चाहिए।”– बेगम...