देवेंद्र शर्मा 'इंद्र'

गीत तब

देवेंद्र शर्मा 'इंद्र'

हम जीवन के महाकाव्य हैं
केवल छन्द प्रसंग नहीं हैं

कंकड़-पत्थर की धरती है
अपने तो पाँवों के नीचे
हम कब कहते बन्धु! बिछाओ
स्वागत में मखमली गलीचे
रेती पर जो चित्र बनाती
ऐसी रंग-तरंग नहीं हैं

तुमको रास नहीं आ पायी
क्यों अजातशत्रुता हमारी
छिप-छिपकर जो करते रहते
शीतयुद्ध की तुम तैयारी
हम भाड़े के सैनिक लेकर
लड़ते कोई जंग नहीं हैं

कहते-कहते हमें मसीहा
तुम लटका देते सलीब पर
हंसें तुम्हारी कूटनीति पर
कुढ़ें या कि अपने नसीब पर
भीतर-भीतर से जो पोले
हम वे ढोल-मृदंग नहीं हैं

तुम सामूहिक बहिष्कार की
मित्र! भले योजना बनाओ
जहाँ-जहाँ पर लिखा हुआ है
नाम हमारा, उसे मिटाओ
जिसकी डोर हाथ तुम्हारे
हम वह कटी पतंग नहीं हैं

देवेंद्र शर्मा 'इंद्र'

देवेंद्र शर्मा 'इंद्र'

सुचर्चित गीतकार देवेंद्र शर्मा 'इंद्र' का जन्म 01 अप्रैल 1934 को आगरा ज़िले में हुआ था। ‘पथरीले शोर में’, ‘पंखकटी महराबें’, ‘कुहरे की प्रत्यंचा’, ‘पहनी हैं चूड़ियाँ नदी ने’, ‘चुप्पियों की पैंजनी’, ‘अनंतिमा’, ‘घाटी में उतरेगा कौन’, ‘हम शहर में लापता हैं’ आदि उनके चर्चित नवगीत-संग्रह और ‘धुएँ के पुल’ व ‘भूला नहीं हूँ मैं’ ग़ज़ल-संग्रह हैं। इसके अलावा खंडकाव्य, दोहा आदि के संग्रह भी प्रकाशित हुए और अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किये गये। 17 अप्रैल 2019 को निधन।

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