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  • May 30, 2025
  • आब-ओ-हवा
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आब-ओ-हवा अंक 28, बानू मुश्ताक, दीपा भास्ती, बुकर पुरस्कार, सोफिया कुरैशी, व्योमिका सिंह, aab o hawa, ank 28, banu mushtaq, deepa bhasthi, sofia quereshi, vyomika singh

आब-ओ-हवा – अंक - 28

भाषाओं के साथ ही साहित्य, कला और परिवेश के बीच पुल बनाने की इस कड़ी में विशेष नज़र है अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार भारत की लेखक बानू मुश्ताक़ को प्रदान किये जाने पर। उनकी बुकर विजेता किताब को टटोलने के साथ ही उनके संघर्ष के मायने और फिर लेखन बनाम अनुवाद को लेकर एक विमर्श भी आब-ओ-हवा के इस अंक में मुख्य रूप से है। साहित्य, कला, शिक्षा आदि से संबद्ध अन्य नियमित ब्लॉग अपने तेवर और वैचारिक उष्मा के साथ हैं ही। सरोकारों से जुड़ी एक फ़िल्म पर चर्चा के साथ ही विश्व प्रसिद्ध कलाकार विन्सेंट वैन गॉफ़ पर एक महत्वपूर्ण लेख भी। साहित्य, कला जगत और समाज की महत्वपूर्ण हलचलों को भी यह अंक समाहित करता है।

गद्य

ब्लॉग : तह-दर-तह (विश्व साहित्य)
स्थानीयता का विश्व स्वर ‘हार्ट लैम्प’ : निशांत कौशिक

मुआयना

ब्लॉग : हम बोलेंगे (संपादकीय)
और ज़ुबान जीत जाती है : भवेश दिलशाद

ब्लॉग : तख़्ती
नंबरों का खेल : आलोक कुमार मिश्रा

ग़ज़ल रंग

ब्लॉग : शेरगोई
मात्रा पतन : कुछ विशेष तथ्य-2 : विजय स्वर्णकार

ब्लॉग : गूंजती आवाज़ें
क़ाफ़िया, रदीफ़ और इरशाद सिकंदर : सलीम सरमद

फ़न की बात

अनुवाद में राजनीति और लेखन बनाम अनुवाद : (तमिल और अंग्रेज़ी की महत्वपूर्ण लेखक अंबई लिखित विमर्श)

गुनगुनाहट

ब्लॉग : समकाल का गीत विमर्श
लोक के बीच पहुंचने का रास्ता हो सकता है कवि सम्मेलन? : राजा अवस्थी

ब्लॉग : तरक़्क़ीपसंद तहरीक़ कहकशां
‘असद’ को तुम नहीं पहचानते त’अज्जुब है.. : जाहिद ख़ान

किताब कौतुक

ब्लॉग : क़िस्सागोई
देवभूमि में भला कैसा विकास! : नमिता सिंह

ब्लॉग : उर्दू के शाहकार
ग़ालिब भी थे इस लेखक के मुरीद : डॉ. आज़म

सदरंग

ब्लॉग : उड़ जाएगा हंस अकेला
दत्ताराम : आँसू भरी जीवन की राहों का संगीतकार : विवेक सावरीकर ‘मृदुल’

ब्लॉग : कुछ फ़िल्म कुछ इल्म
कहार कहो डोला उतारे कहां… : मिथलेश रॉय

सिनेमैट्रिक्स – प्यार का भूत : आकांक्षा त्यागी

वैन गॉफ़: पूंजीवाद-विरोधी कलाकार

पद्य

ग़ज़ल तब : डॉ. नसीम निक़हत

ग़ज़ल अब : माधवी शंकर

3 comments on “अंक – 28

  1. Wish to join your efforts aiming at a better and logical understanding of literature, art and contemporary crises surrounding us in every walk of life. Regards.

  2. सार्थक रचनात्मक पहल के लिए हार्दिक शुभकामनाएं

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