मैं तो दरिया हूं, समंदर में उतर जाऊंगा अहमद नदीम क़ासमी एक हरफ़न-मौला अदीब थे। उनके चाहे अफ़साने देख लीजिए, चाहे गज़ल़ें-नज़्में, पंजाब के देहातों की सुंदर अक्कासी...
कविता, लोकप्रियता और ब्राह्मणवाद-2 …पिछले अंक से जारी पिछले सत्तर साल से जिसे कविता कहा जा रहा है, उसकी उपस्थिति समाज में शून्य है। और विनोद कुमार शुक्ल...
स्त्री-पराधीनता का प्रामाणिक दस्तावेज़ इन दिनों बुकर पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक़ का कहानी-संग्रह ‘हार्ट लैम्प’ चर्चा में है। बानू मुश्ताक़ कन्नड़ भाषा की जानी-मानी प्रतिष्ठित...
दिलीप कुमार: आवाज़ का जादू हिंदी फिल्मों के प्रेमी यह जानते ही होंगे कि वर्ष 1957 में ऋषिकेश मुखर्जी ने फ़िल्म ‘मुसाफ़िर’ के साथ अपनी निर्देशकीय पारी शुरू...
(विधाओं, विषयों व भाषाओं की सीमा से परे.. मानवता के संसार की अनमोल किताब -धरोहर- को हस्तांतरित करने की पहल। जीवन को नये अर्थ, नयी दिशा, नयी सोच देने...