June 15, 2025 आब-ओ-हवा तरक़्क़ीपसंद तहरीक की कहकशां जनकवि हूं साफ़ कहूंगा क्यों हकलाऊं..? जनकवि हूं साफ़ कहूंगा क्यों हकलाऊं..? जनता पूछ रही क्या बतलाऊं, जनकवि हूं साफ़ कहूंगा क्यों हकलाऊं बाबा नागार्जुन इन पंक्तियों में स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि वे... और पढ़े
May 30, 2025 आब-ओ-हवा तरक़्क़ीपसंद तहरीक की कहकशां ‘असद’ को तुम नहीं पहचानते त’अज्जुब है.. ‘असद’ को तुम नहीं पहचानते त’अज्जुब है.. उर्दू अदब और फ़िल्मी दुनिया में असद भोपाली एक ऐसे बदक़िस्मत शायर-नग़मा निगार हैं, जिन्हें अपने... और पढ़े
May 15, 2025 आब-ओ-हवा तरक़्क़ीपसंद तहरीक की कहकशां ज़ालिम को रुसवा हम भी देखेंगे ज़ालिम को रुसवा हम भी देखेंगे तरक़्क़ी-पसंद तहरीक के इब्तिदाई दौर का अध्ययन करें, तो यह बात सामने आती है कि तरक़्क़ी-पसंद शायर और आलोचक ग़ज़ल विधा से... और पढ़े
May 3, 2025 आब-ओ-हवा तरक़्क़ीपसंद तहरीक की कहकशां उठ मेरी जान, मेरे साथ ही चलना है तुझे उठ मेरी जान, मेरे साथ ही चलना है तुझे दीगर तरक़्क़ीपसंद शायरों की तरह कैफ़ी आज़मी ने भी अपनी शायरी की इब्तिदा रूमानी ग़ज़लों से की, लेकिन... और पढ़े
April 30, 2025 आब-ओ-हवा तरक़्क़ीपसंद तहरीक की कहकशां रस उन आँखों में है, कहने को ज़रा-सा पानी… रस उन आँखों में है, कहने को ज़रा-सा पानी… आरज़ू लखनवी का शुमार उन शायरों में होता है, जिन्होंने न सिर्फ़ अपना नाम उर्दू अदब में सुनहरे हुरूफ़... और पढ़े
April 26, 2025 आब-ओ-हवा तरक़्क़ीपसंद तहरीक की कहकशां पहुंचे हैं कहां तक इल्म-ओ-फ़न साक़ी तरक़्क़ीपसंद तहरीक़ की कहकशां ..पहुंचे हैं कहां तक इल्म-ओ-फ़न साक़ी जाहिद ख़ान संदर्भ : 6 अप्रैल (1890) : शहंशाह-ए-ग़ज़ल जिगर मुरादाबादी का जन्मदिवस उर्दू अदब में... और पढ़े