अपने वक़्त में ही कल्ट बन गयी थी यह इश्किया मसनवी

अपने वक़्त में ही कल्ट बन गयी थी यह इश्किया मसनवी               “शौक़ का अस्ल काम दरअस्ल ये है कि उन्होंने लखनवी क़िस्सागोई...

उमराव जान अदा: पतनशील लखनऊ का कष्ट-काव्य

उमराव जान अदा: पतनशील लखनऊ का कष्ट-काव्य               “उमराव जान अदा” एक मशहूर नॉवल है। पहली बार 1899 में प्रकाशित हुआ था। कुछ...

लखनऊ स्कूल की अमर यादगार

लखनऊ स्कूल की अमर यादगार “शेर-ओ-शायरी के जिन पहलुओं के ऐतबार से लखनऊ बदनाम है, गुलज़ार-ए-नसीम ने उन्हीं पहलुओं से लखनऊ का नाम ऊंचा किया है। ज़बान को शायरी...

डिप्टी नज़ीर अहमद का तौबतुन्नसूह

डिप्टी नज़ीर अहमद का तौबतुन्नसूह           “मुझको तुम्हारे माँ-बाप होने से इनकार नहीं। गुफ़्तगू इस बात में है कि तुमको मेरे अफ़आल में ज़बरदस्ती दख़ल देने का इख़्तियार है...

ऐनी आपा का ‘आग का दरिया’

ऐनी आपा का ‘आग का दरिया’ “क़ुर्रतुल-ऐन हैदर ने एक ऐसी मुशतर्का तहज़ीब (साझा संस्कृति) के गुण गाये और अपने तहदार किरदारों में ऐसी हिन्दुस्तानी शख़्सियात (व्यक्तित्वों) को उजागर...

मीर अम्मन का ‘बाग़-ओ-बहार’

मीर अम्मन का ‘बाग़-ओ-बहार’         फ़ोर्ट विलियम कॉलेज में जॉन गिलक्रिस्ट की फ़रमाइश पर मीर अम्मन देहलवी ने मीर हुसैन अता तहसीन की “नौ तर्ज़-ए-मुरस्सा” से लाभ उठाकर बाग़-ओ-बहार...

फ़साना-ए-आज़ाद

उर्दू के शाहकार फ़साना-ए-आज़ाद डॉक्टर मो. आज़म “आपने ‘फ़साना-ए-अज़ाद’ क्या लिखा, ज़बान-ए-उर्दू के हक़ में मसीहाई की है।”-अब्दुल हलीम शरर “उर्दू ज़बान समझने के लिए ‘फ़साना-ए-आज़ाद’ पढ़ना चाहिए।”– बेगम...