लखनऊ स्कूल की अमर यादगार “शेर-ओ-शायरी के जिन पहलुओं के ऐतबार से लखनऊ बदनाम है, गुलज़ार-ए-नसीम ने उन्हीं पहलुओं से लखनऊ का नाम ऊंचा किया है। ज़बान को शायरी...
डिप्टी नज़ीर अहमद का तौबतुन्नसूह “मुझको तुम्हारे माँ-बाप होने से इनकार नहीं। गुफ़्तगू इस बात में है कि तुमको मेरे अफ़आल में ज़बरदस्ती दख़ल देने का इख़्तियार है...
ऐनी आपा का ‘आग का दरिया’ “क़ुर्रतुल-ऐन हैदर ने एक ऐसी मुशतर्का तहज़ीब (साझा संस्कृति) के गुण गाये और अपने तहदार किरदारों में ऐसी हिन्दुस्तानी शख़्सियात (व्यक्तित्वों) को उजागर...
मीर अम्मन का ‘बाग़-ओ-बहार’ फ़ोर्ट विलियम कॉलेज में जॉन गिलक्रिस्ट की फ़रमाइश पर मीर अम्मन देहलवी ने मीर हुसैन अता तहसीन की “नौ तर्ज़-ए-मुरस्सा” से लाभ उठाकर बाग़-ओ-बहार...
उर्दू के शाहकार फ़साना-ए-आज़ाद डॉक्टर मो. आज़म “आपने ‘फ़साना-ए-अज़ाद’ क्या लिखा, ज़बान-ए-उर्दू के हक़ में मसीहाई की है।”-अब्दुल हलीम शरर “उर्दू ज़बान समझने के लिए ‘फ़साना-ए-आज़ाद’ पढ़ना चाहिए।”– बेगम...