mahesh shrivastav, rajendra anuragi, ramvallabh acharya

आप जानते हैं मध्य प्रदेश के तीन गौरव गीत?

मध्य प्रदेश के 70वें स्थापना के अवसर पर यहां पढ़िए राज्य की महिमा, गौरव और वंदना के सुर में सराबोर तीन गीत। पहला गीत कक्षा पांचवी की पाठ्यपुस्तक सरस हिंदी काव्य नवाचार में शामिल रहा है, दूसरा प्रदेश का आधिकारिक राज्य गान है और तीसरा गीत संगीतबद्ध रूप में समारोहों में ख्याति प्राप्त है पर क्या आपने इन्हें पढ़ा-सुना है? हमें बताइए क्या आपको कोई और गीत भी याद आता है? आब-ओ-हवा की विशेष प्रस्तुति…

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स्व. राजेंद्र अनुरागी रचित गीत

हमारा प्यारा मध्यप्रदेश
प्रकृति भंडारा मध्यप्रदेश

नदियों नदियों मां की ममता
बिरछा बिरछा मेवा
सांची गौतम वाणी गूंजे
उज्जियिनी महादेवा
दंडक बीने बेर भीलनी प्रभु सत्कार विशेष

मुनि अगस्त्य की सोम ऋचाएं
लोपामुद्रा गाये
विन्ध्या करे प्रणाम, रोशनी
सागर तक लहराये
पंचमढ़ी वनफूल सजाये, द्रुपद सुता के केश
हमारा प्यारा मध्य प्रदेश

भोज और विक्रम की गाथा
गाये मालव माटी
आदि सभ्यता का प्रतीक है
पुण्य नर्मदा घाटी
कण कण धरती में बिखरे हैं, पुरातत्व अवशेष
हमारा प्यारा मध्य प्रदेश

पांव खनिज की चट्टानों पर
कर में अन्न कटोरा
शीश ग्वालियर वक्ष मालवा
चेतन पोरा पोरा
खजुराहो में जीवन हुलसे धर पाथर का भेष
हमारा प्यारा मध्य प्रदेश

ग्राम स्वराज बापू का सपना
गांव गांव ढाले
गांधी सागर की गरिमा ने
घर घर दीप उजाले
भारी विद्युत यंत्र हमारे पहुंच देश विदेश
हमारा प्यारा मध्य प्रदेश

भारत भर के लोग यहां हैं
सबकी अपनी बोली
लेकिन हिंदी बनी हुई है
सबकी प्रिय हमजोली
हृदय देश में बसा हुआ है और हृदय में देश
हमारा प्यारा मध्यप्रदेश
प्रकृति भंडारा मध्यप्रदेश

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महेश श्रीवास्तव रचित गीत

सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है

विंध्याचल सा भाल नर्मदा का जल जिसके पास है,
यहां ज्ञान विज्ञान कला का लिखा गया इतिहास है।
उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है,
स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

चंबल की कल-कल से गुंजित कथा तान, बलिदान की,
खजुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की।
भीमबैठका आदिकला का पत्थर पर अभिषेक है,
अमृत कुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

क्षिप्रा में अमृत घट छलका मिला कृष्ण को ज्ञान यहां,
महाकाल को तिलक लगाने मिला हमें वरदान यहां,
कविता, न्याय, वीरता, गायन, सब कुछ यहां विशेष है,
ह्रदय देश का है यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता सब का साथी शुभ का यह संदेश है,
माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।

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डॉ. रामवल्लभ आचार्य रचित गीत

है निसर्ग का स्वर्ग जहाँ,
अनुपम रचना सर्वेश की।
यह धरती मध्यप्रदेश की
यह धरती मध्यप्रदेश की॥

मेकल विंध्य सतपुड़ा जिसकी
उन्नत गिरि मालाएं।
स्वर्ण रजत किरणों से जिसको
दिनकर शशि नहलाएं
खोह कंदरा और घाटियाँ
जंगल जहाँ घनेरे
भाँति भाँति के खगों मृगों के
जिनके बीच बसेरे
जहाँ प्रकृति ने रचना की है
मंगलमय परिवेश की॥
यह धरती मध्यप्रदेश की ॥१॥

जहाँ नर्मदा क्षिप्रा चंबल
वैत्रवती लहराएं।
पुण्य सलिल धारायें जिनकी
प्राणों को सरसाएं।
जहाँ ओरछा ओंकारेश्वर
उज्जयिनी अति पावन।
भेड़ाघाट प्रपात अमरकंटक
पचमढ़ी सुहावन।
जिसके कण कण में बिखरी है
सहज कृपा अखिलेश की॥
यह धरती मध्यप्रदेश की ॥२॥

विश्व धरोहर हैं खजुराहो
भीम बैठका साँची।
प्रेमकथा मांडू ने
रानी रूपमती की बाँची।
विस्तृत किले शौर्यगाथाएं
वीरों की दुहराते।
राज महल राजाओं के
वैभव की याद दिलाते।
जिसकी रज के सम्मुख लगती
सम्पति तुच्छ सुरेश की॥
यह धरती मध्यप्रदेश की ॥३॥

सावन जहाँ सुनाता
आल्हा-ऊदल की गाथाएं।
छत्रसाल की शौर्य कथाएं
बुंदेले नित गाएं।
धर्मपरायण जहाँ
अहिल्या बाई जैसी रानी।
दुर्गावती अवन्ती बाई
हुईं जहाँ बलिदानी।
हैं प्रतीक गणगौर भुजरियाँ
संझा रीति विशेष की॥
यह धरती मध्यप्रदेश की ॥४॥

जहाँ प्रीत की राँगोली से
सजा हृदय का आँगन।
ढोल मंजीरों की थापों पर
जहाँ थिरकता जीवन।
श्रम सीकर से गढ़ते जिसके
बेटे भाग्य लकीरें।
उद्योगों ने जहाँ उकेरीं
उन्नति की तस्वीरें।
पग पग मिलती झलक
सभ्यता संस्कृति के उन्मेष की॥
यह धरती मध्यप्रदेश की ॥५॥

कोल किरात सहरिया जिसकी
हैं आदिम संतानें।
भील कोरकू गौंड
मुक्त जीवन की हैं पहचानें।
जहाँ हाट मेले अंतर में
बीज प्रेम का बोते।
मन के कोमल भाव
लोकगीतों में मुखरित होते।
होती जहाँ गुलाल भाल की
लिपि परिणय संदेश की॥
यह धरती मध्यप्रदेश की ॥६॥

3 comments on “आप जानते हैं मध्य प्रदेश के तीन गौरव गीत?

  1. तीनों गीत बहुत सुंदर हैं।
    जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ मध्यप्रदेश को और छत्तीसगढ़ को

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