भाषाओं के साथ ही साहित्य, कला और परिवेश के बीच पुल बनाने की इस कड़ी में विशेष नज़र है अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार भारत की लेखक बानू मुश्ताक़ को प्रदान किये जाने पर। उनकी बुकर विजेता किताब को टटोलने के साथ ही उनके संघर्ष के मायने और फिर लेखन बनाम अनुवाद को लेकर एक विमर्श भी आब-ओ-हवा के इस अंक में मुख्य रूप से है। साहित्य, कला, शिक्षा आदि से संबद्ध अन्य नियमित ब्लॉग अपने तेवर और वैचारिक उष्मा के साथ हैं ही। सरोकारों से जुड़ी एक फ़िल्म पर चर्चा के साथ ही विश्व प्रसिद्ध कलाकार विन्सेंट वैन गॉफ़ पर एक महत्वपूर्ण लेख भी। साहित्य, कला जगत और समाज की महत्वपूर्ण हलचलों को भी यह अंक समाहित करता है।
Wish to join your efforts aiming at a better and logical understanding of literature, art and contemporary crises surrounding us in every walk of life. Regards.
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It will be a pleasure if you join, you are always welcome Satyendra ji, regards
सार्थक रचनात्मक पहल के लिए हार्दिक शुभकामनाएं