भरत दीप माथुर

ग़ज़ल अब

आपकी चौखट से होकर जो भी दीवाना गया
शाइर-ए-आज़म हुआ दुनिया में पहचाना गया


हाय वो रस्ता कि जिससे छिन गये बूढ़े दरख़्त
हाय को राही जो इस पर बे-हिजाबाना गया


एक चिड़िया आपके पिंजरे की रौनक़ हो गयी
और वो बच्चे कि जिनकी चोंच से दाना गया


जो मेरी तक़रीर में सच था उसे बतला के झूठ
जो सरासर झूठ था उसको ही सच माना गया


आपके किरदार सब मज़मून के जंजाल में
इस क़दर उलझे कि सारा लुत्फ़-ए-अफ़्साना गया


पर्दा-ए-दर कुछ हिला और रौशनी के होश उड़े
ज़ब्त टूटा अक्स रूठा आइनाख़ाना गया

भरत दीप माथुर

भरत दीप माथुर

दोहा संग्रह "जप ले नमः शिवाय" और ग़ज़ल संग्रह "कहाँ चले आये" प्रकाशित। भारतीय जीवन बीमा निगम में प्रशासनिक सहायक के पद पर कार्यरत। टीवी चैनलों, आकाशवाणी केंद्रों से प्रसारित, मुशायरों एवं अनेकानेक अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों तथा मुशाइरों में सहभागिता। राष्ट्रीय समाचार पत्रों और राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में ग़ज़लें प्रकाशित। 30 से अधिक साझा संकलनों में ग़ज़लें व दोहे प्रकाशित।

1 comment on “ग़ज़ल अब

  1. एक चिड़िया आपके पिंजरे की रौनक़ हो गयी
    और वो बच्चे कि जिनकी चोंच से दाना गया

    बहुत बढ़िया ग़ज़ल

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