
- October 5, 2025
- आब-ओ-हवा
- 13
कमलकांत... याद तो होगा आपको यह नाम!

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प्रवेश जी का बहुत धन्यवाद
Very good
भवेश भाई, मैंने आज पहली बार आपके व्हाट्सएप स्टेट्स पर चाचा जी की कविताएं पढ़ें… आनंद आ गया… मैंने तुरंत स्क्रीन शॉट्स लेकर कई मित्रों के साथ उन्हें साझा भी किया।
कमलकांत सक्सेना साहित्य जगत और पत्रकारिता जगत में भी एक बड़ा नाम है। अपने समय में उन्होंने यादगार काम किए। साहित्य सागर का संपादन और प्रकाशन हो या गीताष्टक का! दोनों उनके नाम के साथ सदैव उल्लेखनीय रहेंगे। 2006 या 2007 का साल होगा, जब कादम्बरी, जबलपुर के अखिल भारतीय साहित्यकार -पत्रकार सम्मान समारोह में कमलकांत जी को अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता के लिए और मुझे नवगीत के लिए (नवगीत संग्रह -जिस जगह यह नाव है’) निमेष सम्मान दिया गया था। उनके काम को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकारा गया था।
प्रवेश जी और ब्रज जी ने बढ़िया काम किया है। साधुवाद।
कमलकांत जी की स्मृतियों को नमन।
बेहद सुंदर कविता पोस्टर। प्रिय दोस्त प्रवेश व ब्रज जी को साधुवाद। आदरणीय पिताजी की पुण्य स्मृति को सादर प्रणाम। साहित्य की यह अलख निरन्तर प्रज्ज्वलित रहे।
कमलकांत जी को संभवतः पहली बार पढ़ रही हूं, प्रभावी रचनाओं को प्रवेश जी ने अपनी कूची से और रंग दिया है।
श्रद्धेय कमलकांत सक्सेना जी के, मन पर गहरी छाप छोड़ने वाले भावप्रवण शब्द चित्रों को रंगों से जोड़ कर प्रवेश सोनी एवं ब्रज श्रीवास्तव जी की काव्यात्मक प्रस्तुति सराहनीय है।
ये नाम किसे याद नहीं होगा! ये केवल नाम नहीं साहित्य के प्रति समर्पित ऐसा व्यक्तित्व है, जिनकी स्मृतियाँ मात्र हमारे अंदर ऊर्जा का संचार करती हैं. कीर्ति शेष कमल कांत saxsena को शत- शत नमन!
कौन भूल सकता है यह नाम, कीर्ति शेष कमल कांत saxsena साहित्य के ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनकी स्मृतियाँ हमें नयी ऊर्जा से भर देती हैं! उन्हें मेरा शत- शत नमन!
वाक़ई बहुत ख़ूब कविताएँ हैं।
चाचा जी की पापा जी के साथ वो चर्चायें ओर अण्णा जी पर साहित्य सागर का वह अंक भी खुब याद है!
श्रद्धेय कमलकांत सक्सेना जी अपने समय के श्रेष्ठ कवि तथा पत्रकार रहे है। उनकी स्मृति को शत शत नमन।
उनकी कविताएं पढ़ी, बहुत अच्छी लगी। उनकी कविताओं पर सुंदर कविता पोस्टर बनाकर, प्रदर्शनी करना यह एक बहुत ही नायाब तरीका है। कविता पोस्टर बनाने के लिए
आदरणीय प्रवेश सोनी जी को बधाई और सक्सेना के के
काव्यांशों की सुंदर कैलीग्राफी करने के लिए बधाई।
कमलकांत सक्सेना जी की कविताओं की कुछ पंक्तियां दिल को छू गई, जैसे, “मेरे भीतर आग है, बाहर आग
गीत आग का राग है और गज़ल अनुराग”
“प्राण कर्जदार है, गीत राजदार है
अनाम की दुकान पर, जिंदगी उधार है”
वाह बहुत ही सुंदर लिखा है।
I
आप सभी ने पिताजी को याद किया, उनकी यादों को संजोते इस प्रकाशन पर अपने दिली जज़्बात और मन ज़ाहिर किया, आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया