
- September 22, 2025
- आब-ओ-हवा
- 1
(विधाओं, विषयों व भाषाओं की सीमा से परे.. मानवता के संसार की अनमोल किताब -धरोहर- को हस्तांतरित करने की पहल। जीवन को नये अर्थ, नयी दिशा, नयी सोच देने वाली किताबों के लिए कृतज्ञता का एक भाव। साप्ताहिक पेशकश हर सोमवार आब-ओ-हवा पर 'शुक्रिया किताब'.. इस बार व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के रहस्य सौंपती एक प्रेरणादायी किताब को आभार -संपादक)
आदिल सिद्दीक़ी की कलम से....
करियर, रिश्तों और व्यक्तित्व विकास के सूत्र थमाती किताब
लगभग दो दशकों से मैं कॉर्पोरेट जगत में काम कर रहा हूँ और इस दौरान मुझे हमेशा निरंतर व्यावहारिक सीख (Consistent Behavioural Learning) में रुचि रही है। इसी उद्देश्य से मैंने कई प्रेरणादायक (Motivational) और आत्म-अनुशासन (Self Discipline) से जुड़ी किताबें पढ़ी हैं। लेकिन इनमें से “ईगो इज़ दि एनिमि” (Ego is the Enemy) मेरी सबसे पसंदीदा किताबों में से एक है।
“Ego is the Enemy” किताब को अमेरिकी लेखक और दार्शनिक विचारक रयान हॉलिडे (Ryan Holiday) ने लिखा है। यह किताब उन्होंने इसलिए लिखी क्योंकि उन्होंने देखा कि इंसानों की असफलता और संघर्षों की जड़ अक्सर बाहरी परिस्थितियाँ नहीं होतीं, बल्कि भीतर बैठा हुआ ईगो (अहम्/अहंकार) होता है। ईगो हमें हमारी असली क्षमता से दूर कर देता है और ऐसा दिखाता है जैसे हम सब कुछ जानते हैं या हम सबसे बेहतर हैं। हॉलिडे का उद्देश्य इस किताब के माध्यम से यह समझाना है कि अगर हम अपने अहंकार पर नियंत्रण कर लें, तो जीवन के हर क्षेत्र —चाहे करियर हो, रिश्ते हों या व्यक्तिगत विकास— में आगे बढ़ सकते हैं।
किताब में लेखक बताते हैं कि ईगो इंसान के जीवन के तीन चरणों —लक्ष्य निर्धारण (Aspire), सफलता (Success) और असफलता (Failure)— में अलग-अलग रूप में सामने आता है। जब हम कोई लक्ष्य तय करते हैं, ईगो हमें यह विश्वास दिलाता है कि हम पहले से ही बहुत योग्य हैं और हमें सीखने या मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है। यही सोच हमें सीखने से रोक देती है और हम दिखावे तथा कल्पनाओं में उलझ जाते हैं। लेकिन इतिहास गवाह है जो लोग खुद को हमेशा विद्यार्थी मानते हैं और लगातार सीखते रहते हैं, वही वास्तव में महान बनते हैं।

जब इंसान सफलता हासिल करता है, तब ईगो और ख़तरनाक रूप ले लेता है। यह हमें घमंडी, आत्ममुग्ध और अकेला बना देता है। यह ईगो ही है, जो महसूस कराता है कि अब हमें किसी की मदद की आवश्यकता नहीं, जबकि असली सफलता को स्थायी बनाये रखने के लिए विनम्रता, अनुशासन और टीमवर्क की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। इसलिए लेखक कहते हैं जितने बड़े इंसान बनो, उतने ही ज़मीनी और विनम्र बने रहो।
और, असफलता के समय ईगो ही हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि दुनिया हमारे ख़िलाफ़ है, हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी और हार मान लेना ही सही रास्ता है। लेकिन लेखक स्पष्ट करते हैं असफलता जीवन का स्थायी सच नहीं है, बल्कि एक शिक्षक है। अगर हम ईगो को छोड़कर असफलताओं से सीखें, आत्म-विश्लेषण करें और दोबारा प्रयास करें, तो असफलता भी सफलता की सीढ़ी बन जाती है।
आख़िरकार, किताब का मूल संदेश यह है कि ईगो इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है, जो उसे वास्तविक महानता और आत्म-विकास से दूर कर देता है। इस पर क़ाबू पाने का तरीक़ा है विनम्रता (Humility), अनुशासन (Discipline), धैर्य (Patience) और सीखने की मानसिकता (Learner’s Mindset)। अगर कोई इंसान अपने अहंकार को नियंत्रित कर लेता है, तो वह जीवन में न केवल सफल होता है बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनता है।
रयान हॉलिडे की किताब ‘ईगो इज़ दि एनिमि’ से मुझे अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों के लिए गहरी सीख मिली। इसने मुझे समझाया असली प्रगति अहंकार को नियंत्रित करने और विनम्रता के साथ आगे बढ़ने में है। व्यक्तिगत जीवन में मैंने सीखा रिश्तों और व्यवहार में संतुलन बनाये रखना, सुनने और समझने की आदत विकसित करना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि अहंकार हमें दूसरों से दूर करता है। वहीं, पेशेवर जीवन में यह किताब मुझे याद दिलाती है सफलता स्थायी नहीं होती इसलिए हर उपलब्धि के बाद भी ज़मीन से जुड़े रहना और लगातार सीखते रहना ही सच्चा नेतृत्व है। मैंने यह भी महसूसा कि असली लीडर वही है, जो टीम को आगे रखता है और ख़ुद को सिर्फ़ एक साधन मानकर संगठन और लोगों की सफलता में योगदान देता है।
(क्या ज़रूरी कि साहित्यकार हों, आप जो भी हैं, बस अगर किसी किताब ने आपको संवारा है तो उसे एक आभार देने का यह मंच आपके ही लिए है। टिप्पणी/समीक्षा/नोट/चिट्ठी.. जब भाषा की सीमा नहीं है तो किताब पर अपने विचार/भाव बयां करने के फ़ॉर्म की भी नहीं है। edit.aabohawa@gmail.com पर लिख भेजिए हमें अपने दिल के क़रीब रही किताब पर अपने महत्वपूर्ण विचार/भाव – संपादक)

आदिल सिद्दीक़ी
आईआईएम कोलकाता से एग्ज़िक्यूटिव एमबीए के बाद बीमा उद्योग में लगभग दो दशकों का अनुभव। वर्तमान में टाटा एआईए लाइफ़ इंश्योरेंस में डी.डब्ल्यू.एफ. चैनल के नेशनल हेड।इस करियर के दौरान 10 प्रमोशन और राष्ट्रीय स्तर के कई अवॉर्ड्स। साथ ही, अब तक 15 अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए भी क्वालिफ़ाइड। पढ़ने में रुचि रखने वाले आदिल इसे सिर्फ़ उपलब्धियों का सफ़र नहीं, बल्कि लगातार सीखने और टीमों को प्रेरित करने का बहाना मानते हैं।
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जीवन की कितनी जरूरी बातें इस रचना में उल्लेखित हैं। ।हमारा संसार हमारे व्यवहार से बनता है ।