हम बोलेंगे सफ़र बड़ा है सोच से.. भवेश दिलशाद याद आते हैं पिता, जिनकी संगठनात्मक क्षमता, जिजी-विषा, निडरता बेमिसाल थी। मेरे हिस्से में उनके बाक़ी गुण भले बहुत सीमाओं...
गीत अब ज्ञानप्रकाश पांडेय शब्द ये गंभीरता खोने लगे हैं भाव गूँगे सिर झुकाते मात खाये-से शब्द के कंकाल में हैं मुँह छुपाये-से शोर शब्दों में प्रबल होने लगे...