पर्दा नहीं जब कोई ख़ुदा से, बंदों से पर्दा करना क्या

जिया सो गाया पर्दा नहीं जब कोई ख़ुदा से, बंदों से पर्दा करना क्या मनस्वी अपर्णा ‘जब प्यार किया तो डरना क्या…’ फिल्म मुग़ले-आज़म और हिंदुस्तानी सिनेमा के सफ़र...

नयी सदी की चुनौतियांँ और नवगीत कविता-5

नयी सदी की चुनौतियांँ और नवगीत कविता-5             कविता की सही पहचान पढ़ने,‌ गुनगुनाने व सुनने से ही हो पाती है, यह बात छांदस कविता और गद्य कविता दोनों...

आसेब, ख़ाली हाथ और ज़ुबैर रिज़वी

आसेब, ख़ाली हाथ और ज़ुबैर रिज़वी ‘आसेब’ शब्द किसी रहस्य, एक सवाल की तरह मुझे मिला… जिसके हल हो जाने से मुझे ख़ुशी मिलने वाली थी। एक ऐसी गुत्थी...

शाइरी की रेल-शब्दों के पुल

शाइरी की रेल-शब्दों के पुल         प्रत्येक कलाकार इस तथ्य की पुष्टि करेगा कि वे विशेष क्षण होते हैं, जब मन-मस्तिष्क एक आवेश से संचालित होकर कला के नये...

छड़ी रे छड़ी!

तख़्ती छड़ी रे छड़ी! आलोक कुमार मिश्रा           केरल हाइकोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर नागरिकों और विशेषकर हम शिक्षकों का...

सफ़र बड़ा है सोच से..

हम बोलेंगे सफ़र बड़ा है सोच से.. भवेश दिलशाद याद आते हैं पिता, जिनकी संगठनात्मक क्षमता, जिजी-विषा, निडरता बेमिसाल थी। मेरे हिस्से में उनके बाक़ी गुण भले बहुत सीमाओं...

ग़ज़ल तब

ग़ज़ल तब साहिर लुधियानवी 1. लब पे पाबन्दी नहीं एहसास पे पहरा तो है फिर भी अहले-दिल को अहवाले-बशर कहना तो है अपनी ग़ैरत बेच डालें अपना मसलक़ छोड़...

ग़ज़ल अब

ग़ज़ल अब वसीम नादिर 1. दिल से तुम उसकी याद के जुगनू जुदा करो अब वक़्त आ गया है ये क़ैदी रिहा करो हर वक़्त तितलियों के तअक़्क़ुब में...

गीत तब

गीत तब हबीब जालिब इक पटरी पर सर्दी में अपनी तक़दीर को रोये दूजा ज़ुल्फ़ों की छाँव में सुख की सेज पे सोये राज सिंहासन पर इक बैठा और...

गीत अब

गीत अब ज्ञानप्रकाश पांडेय शब्द ये गंभीरता खोने लगे हैं भाव गूँगे सिर झुकाते मात खाये-से शब्द के कंकाल में हैं मुँह छुपाये-से शोर शब्दों में प्रबल होने लगे...