गूंज बाक़ी… मजरूह सुल्तानपुरी ने पाकिस्तान में एक इंटरव्यू दिया। फिर डॉक्टर हनफ़ी ने एक लेख लिखा और खुलकर कहा कि मजरूह ने बड़बोलापन दिखाया। यह लेख माहनमा ‘शायर’...
गूंज बाक़ी… पिछली पीढ़ियों के यादगार पन्ने हर गुरुवार। पं. रतननाथ सरशार का नाम उर्दू गद्य के पुरोधाओं में लिया जाता है। उनके जीवन व सृजन पर ‘क़लंदर क़लमकार’...
गूंज बाक़ी… पिछली पीढ़ियों के यादगार पन्ने हर गुरुवार। वर्षों पहले राजकमल पेपरबैक्स से प्रकाशित ‘चंद्रकांता’ के लिए प्रसिद्ध लेखक-संपादक राजेंद्र यादव ने चालीस से भी अधिक पन्नों की...
गूंज बाक़ी… पिछली पीढ़ियों के यादगार पन्ने हर गुरुवार। इस शृंखला की पहली पेशकश में अपनी भिन्न वैचारिक उष्मा के साथ ही एक प्रासंगिक विचार के संदर्भ में भी...