वास्तविक डेमोक्रैसी तभी जब डेमोग्राफी सायास न बदले

विवेक रंजन श्रीवास्तव की कलम से…. वास्तविक डेमोक्रैसी तभी जब डेमोग्राफी सायास न बदले              लोकतंत्र का आधार “जनता के लिए, जनता के द्वारा,...

गुफ़्तगू पर गुफ़्तगू: मजरूह सुल्तानपुरी के इंटरव्यू पर

गूंज बाक़ी… मजरूह सुल्तानपुरी ने पाकिस्तान में एक इंटरव्यू दिया। फिर डॉक्टर हनफ़ी ने एक लेख लिखा और खुलकर कहा कि मजरूह ने बड़बोलापन दिखाया। यह लेख माहनमा ‘शायर’...

साहित्य, समाज, सिनेमा और किन्नर

डॉ. बबीता गुप्ता की कलम से…. साहित्य, समाज, सिनेमा और किन्नर              परिवार से उपेक्षित, समाज से परित्यक्त मुख्यधारा से विलग हाशिये पर रखा...

पंडित रतननाथ सरशार एक क़लंदर क़लमकार

गूंज बाक़ी… पिछली पीढ़ियों के यादगार पन्ने हर गुरुवार। पं. रतननाथ सरशार का नाम उर्दू गद्य के पुरोधाओं में लिया जाता है। उनके जीवन व सृजन पर ‘क़लंदर क़लमकार’...

चंद्रकांता: प्रासंगिकता और आलोचना के प्रश्न

गूंज बाक़ी… पिछली पीढ़ियों के यादगार पन्ने हर गुरुवार। वर्षों पहले राजकमल पेपरबैक्स से प्रकाशित ‘चंद्रकांता’ के लिए प्रसिद्ध लेखक-संपादक राजेंद्र यादव ने चालीस से भी अधिक पन्नों की...

सिगरेट… बदनाम औरतें और बाज़ार मालामाल

भवेश दिलशाद की कलम से…. सिगरेट… औरतें बदनाम और बाज़ार मालामाल              जे.के. रॉलिंग की एक फ़ोटो इसी साल अप्रैल में चर्चा में थी,...

हमें ईश्वर की ज़रूरत क्यों है?

गूंज बाक़ी… पिछली पीढ़ियों के यादगार पन्ने हर गुरुवार। इस शृंखला की पहली पेशकश में अपनी भिन्न वैचारिक उष्मा के साथ ही एक प्रासंगिक विचार के संदर्भ में भी...