August 28, 2025 आब-ओ-हवा काव्य शायरी में बारिश-बादल-बरसात ‘मान’ सहज व रोचक अंदाज़ में उस परिदृश्य को सामने लाती है, जो इस शती के पूर्वार्द्ध तक के समाज की तस्वीर रहा है। अंत में कहानी के पारंपरिक... Continue Reading
August 3, 2025 आब-ओ-हवा काव्य शायरी में यार-दोस्त-अहबाब संकलन : देवदत्त संगेप…. शायरी में यार-दोस्त-अहबाब ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेहकोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होतामिर्ज़ा ग़ालिब ————*———— अगर तुम्हारी अना ही का... Continue Reading