भारतीय व्यंग्य इतिहास का प्रस्थान बिंदु “शिवशंभू के चिट्ठे”

अरुण अर्णव खरे की कलम से…. भारतीय व्यंग्य इतिहास का प्रस्थान बिंदु “शिवशंभू के चिट्ठे”            व्यंग्य का मूल स्वभाव विरोध है, यह सत्ता के...

व्यंग्य की लोकधर्मी परंपरा: भारतेंदु से वर्तमान तक

‘मान’ सहज व रोचक अंदाज़ में उस परिदृश्य को सामने लाती है, जो इस शती के पूर्वार्द्ध तक के समाज की तस्वीर रहा है। अंत में कहानी के पारंपरिक...