पूर्वपाठ — एक कवि की डायरी : भाग-11

कवियों की भाव-संपदा,​ विचार-वीथिका और संवेदन-विश्व को खंगालती इस डायरी का मक़सद प्रकाशन पूर्व पाठक-लेखक संवाद बनाना है… जयप्रकाश मानस की कलम से…. पूर्वपाठ — एक कवि की डायरी...

दरवाज़ा

मुंशी प्रेमचंद ने शुरू में (और उसके बाद भी) ‘नवाबराय’ नाम से उर्दू में विशद लेखन किया। हालांकि अब के हिंदी पाठकों तक उनकी उर्दू कहानियां कम ही पहुंचीं।...

जब इतिहास ही खो जाये..

मुंशी प्रेमचंद (31.07.1880-08.10.1936) की जयंती के अवसर पर यह वैचारिकी प्रेमचंद के साहित्य का ऐतिहासिक महत्व समझाती है और यह भी कि इस साहित्य को किस तरह संरक्षित किया...

‘युद्ध और शान्ति’ की नियति

निशांत कौशिक की कलम से…. ‘युद्ध और शान्ति’ की नियति            मार्क ट्वेन ने कहा था, “क्लासिक साहित्य वह है जिसकी लोग प्रशंसा करते फिरें...

हिंदी पर हंगामा-2

आलोक कुमार मिश्रा की कलम से…. हिंदी पर हंगामा-2            हिंदी भाषा को लेकर हम हिंदीभाषियों का रवैया भी कुछ अजीब-सा है। हम ये तो...

धरती से रिश्ता पनपना मेरी नियति में था: मनोज कुमार

रस उन आँखों में है, कहने को ज़रा-सा पानी. आरज़ू लखनवी का शुमार उन शायरों में होता है, जिन्होंने न सिर्फ़ अपना नाम उर्दू अदब में सुनहरे हुरूफ़ में...