गीत अब

गीत अब रंजना गुप्ता द्वन्द कोलाहल जटिल संवेदनाहै कदाचित यह समयनिर्मम समय गिद्ध जैसी दृष्टि से दिन रात सब कुछ लीलतावंचनाओं की वही गोठिल दुधारी छीलतासब निरर्थक वाद हैं...

गीत तब

गीत तब देवेंद्र शर्मा ‘इंद्र’ हम जीवन के महाकाव्य हैंकेवल छन्द प्रसंग नहीं हैं कंकड़-पत्थर की धरती हैअपने तो पाँवों के नीचेहम कब कहते बन्धु! बिछाओस्वागत में मखमली गलीचेरेती...

ग़ज़ल अब

ग़ज़ल अब अशोक मिज़ाज बद्र पतंग उड़ा के मैं पीछे तो हट नहीं सकतातुम्हारी सद्दी से माझा तो कट नहीं सकताअब एक मुश्त चुकाना पड़ेगा दुश्मन कोये क़र्ज़ वो...

ग़ज़ल तब

ग़ज़ल तब उदय प्रताप सिंह पुरानी कश्ती को पार ले कर फ़क़त हमारा हुनर गया हैनये खिवैये कहीं न समझें नदी का पानी उतर गया हैतुम होशमंदी के उंचे...

विचार के लिए कठिन समय में आब-ओ-हवा के मायने

विचार के लिए कठिन समय में आब-ओ-हवा के मायने          “आब-ओ-हवा” ने इस बीच एक वर्ष का समय पार कर लिया, इतने थोड़े से समय में इस ई-पत्र ने...

रस उन आँखों में है, कहने को ज़रा-सा पानी…

रस उन आँखों में है, कहने को ज़रा-सा पानी…           आरज़ू लखनवी का शुमार उन शायरों में होता है, जिन्होंने न सिर्फ़ अपना नाम उर्दू अदब में सुनहरे हुरूफ़...

कला से आशय आख़िर है क्या?

कला से आशय आख़िर है क्या?        कला है क्या? आज की बात इस मूल प्रश्न से आरंभ करेंगे। इस विषय में अन्य चिन्तकों ने अपने-अपने मत प्रस्तुत किये...

ललिता-रफ़ी के सुरों की देसी मिठास

ललिता-रफ़ी के सुरों की देसी मिठास किशोर साहू निर्देशित “नदिया के पार” में नायिका कामिनी कौशल और नायक दिलीप कुमार पर एक बड़ा ही दिलकश दोगाना फ़िल्माया गया था-...

मीर अम्मन का ‘बाग़-ओ-बहार’

मीर अम्मन का ‘बाग़-ओ-बहार’         फ़ोर्ट विलियम कॉलेज में जॉन गिलक्रिस्ट की फ़रमाइश पर मीर अम्मन देहलवी ने मीर हुसैन अता तहसीन की “नौ तर्ज़-ए-मुरस्सा” से लाभ उठाकर बाग़-ओ-बहार...

विविधता और ताज़गी का अहसास

विविधता और ताज़गी का अहसास         “दूध की जाति” आलोक कुमार मिश्रा का पहला कहानी संग्रह है। आलोक मूलतः कवि हैं।आपने बच्चों के लिए भी कविताएँ लिखी हैं और...