भाषाओं के साथ ही साहित्य, कला और परिवेश के बीच पुल बनाने की इस कड़ी में विशेष नज़र है पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद के हालात पर। प्रमुख समाचार पत्रों से लेकर सोशल मीडिया पर तैरे विचार इस घटना के विभिन्न आयाम छूते हैं। नियमित स्तंभों की अपनी सजधज है ही, जो नये कोण और नयी दृष्टियां देते हैं। इसके साथ ही हिंदी पट्टी की प्रमुख कथाकार उर्मिला शिरीष के साथ सामाजिक ताने बाने से जुड़ी विशेष बातचीत और कला जगत की महत्वपूर्ण हलचलों को भी यह अंक समाहित करता है।