एक और तस्वीर

     एक और तस्वीर –सलमा सिद्दीक़ी        हमारे यहां उस समय बम्बई के राइटरों और शायरों की एक गोष्ठी होने वाली थी। राइटर और शायरों से अदबी जलसों और...

कितने अभिन्न लोगों को मैंने चिट्ठियां नहीं लिखीं!

कितने अभिन्न लोगों को मैंने चिट्ठियां नहीं लिखीं! “उसके लिए चिट्ठियांभाषा के बन्द दरवाज़ों कोखोलती गयींदरवाज़ा खुला अधखुला रह गयाबन्द हो गया चिट्ठियों का दरवाज़ा” तब गांव में घर...