हिंदी व्यंग्य स्तंभ-लेखन की परंपरा और समकाल

पाक्षिक ब्लॉग अरुण अर्णव खरे की कलम से…. हिंदी व्यंग्य स्तंभ-लेखन की परंपरा और समकाल              हिंदी व्यंग्य को लोकप्रिय बनाने में स्तंभ-लेखन की...

हिंदी व्यंग्य आलोचना: मुख्यधारा से अब भी बाहर

अरुण अर्णव खरे की कलम से…. हिंदी व्यंग्य आलोचना: मुख्यधारा से अब भी बाहर              इन दिनों हिंदी व्यंग्य लेखन में उल्लेखनीय सक्रियता देखी...

व्यंग्य: इक्कीसवीं सदी के अछूते विषय

पाक्षिक ब्लॉग अरुण अर्णव खरे की कलम से…. व्यंग्य: इक्कीसवीं सदी के अछूते विषय            समय के साथ बहुत-सी चीज़ें बदलती रहती हैं। जीवन-शैली बदलती...

व्यंग्य शीर्षक: ऐसा हो, ऐसा-वैसा नहीं

नियमित ब्लॉग अरुण अर्णव खरे की कलम से…. व्यंग्य शीर्षक: ऐसा हो, ऐसा-वैसा नहीं             बात उस समय की है, जब कोरोना के कारण...

व्यंग्य में फैंटेसी- प्रभावकारी व्यंजना

नियमित ब्लॉग अरुण अर्णव खरे की कलम से…. व्यंग्य में फैंटेसी- प्रभावकारी व्यंजना                  फैंटेसी-साहित्य एक सशक्त और बहुआयामी विधा है, जिसमें...

सभी सत्ताओं पर भारी डिजिटल सत्ता

पाक्षिक ब्लॉग अरुण अर्णव खरे की कलम से…. सभी सत्ताओं पर भारी डिजिटल सत्ता व्यंग्य के बारे में यह धारणा प्रचलित है कि उसका निशाना सदैव सत्ता पर होना...

21वीं सदी में व्यंग्य: अभिव्यक्ति के नये उपकरण तलाशना ज़रूरी

पाक्षिक ब्लॉग अरुण अर्णव खरे की कलम से…. 21वीं सदी में व्यंग्य: अभिव्यक्ति के नये उपकरण तलाशना ज़रूरी              21वीं सदी व्यंग्य के लिए...

भारतीय व्यंग्य इतिहास का प्रस्थान बिंदु “शिवशंभू के चिट्ठे”

अरुण अर्णव खरे की कलम से…. भारतीय व्यंग्य इतिहास का प्रस्थान बिंदु “शिवशंभू के चिट्ठे”            व्यंग्य का मूल स्वभाव विरोध है, यह सत्ता के...

कौन-सी विशेषता व्यंग्य को विधा बनाती है?

साहित्य के कैनवास पर व्यंग्य की दमक को अब शिनाख़्त की ज़रूरत नहीं है। फिर भी प्रश्न उभरता है कि समकाल में व्यंग्य की धार पैनी क्यों महसूस नहीं...