• May 2, 2025
  • आब-ओ-हवा
  • 0

आब-ओ-हवा – अंक - 26

भाषाओं के साथ ही साहित्य, कला और परिवेश के बीच पुल बनाने की इस कड़ी में विशेष नज़र है पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद के हालात पर। प्रमुख समाचार पत्रों से लेकर सोशल मीडिया पर तैरे विचार इस घटना के विभिन्न आयाम छूते हैं। नियमित स्तंभों की अपनी सजधज है ही, जो नये कोण और नयी दृष्टियां देते हैं। इसके साथ ही हिंदी पट्टी की प्रमुख कथाकार उर्मिला शिरीष के साथ सामाजिक ताने बाने से जुड़ी विशेष बातचीत और कला जगत की महत्वपूर्ण हलचलों को भी यह अंक समाहित करता है।

गद्य

फ़्रंट स्टोरी

मुआयना

ब्लॉग : हम बोलेंगे (संपादकीय)
आइए, खोजें कोई ‘हलगाम’ : भवेश दिलशाद

ब्लॉग : तख़्ती
बच्चों से भी सीखें : आलोक कुमार मिश्रा

ग़ज़ल रंग

ब्लॉग : शेरगोई
“था “और “है” की गुत्थी : विजय स्वर्णकार

ब्लॉग : गूंजती आवाज़ें
ग़ज़ल, हिंदी लफ़्ज़ और ज़हीर क़ुरैशी : सलीम सरमद

फ़न की बात

गुनगुनाहट

ब्लॉग : समकाल का गीत विमर्श
कविता में अर्थ की लय और अन्विति! : राजा अवस्थी

किताब कौतुक

ब्लॉग : क़िस्सागोई
आज के हिन्दुस्तान की कहानी : नमिता सिंह

ब्लॉग : उर्दू के शाहकार
ऐनी आपा का ‘आग का दरिया’ : डॉ. आज़म

सदरंग

पद्य

ग़ज़ल और गीत

गीत तब : कुमार रवींद्र

गीत अब : जगदीश पंकज

ग़ज़ल तब : ज़फ़र गोरखपुरी

ग़ज़ल अब : राजकुमार राज़

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *