लोकतंत्र, सत्तानमाज़ी नागरिक और बंधु-गीतों की याद

पाक्षिक ब्लॉग भवेश दिलशाद की कलम से…. लोकतंत्र, सत्तानमाज़ी नागरिक और बंधु-गीतों की याद            “एक आज के आगे-पीछे लगे हुए हैं दो-दो कल”… क्या...

कौतूहल, रहस्य और एकांत रचने वाली प्रीति तामोट

पाक्षिक ब्लॉग प्रीति निगोसकर की कलम से…. कौतूहल, रहस्य और एकांत रचने वाली प्रीति तामोट              सभी को पैदा होते ही एक माहौल मिलता...

गुफ़्तगू पर गुफ़्तगू: मजरूह सुल्तानपुरी के इंटरव्यू पर

गूंज बाक़ी… मजरूह सुल्तानपुरी ने पाकिस्तान में एक इंटरव्यू दिया। फिर डॉक्टर हनफ़ी ने एक लेख लिखा और खुलकर कहा कि मजरूह ने बड़बोलापन दिखाया। यह लेख माहनमा ‘शायर’...

रस सिद्धांतों की परंपरा का गहन विश्लेषण

पुस्तक चर्चा राजा अवस्थी की कलम से…. रस सिद्धांतों की परंपराओं का गहन विश्लेषण            यह उस प्रतिभाशाली आलोचक, साहित्यकार प्रोफेसर बी.एल. खरे की स्मृति...

रफ़ी की आवाज़ में धर्मेंद्र के फ़िल्मी अंदाज़

एक याद बरास्ते गीत-छवि विवेक रंजन श्रीवास्तव की कलम से…. रफ़ी की आवाज़ में धर्मेंद्र के फ़िल्मी अंदाज़             धर्मेंद्र पर लिखा जाये, तो...

अगर देवदास होते धर्मेंद्र..! कुछ और क़िस्से भी

एक शानदार सितारा, एक जानदार सितारा यानी अभिनेता धर्मेंद्र (08.12.1935-24.11.2025) का निधन। आब-ओ-हवा की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।​ विभिन्न समाचारों, साक्षात्कारों एवं यादों पर आधारित एक लेख… अगर देवदास...

तो क्या साहित्य सदा राजसत्ता का मुखापेक्षी रहेगा!

विवेक रंजन श्रीवास्तव की कलम से…. तो क्या साहित्य सदा राजसत्ता का मुखापेक्षी रहेगा!             आदर्श स्थिति यही है कि साहित्य को राजनीति से...