ज़ालिम दौर में मासूम शाइरी की आवाज़

पाक्षिक ब्लॉग आशीष दशोत्तर की कलम से…. ज़ालिम दौर में मासूम शाइरी की आवाज़               शाइरी किसी की ख़ुशामद नहीं करती, उंगली उठाती...

ग़ज़ल तब : महेश अनघ

संदर्भ : 14 सितंबर 1947, महेश अनघ की जयंती ग़ज़ल तब : महेश अनघ 1 मुस्कानों का आना जाना पल दो चार रहा एक पुराना छाला दिल पर पहरेदार...