जब इतिहास ही खो जाये..

मुंशी प्रेमचंद (31.07.1880-08.10.1936) की जयंती के अवसर पर यह वैचारिकी प्रेमचंद के साहित्य का ऐतिहासिक महत्व समझाती है और यह भी कि इस साहित्य को किस तरह संरक्षित किया...

‘युद्ध और शान्ति’ की नियति

निशांत कौशिक की कलम से…. ‘युद्ध और शान्ति’ की नियति            मार्क ट्वेन ने कहा था, “क्लासिक साहित्य वह है जिसकी लोग प्रशंसा करते फिरें...

हिंदी पर हंगामा-2

आलोक कुमार मिश्रा की कलम से…. हिंदी पर हंगामा-2            हिंदी भाषा को लेकर हम हिंदीभाषियों का रवैया भी कुछ अजीब-सा है। हम ये तो...

धरती से रिश्ता पनपना मेरी नियति में था: मनोज कुमार

रस उन आँखों में है, कहने को ज़रा-सा पानी. आरज़ू लखनवी का शुमार उन शायरों में होता है, जिन्होंने न सिर्फ़ अपना नाम उर्दू अदब में सुनहरे हुरूफ़ में...

‘वो अक्सर याद आते हैं’ यानी एक भूला-बिसरा अभिनेता

मिथलेश रॉय की कलम से…. ‘वो अक्सर याद आते हैं’ यानी एक भूला-बिसरा अभिनेता               गुलशेर भाई जितना मीठा बोलते थे, उतना ही...

विजेता में ‘आशा’ का आनंद बरसाता अहीर भैरव

विवेक सावरीकर मृदुल की कलम से…. विजेता में ‘आशा’ का आनंद बरसाता अहीर भैरव            पिछले दिनों बॉलीवुड के प्रख्यात कपूर ख़ानदान के एक और...